
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
नेता की हत्या से बलिया और लखनऊ में शोक की लहर
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से जुड़े भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष और बजाज शोरूम के मालिक अशोक सिंह की राजस्थान में हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव और भाजपा कार्यकर्ताओं को गहरे सदमे में डाल दिया है।

और तो और, उनके साथ गए कर्मचारी विकास कुमार का शव भी पास के एक अन्य कुएं से बरामद हुआ। इस दोहरे हत्याकांड ने क्षेत्रीय राजनीति और आम जनता के बीच भय और आक्रोश दोनों पैदा कर दिया है।
अशोक सिंह का अंतिम संस्कार लखनऊ के बैकुंठ धाम में किया गया, जबकि विकास कुमार का अंतिम संस्कार बलिया जिले में हुआ। इस दौरान हजारों लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़े और नेता की हत्या पर न्याय की मांग करते दिखे।
नेता की हत्या के पीछे का पूरा मामला
अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर नेता की हत्या कैसे हुई और क्यों उन्हें राजस्थान तक जाना पड़ा? दरअसल, ऑनलाइन ठगों के एक गिरोह ने अशोक सिंह को जाल में फंसाया। उन्हें एक बड़े जनरेटर का सौदा दिखाया गया। बाजार में करीब 9 लाख रुपये का जनरेटर मात्र 3.5 लाख रुपये में देने का लालच दिया गया।
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इसी प्रलोभन में आकर अशोक सिंह अपने कर्मचारी विकास कुमार के साथ 19 सितंबर को दिल्ली होते हुए राजस्थान के जयपुर पहुंचे। यह यात्रा उनके जीवन की आखिरी यात्रा साबित हुई।
नेता की हत्या से पहले गायब हुए थे मोबाइल
जैसे ही अशोक सिंह और विकास कुमार जयपुर पहुंचे, उसके बाद उनका मोबाइल फोन बंद हो गया। परिवार को किसी तरह की जानकारी नहीं मिली। लगातार संपर्क टूटने के बाद चिंता बढ़ने लगी।
21 सितंबर को अशोक सिंह के भाई और आईआरएस अफसर निर्भय नारायण सिंह ने दिल्ली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की और मोबाइल लोकेशन ट्रेस की। इसी प्रक्रिया में लोकेशन राजस्थान के शाहजहांपुर इलाके में मिली।
कुएं से बरामद हुए शव और सनसनी
पुलिस की तलाश मंगलवार को तब खत्म हुई जब शाहजहांपुर क्षेत्र के दो अलग-अलग कुओं से अशोक सिंह और विकास कुमार के शव बरामद हुए। इस खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। परिवार के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे और गांव में मातम पसर गया।
नेता की हत्या से भाजपा संगठन में भी गहरा आक्रोश है। कार्यकर्ता इस बात से हैरान हैं कि जिस व्यक्ति ने किसानों की आवाज़ बुलंद की, वही इतनी निर्दयता से ठगों के जाल में फंसकर मौत का शिकार हो गया।
नेता की हत्या पर पुलिस की कार्रवाई
राजस्थान पुलिस ने इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। साइबर सेल को भी जांच में शामिल किया गया है ताकि ठगों के गिरोह का जल्द से जल्द पता लगाया जा सके। यह भी पढें👉सड़क त्रासदी : बस्ती के करणपुर गांव में विकास के दावों की पोल खुली
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि यह संगठित अपराध है और ऑनलाइन ठग अब सिर्फ पैसों की ठगी ही नहीं, बल्कि जान तक लेने लगे हैं।
पुलिस का कहना है कि जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर पूरा सच सामने लाया जाएगा। हालांकि परिवार और स्थानीय लोग इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस कांड में शामिल सभी दोषियों को कठोर से कठोर सजा दी जाए।
नेता की हत्या से उठे बड़े सवाल
इस दर्दनाक घटना ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या ऑनलाइन ठगी अब हत्या जैसे गंभीर अपराध का रूप ले चुकी है?
क्या पुलिस और प्रशासन आम नागरिकों को ऐसे खतरनाक साइबर जाल से बचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था कर पा रहे हैं?
नेता की हत्या ने यह साबित कर दिया कि केवल सामान्य लोग ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक रूप से सक्रिय लोग भी इस जाल में फंस सकते हैं।
नेता की हत्या का सामाजिक और राजनीतिक असर
नेता की हत्या ने बलिया से लेकर लखनऊ तक राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। भाजपा संगठन से जुड़े नेताओं ने इसे गंभीर सुरक्षा चूक बताया है। वहीं, विपक्षी दल सरकार पर हमला कर रहे हैं और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
अशोक सिंह किसानों के बीच लोकप्रिय नेता माने जाते थे। उनकी अकाल मौत ने किसानों को भी झकझोर दिया है। गांव और आसपास के क्षेत्रों में शोक की गहरी लहर है।
नेता की हत्या से सबक
नेता की हत्या केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि समाज और व्यवस्था दोनों के लिए एक चेतावनी है। यह घटना बताती है कि साइबर अपराध अब सिर्फ ठगी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि संगठित अपराधियों ने इसे हत्या का हथियार बना लिया है।
जरूरी है कि पुलिस प्रशासन ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करे, लोगों को जागरूक बनाए और ठगों के नेटवर्क को पूरी तरह तोड़ दे। अशोक सिंह और विकास कुमार की शहादत व्यर्थ न जाए, यही आज पूरे समाज की मांग है।
