Monday, July 21, 2025
spot_img

NDA में दरार! पंचायत चुनाव 2026 में BJP को झटका, सहयोगी दलों ने दिखाया अलग रास्ता

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2026 से पहले NDA में फूट, अपना दल (एस), सुभासपा और निषाद पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का किया ऐलान। भाजपा की रणनीति पर पड़ सकता है असर।

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में दरार साफ नजर आने लगी है। NDA के तीन प्रमुख सहयोगी दल—अपना दल (एस), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और निषाद पार्टी—ने इस बार अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इससे भाजपा के लिए आगामी चुनाव में नई राजनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।

अनुप्रिया पटेल का बड़ा एलान

सबसे पहले, केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने यह साफ कर दिया कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव 2026 में अकेले मैदान में उतरेगी। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि जो भी चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें पार्टी से ही टिकट मिलेगा। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अपना दल को भाजपा का एक भरोसेमंद सहयोगी माना जाता रहा है।

Read  उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों पर बड़ा फेरबदल: संशोधित कानून के बाद 57,792 सरकारी जमीनें अब वक्फ के दायरे से बाहर

सुभासपा और निषाद पार्टी भी हुईं अलग

इसी क्रम में सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ. संजय निषाद ने भी अपने-अपने कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर पर मजबूती से तैयारी करने को कहा है। डॉ. निषाद ने साफ संदेश दिया है कि हर बूथ पर पार्टी का झंडा लहराना चाहिए। जानकारों का मानना है कि इन दलों की यह तैयारी सिर्फ पंचायत चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति का भी हिस्सा हो सकती है।

भाजपा को लग सकता है करारा झटका

गौरतलब है कि इन क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में एक मजबूत सामाजिक समीकरण खड़ा किया था। यदि ये दल अलग होकर चुनाव लड़ते हैं, तो वोटों का बंटवारा तय है, जिससे भाजपा की पकड़ कमजोर पड़ सकती है। यह स्थिति विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।

Read  मानवता को झकझोरने वाली घटना: नेत्रहीन बुज़ुर्ग का मकान प्रशासन ने जेसीबी से ढहाया

केशव प्रसाद मौर्य का बयान

इस पूरे घटनाक्रम पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सहयोगी दलों के बयानों को लेकर अभी पार्टी स्तर पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह तय नहीं है कि कौन-सा दल अकेले चुनाव लड़ेगा और कौन-सा गठबंधन में। फिर भी, सहयोगी दलों की यह दूरी भाजपा के लिए आगामी पंचायत चुनाव को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना रही है।

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2026 से पहले एनडीए में उभरते मतभेद भाजपा के लिए खतरे की घंटी हैं। यदि सहयोगी दल अपने फैसले पर अडिग रहते हैं, तो न सिर्फ पंचायत चुनाव, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को रणनीति पुनर्विचार करनी पड़ सकती है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

बड़े शहरों जैसी सुविधाएं अब ग्रामीण बच्चों के लिए भी सुलभ… ग्राम प्रधान की दूरदर्शी सोच से शिक्षा को मिला नया आयाम…

✍ संजय सिंह राणा की रिपोर्ट ग्राम पंचायत रैपुरा (चित्रकूट) में निःशुल्क डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना से शिक्षा का नया युग शुरू हो चुका है।...

डिजिटल जाल में फंसा इंसान: जब एक वीडियो कॉल आपकी ज़िंदगी बदल देता है

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 21वीं सदी का इंसान जितना आगे तकनीक में बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से उसके जीवन में खतरे भी गहराते...
- Advertisement -spot_img
spot_img

स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी का हल्ला बोल, बच्चों-अभिभावकों संग गेट पर धरना

आजमगढ़ में आम आदमी पार्टी का शिक्षा बचाओ आंदोलन तेज, प्राथमिक विद्यालय पल्हनी को बंद करने के फैसले के विरोध में बच्चों-अभिभावकों संग जोरदार...

लायंस क्लब आज़मगढ़ की नई कार्यकारिणी गठित, ओम प्रकाश बने अध्यक्ष

लायंस क्लब आज़मगढ़ की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। ओम प्रकाश अग्रवाल बने अध्यक्ष। पर्यावरण संरक्षण हेतु 15 अगस्त तक पौधरोपण अभियान चलाने का...