अंबेडकर नगर जिला पंचायत अध्यक्ष श्याम सुंदर वर्मा पर चुनावी झूठा शपथ पत्र देने का गंभीर आरोप, प्रशासन ने शुरू की जांच

श्याम सुंदर वर्मा मतदान के बाद स्याही लगी उंगली दिखाते हुए, अंबेडकर नगर जिला पंचायत चुनाव 2025

अबदुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

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अंबेडकर नगर राजनीति में बड़ा विवाद: क्यों चर्चा में हैं श्याम सुंदर वर्मा?

अंबेडकर नगर की सियासत इन दिनों सुर्खियों में है। यहां के जिला पंचायत अध्यक्ष श्याम सुंदर वर्मा पर अपने 2021 के पर्चा दाखिले के वक्त झूठा शपथ पत्र देने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता मेराज अहमद ने बताया कि श्याम सुंदर वर्मा ने टांडा पूर्वी उत्तरी सीट से चुनाव लड़ते वक्त नामांकन के साथ दिए शपथ पत्र में यह घोषणा की थी कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। चुनाव जीतने के बाद वे अध्यक्ष बने। लेकिन, मेराज अहमद का दावा है कि वर्ष 2018 में इब्राहीमपुर थाने में वर्मा के विरुद्ध एससी/एसटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज था, जिसमें 2019 में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी थी।

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शिकायती पत्र ने मचाई हलचल, प्रशासन जांच में जुटा

मेराज अहमद ने यह शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी, पुलिस अधीक्षक तथा एसडीएम टांडा को प्रेषित कर मामले की निष्पक्ष जांच और कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि झूठा शपथ पत्र दाखिल करना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 125A के अंतर्गत अपराध है, जिसकी पुष्टि हालिया लॉ कमीशन रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों में भी हुई है। यदि यह आरोप सही निकलता है, तो दोषी व्यक्ति की सदस्यता रद्द हो सकती है और दो साल तक की सजा या जुर्माना लग सकता है।

चुनाव में झूठा शपथ पत्र: कानूनी नजरिया और परिणाम

भारत में चुनाव लड़ते समय उम्मीदवार को अपने ऊपर पेंडिंग किसी भी आपराधिक प्रकरण का विवरण देना अनिवार्य है। यदि कोई उम्मीदवार अपने विरुद्ध केस या चार्जशीट छुपाता है, तो नामांकन, चुनाव परिणाम और सदस्यता तीनों संकट में पड़ जाते हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125A के अनुसार जानबूझकर झूठा शपथ पत्र देने पर सदस्यता रद्द हो सकती है और अदालत दो वर्ष तक की सजा या जमानत सुना सकती है। यही नहीं, इस तरह की गतिविधियां ‘भ्रष्ट आचरण’ मानी जाएंगी। चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिये न्यायालय इस पर कड़ा रुख रखता है[web:9][web:14]।

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प्रशासन सतर्क: क्या होगा अगला कदम?

सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने शिकायत का संज्ञान लिया है और संबंधित अधिकारियों को निष्पक्ष जांच का निर्देश दिया है। यदि पड़ताल में आरोप सही पाए जाते हैं, तो न सिर्फ श्याम सुंदर वर्मा की अध्यक्षता जा सकती है बल्कि उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा भी खतरे में पड़ जाएगी। इससे अंबेडकर नगर की राजनीति में हलचल और बढ़ सकती है।

राजनीतिक विरोधियों को मिला बड़ा हथियार

इस पूरे प्रकरण ने श्याम सुंदर वर्मा के विरोधियों को बड़ा हथियार थमा दिया है। अब राजनीति में उनके विरोधी इस मुद्दे को जोरशोर से उठा सकते हैं। फिलहाल, समूचा प्रशासन इस मामले में कानूनी पड़ताल और निष्पक्ष कार्रवाई हेतु गंभीर दिख रहा है।

प्रश्न: श्याम सुंदर वर्मा पर किस प्रकार के आरोप लगे हैं?
उत्तर: उनके खिलाफ आरोप है कि वर्ष 2021 के चुनाव में नामांकन दाखिल करते समय उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे SC/ST एक्ट के मुकदमे का उल्लेख नहीं किया और झूठा शपथ पत्र दाखिल किया।
प्रश्न: यदि आरोप सिद्ध हुए तो क्या कार्रवाई हो सकती है?
उत्तर: लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125A के तहत दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है और दो वर्ष तक की सजा या जुर्माना संभव है।
प्रश्न: प्रशासन ने क्या कदम उठाए हैं?
उत्तर: प्रशासन ने शिकायत की जांच शुरू कर दी है और सभी संबंधित अफसरों को निष्पक्षता बरतने के निर्देश दिए हैं।

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