मृतका माँ का शव लेने से मना किया बड़े बेटे ने, वजह सुनकर लोगों के होश उड़ गए — गोरखपुर की दर्दनाक कहानी





गोरखपुर में बेटे ने मां का शव लेने से किया इनकार — अंतिम संस्कार विवाद

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

गोरखपुर खबर एक बार फिर परिवारिक संवेदनहीनता और मानव मूल्यों पर गहरा सवाल खड़ा कर रही है। कैंपियरगंज इलाके से सामने आया यह मामला न केवल इंसानियत को शर्मसार करता है, बल्कि यह दिखाता है कि “अपशगुन” जैसे बहानों के पीछे रिश्तों की गर्माहट कैसे धीरे-धीरे दम तोड़ रही है।
इस गोरखपुर ब्रेकिंग न्यूज में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मृतका के बड़े बेटे ने “शादी में अपशगुन” का हवाला देकर अपनी ही मां के शव को लेने से इनकार कर दिया।

परिवारिक विवाद, जौनपुर वृद्धाश्रम से जुड़ी घटना, बेटों द्वारा घर से निकालना, अंतिम संस्कार विवाद… ये सभी बातें मिलकर आज की गोरखपुर खबर को एक दर्दनाक सामाजिक आईना बना देती हैं।

शादी में अपशगुन का हवाला देकर बेटे ने कहा — “लाश अभी मत लाना”

जौनपुर के एक वृद्धाश्रम में रह रहे 68 वर्षीय किराना व्यापारी **भुआल गुप्ता** ने जब अपनी पत्नी **शोभा देवी (65)** की मौत की सूचना छोटे बेटे को दी, तो पहले तो उसने औपचारिक सहानुभूति जताई।
लेकिन कुछ ही देर बाद बड़े बेटे का संदेश आया—
“घर में शादी है, अभी लाश मत लाना। 4 दिन फ्रीजर में रख दो, शादी के बाद अंतिम संस्कार कर देंगे।”

यह जवाब भुआल गुप्ता के लिए किसी वज्रपात जैसा था। यही कारण है कि यह गोरखपुर खबर सोशल मीडिया पर लगातार ट्रेंड कर रही है और “अंतिम संस्कार विवाद”, “मां का शव लेने से इनकार” जैसे कीवर्ड लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गए हैं।

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एक साल पहले बेटों ने कहा — “घर पर बोझ बन गए हो”, और उन्हें निकाल दिया

कैंपियरगंज गाँव की इस घटना में एक और चौंकाने वाली परत सामने आती है। मृतका के पति ने बताया कि एक साल पहले ही उनके बड़े बेटे ने कहा था—
“आप लोग हमारे लिए बोझ हैं, घर से बाहर निकल जाइए।”

गोरखपुर ब्रेकिंग न्यूज में यह तथ्य सबसे ज्यादा दर्द देता है कि जिन बच्चों को माता-पिता ने पाला, पढ़ाया, शादी कराई, उन्हीं बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया। मजबूरी में दोनों आत्महत्या तक करने निकल पड़े। लेकिन भगवान रूपी एक व्यक्ति ने राजघाट के पास उन्हें रोककर समझाया और आश्रय खोजने को कहा।

अयोध्या से मथुरा और फिर जौनपुर वृद्धाश्रम — बूढ़े दंपती की दर्दभरी यात्रा

अयोध्या में जगह न मिली।
मथुरा में भी रहने का इंतज़ाम नहीं हुआ।
अंततः जौनपुर के वृद्धाश्रम का नंबर मिला और वहीं से उनकी जिंदगी में थोड़ी रोशनी आई।

वृद्धाश्रम के संचालक **रवि कुमार चौबे** ने दोनों को रहने खाने की व्यवस्था दी। यह वही वृद्धाश्रम है जो अब गोरखपुर खबर और “जौनपुर वृद्धाश्रम” जैसे कीवर्ड के कारण सुर्खियों में है।

19 नवंबर की रात — पत्नी की मौत के साथ बूढ़ा पति टूट गया

किडनी फेल होने के कारण 19 नवंबर की देर रात **शोभा देवी** का निधन हुआ।
बूढ़े पति ने तुरंत बेटों को खबर दी, क्योंकि मृतका की अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार गोरखपुर में हो।

लेकिन जवाब आया—
“शादी है… अपशगुन हो जाएगा… चार दिन बाद देखेंगे…”

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यह गोरखपुर खबर इसलिए भी दर्दनाक है क्योंकि इंसानियत का यह पतन किसी अनजान परिवार में नहीं, बल्कि एक सम्पन्न परिवार में हुआ जो कैंपियरगंज में बड़ी दुकान और आलीशान मकान का मालिक है।

रिश्तेदारों ने घाट पर शव को जबरन मिट्टी में दबाया — अंतिम संस्कार नहीं करने दिया

जब भुआल गुप्ता एंबुलेंस से पत्नी का शव लेकर गांव पहुंचे, तो बड़े बेटे ने घर पर शव लाने से साफ मना कर दिया।
इसके बाद रिश्तेदारों ने मिलकर शव को घाट के पास मिट्टी में दफना दिया।

पति ने रोते हुए कहा—
“चार दिन में तो कीड़े खा जाएंगे… फिर कैसे निकालकर अंतिम संस्कार करेंगे?”

यह दृश्य इतना भावुक था कि गांव के लोगों की आंखें नम हो गईं।
गोरखपुर खबर में यह हिस्सा लोगों को सबसे अधिक विचलित कर रहा है।

पंडित की राय — अब केवल आटे का पुतला बनाकर संस्कार हो सकता है

चूंकि शव को दफना दिया गया था और हिंदू रीति के अनुसार एक बार दफ़नाया गया शव बाहर नहीं निकाला जा सकता, इसलिए पंडितों ने सलाह दी कि
“आटे का पुतला बनाकर उसका विधिवत दाह संस्कार कर दें।”

यह बात भी गोरखपुर खबर का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है और अंतिम संस्कार विवाद अब सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बन गया है।

“बेटा बात नहीं करता था” — वृद्धाश्रम के संचालक का बयान

वृद्धाश्रम हेड रवि चौबे का कहना है कि छोटे बेटे से कभी-कभार बात होती थी, पर बड़ा बेटा कभी फोन तक नहीं करता था।

गोरखपुर ब्रेकिंग न्यूज में यह तथ्य साफ दिखाता है कि रिश्तों की संवेदनशीलता कहीं खोती जा रही है।

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समाज के लिए बड़ा सवाल — क्या अपशगुन का डर मां के अंतिम संस्कार से बड़ा हो सकता है?

गोरखपुर खबर में सामने आया यह मामला हर परिवार के लिए चेतावनी है।
क्या शादी के “शुभ मुहूर्त” में अपशगुन की धारणा इतनी बड़ी हो जाती है कि मां के अंतिम संस्कार जैसे कर्तव्य भी पीछे छूट जाएं?

आज यह गोरखपुर ब्रेकिंग न्यूज लोगों को झकझोर रही है, और पढ़ने वाले हर व्यक्ति के मन में एक ही प्रश्न है —
“कैसे कोई बेटा मां के शव को चार दिन फ्रीजर में रखने की बात कर सकता है?”

गोरखपुर घटना केवल एक खबर नहीं, बल्कि समाज के ताने-बाने पर गंभीर टिप्पणी है।
समय आ गया है कि लोग अपशगुन और दिखावे की बजाय रिश्तों और कर्तव्यों को प्राथमिकता दें।

❓ क्लिक करें और जवाब पढ़ें (FAQ)

1. गोरखपुर में मां का शव लेने से इनकार क्यों किया गया?

बड़े बेटे ने शादी में अपशगुन का हवाला देते हुए शव को चार दिन फ्रीजर में रखने को कहा।

2. मृतका पति भुआल गुप्ता कहां रहते थे?

उन्हें बेटों ने घर से निकाल दिया था, इसलिए वे जौनपुर के वृद्धाश्रम में रहते थे।

3. शव का अंतिम संस्कार क्यों नहीं हुआ?

रिश्तेदारों ने शव को घाट पर मिट्टी में दफना दिया और बाद में पंडितों ने कहा कि बाहर नहीं निकाला जा सकता।

4. अब अंतिम संस्कार कैसे होगा?

पंडितों के मुताबिक, अब आटे का पुतला बनाकर हिंदू रीति से दाह संस्कार किया जाएगा।


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