मध्याह्न भोजन योजना घोटाला : बेसिक शिक्षा विभाग में 11 करोड़ का खुला खेल





मध्याह्न भोजन योजना घोटाला: बेसिक शिक्षा विभाग में 11 करोड़ का बड़ा खेल उजागर


अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

मध्याह्न भोजन योजना घोटाला उजागर होने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग से लेकर मदरसों तक हड़कंप मचा हुआ है।
प्रारंभिक जांच में वर्ष 2021 से 2025 के बीच लगभग 11 करोड़ रुपये की हेराफेरी की पुष्टि की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • मध्याह्न भोजन योजना घोटाला लगभग 11 करोड़ रुपये तक पहुंचा बताया जा रहा है।
  • जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ल की तहरीर पर मामला दर्ज हुआ।
  • कम से कम आठ विद्यालयों और कुछ सीमावर्ती मदरसों पर मध्याह्न भोजन योजना घोटाला संदेह के घेरे में।
  • बेसिक शिक्षा विभाग के एक संविदा अधिकारी और मदरसा प्रबंधन से जुड़े कई लोगों से पूछताछ जारी।

बेसिक शिक्षा विभाग में चल रही मध्याह्न भोजन योजना को गरीब व जरूरतमंद बच्चों के पोषण
का सबसे अहम आधार माना जाता है, लेकिन अब यही योजना एक बड़े
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला के रूप में सामने आई है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) शुभम शुक्ल की तहरीर के आधार पर
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मध्याह्न भोजन योजना घोटाला की
जांच तेज कर दी गई है।

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने पुष्टि की है कि फिलहाल आठ विद्यालयों में
अनियमितताओं के प्रमाण मिले हैं, हालांकि जांच की गोपनीयता के कारण अभी किसी भी विद्यालय का नाम
औपचारिक रूप से उजागर नहीं किया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि
वर्ष 2021 से 2025 के बीच चले इस मध्याह्न भोजन योजना घोटाला में
लगभग 11 करोड़ रुपये का लेन-देन संदिग्ध पाया गया है।

कैसे सामने आया मध्याह्न भोजन योजना घोटाला?

अधिकारियों के अनुसार मध्याह्न भोजन योजना घोटाला का मामला तब सामने आया,
जब रिकॉर्ड की नियमित समीक्षा के दौरान भोजन की आपूर्ति, विद्यार्थियों की संख्या और बिलिंग के आंकड़े
आपस में मेल नहीं खा रहे थे। इसी बीच बीएसए शुभम शुक्ल ने विस्तृत जांच करवाई, तो पाया गया कि
कई विद्यालयों में कागज़ों पर तो भोजन लाखों रुपये का दिखाया गया, लेकिन वास्तविक स्तर पर
इतनी मात्रा में भोजन परोसे जाने के प्रमाण नहीं मिले।

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बताया जा रहा है कि कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों के मदरसों और स्कूलों में
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला का दायरा ज्यादा बड़ा दिखाई दे रहा है।
वहीं, वित्तीय लेन-देन और बैंक खातों के विवरण खंगालने पर यह शक और गहरा हो गया कि
सर्वाधिक लाभ कुछ चुनिंदा व्यक्तियों ने ही उठाया है।

आठ विद्यालय और मदरसे जांच के घेरे में

अभी तक की जानकारी के मुताबिक कम से कम आठ विद्यालयों में
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला का सीधा संदेह जताया गया है।
इनमें सीमावर्ती इलाकों के कुछ मदरसे और प्राथमिक विद्यालय शामिल बताए जा रहे हैं।
पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से इन संस्थानों का रिकॉर्ड जब्त कर
एक-एक दस्तावेज़ की जांच कर रहे हैं, ताकि मध्याह्न भोजन योजना घोटाला
के वास्तविक पैमाने और जिम्मेदार लोगों की सटीक पहचान की जा सके।

अधिकारियों ने साफ किया है कि अभी किसी भी विद्यालय या मदरसे का नाम सार्वजनिक करना
जांच के हित में उचित नहीं है। हालांकि, यह भी संकेत दिए जा रहे हैं कि जैसे-जैसे
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला की परतें खुलेंगी, वैसे-वैसे और विद्यालयों के नाम भी
सामने आ सकते हैं।

संविदा अधिकारी और मदरसा प्रबंधन पर कड़ी निगाह

पूरे मध्याह्न भोजन योजना घोटाला में बेसिक शिक्षा विभाग के एक
संविदा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। प्रारंभिक स्तर पर यह आरोप है कि
इस संविदा अधिकारी ने कुछ मदरसों से जुड़े लोगों के साथ मिलकर डेटा, बिल और उपस्थिति
के आंकड़ों में हेराफेरी कर मध्याह्न भोजन योजना घोटाला को अंजाम दिया।
फिलहाल इस अधिकारी सहित कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि मदरसा प्रबंधन से जुड़े कुछ लोग भी इस
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला की कड़ी हो सकते हैं।
क्योंकि जहां-जहां विद्यार्थियों की संख्या कागज़ों पर अधिक दिखाई गई, वहीं भोजन आपूर्ति के
बिलों में भी समानुपातिक वृद्धि दर्ज की गई। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं
कि इस पूरे मध्याह्न भोजन योजना घोटाला का मास्टरमाइंड कौन है और
रुपयों की यह लंबी चेन किन-किन खातों तक पहुंची।

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2021 से 2025 तक 11 करोड़ की हेराफेरी की पुष्टि

बीएसए और पुलिस की साझा जांच रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 से 2025 तक जारी
मध्याह्न भोजन योजना के बजट और वास्तविक व्यय में भारी अंतर मिला है।
जांच अधिकारियों ने लगभग 11 करोड़ रुपये की हेराफेरी की पुष्टि की है, जो इस
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला को बेहद गंभीर बना देता है।
साफ है कि यह कोई छोटी-मोटी अनियमितता नहीं, बल्कि सुनियोजित
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला है।

यही कारण है कि पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने स्वयं इस मामले को “गंभीर वित्तीय अपराध” की
श्रेणी में रखते हुए विशेष टीम गठित की है। यह टीम न केवल शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड, बल्कि
आपूर्तिकर्ताओं, परिवहनकर्ताओं और बैंक खातों की भी जांच कर रही है, ताकि
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला के हर पहलू को बेनकाब किया जा सके।

बच्चों के हक पर चोट, भरोसे पर भी सवाल

मध्याह्न भोजन योजना घोटाला केवल आर्थिक अनियमितता नहीं, बल्कि
गरीब बच्चों के अधिकारों पर सीधी चोट है। यह योजना इसलिए शुरू की गई थी कि बच्चे स्कूल आएं,
उन्हें पौष्टिक भोजन मिले और कुपोषण कम हो। लेकिन जब इसी योजना में
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला की खबरें सामने आती हैं, तो
सरकारी तंत्र पर समाज का भरोसा गहराई से डगमगा जाता है।

अभिभावकों का कहना है कि अगर मध्याह्न भोजन योजना घोटाला जैसे मामले
लगातार सामने आते रहे, तो सरकारी स्कूलों और मदरसों की साख पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है।
इसलिए न केवल सख्त कार्रवाई जरूरी है, बल्कि भविष्य के लिए मजबूत निगरानी तंत्र भी विकसित करना होगा।

आगे की कार्रवाई और सिस्टम में सुधार की चुनौती

फिलहाल पुलिस ने मध्याह्न भोजन योजना घोटाला से जुड़े कई संदिग्धों को
हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। कुछ दस्तावेज़ जब्त किए गए हैं और डिजिटल रिकॉर्ड को भी
खंगाला जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इस
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला में शामिल और भी चेहरे सामने आएंगे।

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विशेषज्ञों का मानना है कि केवल दोषियों को सज़ा देना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि
मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए
तकनीक और सामाजिक निगरानी, दोनों की भूमिका को मजबूत करना होगा।
यदि मध्याह्न भोजन योजना घोटाला जैसे मामलों से सीख लेकर सिस्टम को
सुधारा नहीं गया, तो भविष्य में भी बच्चों के नाम पर चल रही योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती रहेंगी।

मध्याह्न भोजन योजना घोटाला: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

मध्याह्न भोजन योजना घोटाला क्या है और कितनी रकम की हेराफेरी सामने आई?

यह मामला बेसिक शिक्षा विभाग के तहत चल रही मध्याह्न भोजन योजना में
वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। रिकॉर्ड और जांच रिपोर्ट के आधार पर
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला में वर्ष 2021 से 2025 के बीच
लगभग 11 करोड़ रुपये की हेराफेरी की पुष्टि की गई है।

मध्याह्न भोजन योजना घोटाला किन वर्षों के दौरान हुआ माना जा रहा है?

मध्याह्न भोजन योजना घोटाला से संबंधित अनियमितताएं मुख्य रूप से
वर्ष 2021 से 2025 के बीच के वित्तीय लेन-देन में पाई गई हैं।
इन्हीं वर्षों के बजट, बिल और उपस्थिति रिकॉर्ड की गहन जांच में
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला का पूरा मामला सामने आया है।

कितने विद्यालय और कौन-कौन से संस्थान जांच के दायरे में हैं?

फिलहाल कम से कम आठ विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना घोटाला
का संदेह है। इनमें सीमावर्ती क्षेत्रों के कुछ मदरसे और प्राथमिक विद्यालय शामिल बताए जा रहे हैं।
अभी किसी भी संस्थान का नाम आधिकारिक रूप से उजागर नहीं किया गया है, क्योंकि
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला की जांच जारी है।

इस मध्याह्न भोजन योजना घोटाला मामले में किन-किन के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है?

जांच एजेंसियां बेसिक शिक्षा विभाग के एक संविदा अधिकारी, कुछ मदरसा प्रबंधन से जुड़े लोगों
और आपूर्ति से जुड़े व्यक्तियों की भूमिका की पड़ताल कर रही हैं। यदि
मध्याह्न भोजन योजना घोटाला में किसी की सीधी संलिप्तता सिद्ध होती है,
तो संबंधित अधिकारियों, संस्थान संचालकों और सहयोगियों के खिलाफ
आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


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