संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकासखंड के जरका पुरवा मजरे में आज तक बिजली नहीं पहुंची। आजादी के 75 वर्षों बाद भी ग्रामीण अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। सरकार के दावों और योजनाओं के बावजूद ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
जहां एक ओर देश डिजिटल युग की ओर अग्रसर हो रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद का एक गांव आज भी अंधकार के गर्त में डूबा हुआ है। हम बात कर रहे हैं मानिकपुर विकासखंड की ग्राम पंचायत गढ़चपा के अंतर्गत आने वाले मजरा जरका पुरवा की, जहां आजादी के बाद से लेकर आज तक बिजली की सुविधा नहीं पहुंच पाई है।
लगातार प्रयासों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं
सबसे दुखद पहलू यह है कि ग्रामीणों द्वारा कई बार बिजली विभाग के उच्चाधिकारियों को लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन अब तक न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही विद्युत आपूर्ति बहाल की जा सकी। विभाग की लापरवाही इस कदर है कि कागजों में जरका पुरवा में बिजली पहुंच चुकी है, लेकिन हकीकत में लोग आज भी लालटेन और दीयों के सहारे जीवन बिता रहे हैं।
ग्रामीणों ने जताई नाराजगी, पूछा—हमारे साथ भेदभाव क्यों?
ग्रामीणों का कहना है कि
“जब आसपास के सभी गांवों और मजरों में बिजली पहुंच गई है, तब जरका पुरवा को अब तक क्यों अंधेरे में रखा गया है? क्या हम भारतवासी नहीं हैं? क्या हमारा कोई अधिकार नहीं बनता?”
यह सवाल सरकार की ‘सर्वे और सर्वसुविधा’ की नीति पर सीधा प्रहार करता है।
प्रधानमंत्री की मंशा और जमीनी हकीकत में फर्क
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार सार्वजनिक मंचों से कहा है कि
“देश के हर कोने तक बिजली पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है और कोई भी गांव, कोई भी मजरा अब अंधेरे में नहीं रहेगा।”
लेकिन जरका पुरवा की स्थिति इस दावे को खोखला साबित कर रही है। सरकार की ओर से ‘सौभाग्य योजना’, ‘हर घर बिजली योजना’ और ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ के बावजूद भी यह गांव आज भी अंधेरे में सिसक रहा है।
बिजली विभाग की झूठी रिपोर्टिंग—मात्र कागजों में रोशनी
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, बिजली विभाग के कुछ अधिकारियों ने जरका पुरवा में बिजली पहुंचाने की झूठी रिपोर्ट शासन को भेजी है, ताकि उनके कार्य में कमी न दिखाई दे। यह एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही है जो न सिर्फ गरीब ग्रामीणों के साथ अन्याय है, बल्कि शासन की योजनाओं की साख पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
ग्रामीणों ने माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से निवेदन किया है कि वह स्वयं इस मामले का संज्ञान लें और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करें कि जरका पुरवा में तत्काल प्रभाव से बिजली पहुंचाई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि
“अगर अब भी सुनवाई नहीं हुई तो हमें मजबूरी में धरना-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ेगा।”
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में
यह भी उल्लेखनीय है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी इस समस्या पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। यह दर्शाता है कि गांवों की मूलभूत सुविधाएं अभी भी प्राथमिकता की सूची में पीछे छूट रही हैं।
जरका पुरवा का यह मामला सिर्फ एक गांव की समस्या नहीं है, बल्कि यह सरकार की योजनाओं की ज़मीनी सच्चाई को उजागर करता है। जब तक प्रशासन और विभागीय तंत्र जागरूक होकर ईमानदारी से काम नहीं करेंगे, तब तक “सबका साथ, सबका विकास” जैसे नारे केवल भाषणों तक सीमित रह जाएंगे।
ज़रका पुरवा के ग्रामीण आज भी उम्मीद लगाए बैठे हैं—कि शायद इस बार कोई अधिकारी उनके गांव की ओर भी ध्यान देगा और वे भी उस उजाले की दुनिया में कदम रख पाएंगे, जो आज़ादी के बाद से उनसे कोसों दूर रही है।