
ताज़ा/लोकल रिपोर्ट
शाहाबाद/हरदोई: शाहाबाद नगर क्षेत्र और आसपास के मोहल्लों में प्रतिबंधित चाइनीज मांझा फिर से गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। तेज़ और कांच-कोटेड इस मांझे ने हाल के वर्षों में कई जख़्मी व मृत्यु-प्रकरण दिए हैं, लेकिन स्थानीय बाजारों में इसकी बिक्री रुकी नहीं है।
पूर्व के हादसे और प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय लोगों ने बताया कि यह कोई नई समस्या नहीं है। बीते सालों में कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं — एक वकील की उंगलियां कटना, परीक्षा लौट रहे व्यक्ति की मौके पर मौत और एक महिला सिपाही की नाक व आंख पर गंभीर चोटें उस सूची में शामिल हैं। बावजूद इसके प्रशासन की गतिविधियां अक्सर औपचारिक और सीमित रहती हैं।
स्थानीय नाराजगी: “हमें जागरूक अभियान और सख्त कार्रवाई चाहिए, न कि केवल दिखावटी छापेमारी”, एक गृहिणी ने कहा।
मोहल्ला कटरा: पूर्व सभासद के बेटे की गर्दन कटी — हालत गंभीर
ताज़ा घटना मोहल्ला कटरा में हुई, जहां पूर्व सभासद रामचंद्र गुप्ता उर्फ गुड्डू के 16 वर्षीय पुत्र चेतन गुप्ता की गर्दन में उड़ते हुए चाइनीज मांझे का धागा फंस गया। परिजन उसे तुरंत निजी अस्पताल ले गए, जहां से चिकित्सकों ने गंभीर हालत के चलते शाहजहांपुर रेफर कर दिया। फिलहाल चेतन का इलाज शाहजहांपुर के रिफर किए गए अस्पताल में चल रहा है और उसकी हालत नाज़ुक बतायी जा रही है।
परिवार ने बताया कि चेतन अपने एक मित्र के साथ बाइक से तहसील जा रहा था, तभी माता के तालाब मोहल्ले के पास अचानक हवा में लहरा रहा मांझा उसकी गर्दन में घुस गया। धागे ने गहरी चोट करते हुए खून बहने का कारण बना और चेतन बेहोश होकर गिर पड़ा।
बाजारों में धड़ल्ले से बिक रहा मांझा — दुकानदारों के हौसले बुलंद
स्थानीय दुकानदारों के अनुसार छोटी दुकानों और ठेलों पर चाइनीज मांझे की खुलेआम बिक्री हो रही है। पकड़े जाने पर प्रशासन कुछ घंटों की कार्रवाई करता है, पर जमानत मिलते ही अधिकांश विक्रेता फिर से बिक्री पर लौट आते हैं। इससे विक्रेताओं के हौसले बढ़ते हैं और बाजार में यह सामान सहजता से मिल जाता है।
विकास और सुरक्षा से जुड़े सामाजिक समूहों का कहना है कि केवल प्रतिबंध कागज़ों पर रह गया है; जमीन पर निगरानी और निरंतरता न के बराबर है।
प्रशासन पर उठ रहे हैं सवाल — क्या हो रही है नाकामी?
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि पुलिस औपचारिकता के लिए छापेमारी करती है परंतु सख्त कार्रवाई, परिवहन मार्गों पर रोक या स्थायी तहकीकात नहीं की जा रही। प्रशिक्षणहीन छापेमारी और मामूली जुर्माने से समस्या हल नहीं होगी; इसलिए नागरिक और व्यापारी दोनों ही यह मांग उठा रहे हैं कि कानून के दायरे में क्रियान्वयन स्पष्ट और प्रभावी हो।
सुझाव (स्थानीय): 1) चाइनीज मांझे के उत्पादकों/आयातकों तक पहुंचकर कार्रवाई, 2) स्कूलों के आसपास पेट्रोलिंग, 3) घायल लोगों के लिए फास्ट ट्रैक मेडिकल सहायता योजना, 4) पुनरावृत्ति पर भारी जुर्माना और दुकानें सील।
नागरिक सुरक्षा और मेडिकल इमरजेंसी की चुनौती
ऐसे हादसों में घायल व्यक्ति को त्वरित प्राथमिक चिकित्सा और रक्त की उपलब्धता जीवनरक्षक साबित होती है। पर स्थानीय अस्पतालों में तत्काल उपलब्ध संसाधन और विशेषज्ञों की कमी के कारण मरीजों को अक्सर दूर के शहरों में रेफर करना पड़ता है — जैसा कि चेतन के साथ हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि ग्रामीण-शहरी सीमा वाले कस्बों में बेसिक इमरजेंसी सर्विसेस को दुरुस्त करने की तत्काल आवश्यकता है।
स्थानीय प्रतिक्रिया और आगे के कदम
शाहाबाद की जनता, विद्यालय प्रबंधक, व्यापार संघ और सामाजिक संगठन मिलकर प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि—
- बिक्री-स्थलों पर नियमित निगरानी और रैपिड प्रतिक्रिया टीम की तैनाती
- किसी को भी प्रतिबंधित मांझा रखने पर कड़ी सजा तथा दुकानें सील करने की व्यवस्था
- स्कूलों में मांझा-खेल संबंधित जागरुकता कार्यक्रम और सुरक्षित वैकल्पिक किट का प्रचार
- घायलों के लिए मेडिकल मुआवजा और त्वरित आपातकालीन परिवहन सेवा
स्थानीय थाना प्रभारी से पूछताछ के लिए संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि “हम नियमित छापेमारी कर रहे हैं; हर पकड़े गए मामले में विधिक कार्रवाई की जा रही है” — पर पीड़ित परिवारों और नागरिकों का मानना है कि कार्रवाई सतही रहती है और प्रभावी रोकथाम न के बराबर है।
निष्कर्ष
चाइनीज मांझा की वजह से होने वाले हादसे प्रतीक हैं कि प्रतिबंध मात्र कागज़ों तक सीमित न रह जाएं। यदि प्रशासन, पुलिस और स्थानीय समाज मिलकर सजा-आमल, निरंतर निगरानी और जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाते हैं तो ऐसे हादसे बार-बार होते रहेंगे। फिलहाल चेतन गुप्ता की हालत गंभीर है और परिवार उजागर कर रहा है कि उन्हें त्वरित और स्थायी सुरक्षा उपाय चाहिए ताकि किसी और परिवार को ऐसा दर्दनाक अनुभव न सहना पड़े।
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