
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
छलका दर्द आजम खान का – जेल से रिहाई के बाद पहली प्रतिक्रिया
सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खान का छलका दर्द साफ दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि उन पर जो भी मामले लगाए गए, वे राजनीतिक प्रतिशोध की उपज थे। आजम खान ने दो टूक कहा कि “प्रतिशोध तभी लागू होता है, जब मैंने किसी को नुकसान पहुंचाया हो। मैंने हमेशा अच्छा व्यवहार किया है, यहां तक कि अपने दुश्मनों के साथ भी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि उन्होंने किसी के साथ अन्याय किया है। इस बयान ने सियासी गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है।
छलका दर्द और अखिलेश यादव का समर्थन
आजम खान की रिहाई पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी खुशी जाहिर की और अदालत का आभार व्यक्त किया। अखिलेश यादव ने साफ कहा कि अगर सपा सत्ता में आती है तो आजम खान समेत पार्टी नेताओं पर लगे सभी “झूठे मामले” वापस लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा, “समाजवादी पार्टी को भरोसा था कि न्यायालय न्याय करेगा। आजम खान को झूठे मुकदमों में फंसाया गया था। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं।”
यही नहीं, अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि एक ही अधिकारी को लगातार सेवा विस्तार देकर विपक्षियों को टारगेट करने की कोशिश की गई।
छलका दर्द और बसपा में जाने की अटकलें
आजम खान की रिहाई के बाद सबसे बड़ा सवाल उठ रहा था कि क्या वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल होंगे। इस पर भी उन्होंने छलका दर्द जाहिर करते हुए कहा, “ये वही लोग बता सकते हैं जो अटकलें लगा रहे हैं। मैंने जेल में किसी से मुलाकात नहीं की। मुझे फोन करने की भी इजाजत नहीं थी। पिछले पांच साल से मैं पूरी तरह से संपर्क से बाहर रहा।”
इस बयान से साफ हो गया कि आजम खान का सपा छोड़कर बसपा में जाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है।
छलका दर्द और शिवपाल सिंह यादव का बयान
सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने भी आजम खान का समर्थन करते हुए कहा कि योगी सरकार ने उन्हें झूठे मामलों में फंसाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग कर विपक्षी नेताओं पर दबाव बनाया।

शिवपाल यादव का यह बयान भी आजम खान के छलका दर्द को और ज्यादा मजबूती देता है, क्योंकि वे लंबे समय से सरकार के निशाने पर बताए जाते रहे हैं।
छलका दर्द और जेल का अनुभव
आजम खान ने जेल से निकलने के बाद मीडिया से कहा कि जेल में रहकर उन्होंने सबसे बड़ी सजा यह झेली कि उन्हें अपने समर्थकों और परिवार से मिलने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने भावुक लहजे में कहा कि पिछले पांच सालों में उन्होंने किसी से भी मुलाकात नहीं की और न ही फोन पर संपर्क कर पाए।
उनका यह अनुभव बताता है कि राजनीति में प्रतिशोध किस हद तक पहुंच सकता है। यही वजह है कि उनका छलका दर्द बार-बार शब्दों में छलक कर बाहर आ रहा है।
छलका दर्द और भाजपा पर सीधा निशाना
आजम खान ने बिना नाम लिए भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह सब राजनीति से प्रेरित है और उन्हें विपक्षी दल के एक बड़े नेता होने की सजा दी गई। अखिलेश यादव ने भी कहा था कि भाजपा सरकार झूठे मुकदमे दर्ज कर विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।
आजम खान की रिहाई के बाद भाजपा और सपा समर्थकों के बीच राजनीतिक खींचतान और तेज होने की संभावना है।
छलका दर्द और जनता की सहानुभूति
आजम खान का बयान न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आम जनता में भी चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इसे राजनीतिक उत्पीड़न का उदाहरण मान रहे हैं। वहीं, उनके समर्थकों का कहना है कि आजम खान ने हमेशा गरीबों और अल्पसंख्यकों की आवाज उठाई है, इसी वजह से उन्हें सत्ता के खिलाफ खड़ा होने की सजा दी गई।
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उनका छलका दर्द सपा कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और आने वाले चुनावों में पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में मददगार साबित हो सकता है।
छलका दर्द बना सियासत का मुद्दा
आजम खान की रिहाई के बाद उनका छलका दर्द न केवल मीडिया की सुर्खियों में है, बल्कि यह आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश की राजनीति का अहम मुद्दा बन सकता है। भाजपा पर लगे आरोप, अखिलेश यादव का समर्थन और शिवपाल सिंह का हमला—यह सब मिलकर सियासत को और गरमा देंगे।
आजम खान का कहना कि उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, विपक्ष को मजबूती देता है और जनता की सहानुभूति भी दिलाता है। अब देखना होगा कि उनका यह दर्द सपा के लिए किस तरह चुनावी फायदा लेकर आता है।
