Sunday, July 20, 2025
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न मानी हार, न छोड़ा साथ – विकास तोमर ने रचा वीरता का इतिहास

शौर्य चक्र विजेता सूबेदार विकास तोमर की वीरता की कहानी: कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अद्वितीय साहस, बरवाला गांव का ऐतिहासिक स्वागत और प्रेरणादायक संघर्ष का परिचय पढ़ें।

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

जब भी देश की सीमाओं पर संकट आता है, तब कोई न कोई बेटा मातृभूमि के लिए सीना तानकर खड़ा हो जाता है। ऐसा ही एक नाम है — सूबेदार विकास तोमर, जो बागपत जनपद के बरवाला गांव के निवासी हैं और भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्स में तैनात हैं। हाल ही में उन्हें भारत सरकार द्वारा शौर्य चक्र जैसे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से नवाज़ा गया — यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश और देश का गर्व है।

गांव की मिट्टी का वीर सपूत: स्वागत में ढोल-नगाड़े और आंसू

जैसे ही विकास तोमर अपने गांव लौटे, बरवाला की गलियों में एक भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। ढोल-नगाड़ों की गूंज, फूल मालाओं से सजी गाड़ी, और चारों ओर “भारत माता की जय” के नारों से माहौल गूंज उठा। लोग सड़क के दोनों ओर खड़े होकर उन्हें सैल्यूट कर रहे थे। यह सिर्फ एक वीर का स्वागत नहीं था, यह संघर्ष और समर्पण की जीत का जश्न था।

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क्यों मिला सूबेदार विकास तोमर को शौर्य चक्र?

इस सम्मान के पीछे है एक रोमांचकारी और साहसिक अभियान की कहानी।

11 सितंबर 2024, जम्मू-कश्मीर के धागरी जंगलों में आतंकियों के खिलाफ एक भीषण ऑपरेशन चलाया गया। पांच दिनों तक चला यह ऑपरेशन बेहद जोखिमभरा और थका देने वाला था।

सूबेदार विकास तोमर ने न सिर्फ अपने घायल साथियों को सुरक्षित बाहर निकाला, बल्कि एक आतंकी को ढेर करते हुए अन्य आतंकियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। उनकी रणनीति और साहस के कारण एक बड़ी आतंकी साजिश समय रहते विफल हो सकी।

पैरा स्पेशल फोर्स का चमकता सितारा

विकास तोमर वन पैराशूट रेजिमेंट यानी पैरा स्पेशल फोर्स के सूबेदार हैं — जो भारतीय सेना की सबसे प्रशिक्षित और साहसी यूनिट्स में गिनी जाती है। यह यूनिट सिर्फ फिजिकल ताकत से नहीं, मानसिक दृढ़ता, रणनीतिक कुशलता और आत्मबलिदान की भावना से संचालित होती है। विकास तोमर इस यूनिट के जीवंत प्रतीक बनकर उभरे हैं।

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गांव ने मनाया ‘शौर्य उत्सव’

बरवाला गांव में विकास तोमर के सम्मान में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और हजारों ग्रामीणों ने उनकी उपस्थिति में वीरता को सैल्यूट किया। मंच से लेकर मैदान तक, हर आंख में गर्व और हर दिल में प्रेरणा की लौ जल रही थी।

प्रेरणादायक संदेश: साहस व्यर्थ नहीं जाता

विकास तोमर की कहानी हमें यही सिखाती है कि देशभक्ति और साहस कभी व्यर्थ नहीं जाता। जब कोई सिपाही देश की सेवा में अपने प्राणों की परवाह किए बिना कर्तव्य निभाता है, तो उसे केवल सम्मान ही नहीं, इतिहास में एक अमिट स्थान मिलता है।

सूबेदार विकास तोमर की वीरता केवल एक सैन्य अभियान की कथा नहीं, बल्कि यह हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो देश की रक्षा के लिए कुछ कर गुजरने का सपना देखता है। बागपत की भूमि आज गर्व से सिर उठाए खड़ी है — क्योंकि उसका एक बेटा भारत मां के चरणों में शौर्य की कहानी लिखकर लौटा है।

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