Sunday, July 20, 2025
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14 कत्ल, नरमुंड की अदालत और भेजे का सूप — ये था ‘राजा कोलंदर’ का खौफनाक खेल

लखनऊ की CBI अदालत ने 14 हत्याओं के दोषी सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले को उम्रकैद की सजा सुनाई। पढ़ें इस साइको किलर की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी।

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

लखनऊ। देश के सबसे सनकी सीरियल किलर्स में शुमार राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर को आखिरकार न्याय की अदालत ने उसके घिनौने अपराधों की सजा सुना दी है। लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने शुक्रवार को मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की हत्या के मामले में राजा कोलंदर और उसके साले बच्छराज को उम्रकैद की सजा दी है।

गौरतलब है कि राजा कोलंदर ने न सिर्फ हत्या की, बल्कि एक ऐसी काल्पनिक अदालत भी चला रखी थी, जहां वह नरमुंडों को अपने मुजरिम घोषित करता था और खुद को ‘राजा’ मानकर फैसले सुनाता था।

कौन है राजा कोलंदर?

राजा कोलंदर का असली नाम राम निरंजन है, जो प्रयागराज के नैनी क्षेत्र स्थित गंगानगर का रहने वाला था। वह COD छिवकी में चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी था। लेकिन धीरे-धीरे उसकी सनकी सोच उसे जुर्म की खतरनाक दुनिया में ले गई।

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राम निरंजन पर कुल 14 हत्याओं का आरोप है। कोर्ट ने अभी मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव की हत्या में दोषी पाते हुए उसे उम्रकैद दी है।

‘राजा कोलंदर’ नाम कैसे पड़ा?

दरअसल, राम निरंजन खुद को राजा समझता था और एक अदालत चलाता था — लेकिन यह अदालत आम नहीं थी। यह अदालत नरमुंडों की थी, जो उसने प्रयागराज में अपने फार्म हाउस के पीछे बनवाई थी।

उस जगह एक टीला था, जहां वह बैठकर फैसले सुनाता था और उसके सामने अलग-अलग रंग से रंगे हुए नरमुंड रखे जाते थे। तत्कालीन एसपी सिटी लालजी शुक्ला की अगुवाई में जब पुलिस ने छानबीन की, तो यह रोंगटे खड़े कर देने वाली सच्चाई सामने आई।

हत्या की सनक और डरावनी सोच

राजा कोलंदर की हत्याएं किसी सामान्य अपराधी की तरह नहीं थीं। उसने अपनी हत्याओं को एक सैद्धांतिक प्रयोग की तरह अंजाम दिया।

पुलिस की जांच में सामने आया कि वह मरने वाले का मस्तिष्क निकालकर उसका सूप पीता था। उसका मानना था कि इससे वह उस व्यक्ति की खासियत को आत्मसात कर सकता है।

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उदाहरण के तौर पर, उसने एक ब्राह्मण की हत्या इसलिए की क्योंकि उसे लगा ब्राह्मण का दिमाग तेज होता है। यही नहीं, उसने पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या सिर्फ इस वजह से कर दी क्योंकि उस पत्रकार ने उसे चुनौती दी थी।

राजा कोलंदर ने जाति और धर्म के आधार पर भी लोगों को अपना निशाना बनाया — ब्राह्मण, कायस्थ, ठाकुर, मुस्लिम, तेली — हर जाति के लोगों को उसने किसी विशेषता के चलते मारा।

नरमुंड ही बनते थे उसके ‘मुजरिम’

हर हत्या के बाद वह मृतक की खोपड़ी को अलग रंग से रंगता और अपनी अदालत में रखता था। उसका मानना था कि जिन्हें वह मारता है, वही उसके अपराधी होते हैं। और वह स्वयं जज यानी राजा होता था, जो फैसला सुनाता था।

राजा कोलंदर की यह कहानी किसी हॉरर फिल्म जैसी लगती है, लेकिन यह एक सच है — भारत के न्याय तंत्र ने अब उसे उसकी हकीकत की अदालत में सजा सुना दी है। CBI कोर्ट के इस फैसले से न केवल पीड़ित परिवारों को न्याय मिला है, बल्कि समाज को भी एक कड़ा संदेश गया है कि अपराध कितना भी गूढ़ और डरावना हो, कानून से बचना नामुमकिन है।

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