
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
दबंगों की दबंगई : अनुसूचित जाति की महिला पर हमला
चित्रकूट। सदर कोतवाली क्षेत्र के रगौली चौकी अंतर्गत ग्राम पंचायत लौढ़िया बुजुर्ग में अनुसूचित जाति की एक गरीब महिला पर दबंगों द्वारा हमला किए जाने का मामला सामने आया है। दबंगों की दबंगई का यह ताजा मामला न केवल समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव को उजागर करता है बल्कि पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
दबंगों की दबंगई : मामूली विवाद बना जानलेवा हमला
पीड़िता बेशनिया देवी पत्नी राम सुमेर ने बताया कि उनके पड़ोस के रहने वाले आशीष कुमार पाल और मनीष कुमार पाल पुत्र हेमराज पाल ने 19 सितंबर को जमकर मारपीट की। विवाद का कारण चार पहिया वाहन (डग्गा) निकलते समय चबूतरा गिर जाना बताया गया। पीड़िता के अनुसार मामूली कहासुनी के बाद दबंगों ने पहले लात-घूंसों से मारा, फिर जमीन पर पटककर बेरहमी से पिटाई की।
दबंगों की दबंगई : कपड़े फाड़े, गला दबाया और बुजुर्ग सास को भी धकेला
बेशनिया देवी ने कहा कि हमलावरों ने न केवल कपड़े फाड़े बल्कि गला दबाकर पटक दिया। पीड़िता की 70 वर्षीय सास को भी धक्का देकर गिरा दिया गया। जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया और जान से मारने की धमकी भी दी गई। पीड़िता की 10-12 वर्षीय नाबालिग पुत्री महिमा बीच बचाव करने पहुंची, लेकिन दबंग लोग लगातार मारपीट करते रहे। इस घटना से महिला और उसके परिवार में भय का माहौल है।
दबंगों की दबंगई : गंभीर चोटें और पुलिस की चुप्पी
पीड़िता ने बताया कि लाठी से वार किया गया, गर्दन दबाई गई, कपड़े फाड़े गए और सड़क पर पटक-पटककर मारा गया। इससे उसे अंदरूनी और गंभीर चोटें आईं। बुजुर्ग सास भी चोटिल हुईं। पीड़िता ने सदर कोतवाली कर्वी में प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई।
रगौली चौकी पुलिस ने पीड़िता के घर पहुंचकर जांच तो की और आरोपियों को चौकी भी ले गई, लेकिन कुछ देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है।
दबंगों की दबंगई : जागरूकता अभियान के बावजूद हिंसा जारी
इस घटना की जानकारी मिलते ही ‘जीत आपकी चलो गांव की ओर जागरूकता अभियान’ के संस्थापक अध्यक्ष संजय सिंह राणा मौके पर पहुंचे। उन्होंने पीड़िता से मुलाकात की और पूरा घटनाक्रम जाना। राणा ने कहा कि मामूली विवाद के चलते दबंगों ने अनुसूचित जाति की महिला को निशाना बनाया। उन्होंने यह भी बताया कि पहले भी महिला के साथ मारपीट की जा चुकी है लेकिन सामाजिक दबाव के कारण मामला दबा दिया गया।
दबंगों की दबंगई : मिशन नारी शक्ति पर सवाल
एक तरफ सरकार मिशन नारी शक्ति के तहत महिलाओं को सशक्त करने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ गांव-गांव में महिलाओं के साथ हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। दबंगों की दबंगई इस बात की ओर इशारा करती है कि जमीनी स्तर पर महिला सुरक्षा की स्थिति अभी भी दयनीय है।
दबंगों की दबंगई : जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता की जड़ें
यह मामला केवल एक महिला पर हमले का नहीं है बल्कि यह जातिगत भेदभाव और सामाजिक असमानता की गहरी जड़ों को भी उजागर करता है। पीड़िता ने खुद को अनुसूचित जाति ‘चमार बिरादरी’ से बताया और आरोप लगाया कि दबंग लोग पैसे और ताकत के बल पर बार-बार उसे निशाना बनाते हैं।
दबंगों की दबंगई : कानून व्यवस्था पर उठते प्रश्न
ऐसे मामलों में पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता गंभीर चिंता का विषय है। यदि समय पर एफआईआर दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होती तो शायद पीड़िता को बार-बार यह यातना नहीं झेलनी पड़ती। यह सवाल अब पूरे जिले में उठ रहा है कि क्या पुलिस प्रशासन दबंगों की मनमानी रोकने के लिए ठोस कदम उठाएगा या नहीं।
दबंगों की दबंगई : आवश्यक कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी हो। साथ ही अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके।
दबंगों की दबंगई : समाज को सोचने पर मजबूर करने वाला मामला
यह घटना समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर कब तक गरीब और कमजोर वर्ग की महिलाओं को इस तरह उत्पीड़न का शिकार होना पड़ेगा। मिशन नारी शक्ति जैसी योजनाएं तभी सफल होंगी जब जमीनी स्तर पर पुलिस प्रशासन और समाज मिलकर पीड़ितों को सुरक्षा और न्याय दिलाएंगे।
दबंगों की दबंगई पर लगाम जरूरी
चित्रकूट का यह मामला प्रशासन, समाज और सरकार तीनों के लिए चेतावनी है। महिला सुरक्षा और सम्मान की गारंटी तभी होगी जब कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाएगा और दबंगों की दबंगई पर लगाम लगेगी।
