
अब्दुल मोबीन सिद्दिकी की रिपोर्ट
गोंडा: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बयान सुर्खियों में है। कैसरगंज से पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अपने इंटरव्यू में ऐसा ऐलान कर दिया है जिसने यूपी के राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह 2027 में नहीं, बल्कि 2029 लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और उन्हें रोकने की शक्ति “दुनिया की किसी ताकत” में नहीं है।
उनका यह बयान न सिर्फ उनके समर्थकों में नई ऊर्जा भरता है, बल्कि भाजपा की भविष्य की रणनीतियों, कैसरगंज क्षेत्र की राजनीतिक रूपरेखा और यूपी की व्यापक राजनीति में एक बड़ा संकेत छोड़ता है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव आज से ही राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बन चुका है।
2027 के विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे—क्या कहा पूर्व सांसद ने?
जब उनसे 2027 के विधानसभा चुनाव के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बड़ी स्पष्टता के साथ कहा कि उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए कोई तैयारी नहीं की है। इसलिए 2027 के चुनाव मैदान में उतरने की संभावना लगभग न के बराबर है।
उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा—
“2027 का चुनाव मैं नहीं लड़ूंगा। लेकिन 2029 का लोकसभा चुनाव 100% लड़ूंगा।”
यही बयान आने वाले दिनों में यूपी की राजनीतिक चर्चा का सबसे बड़ा केंद्र बनने वाला है क्योंकि बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव पहले से ही बीजेपी संरचना, कैसरगंज के संगठन और क्षेत्रीय समीकरणों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
“मैं भाजपा में हूं और भाजपा में ही रहूंगा” — बड़ा राजनीतिक संदेश
पूर्व सांसद पर जब यह सवाल दागा गया कि क्या वह बीजेपी से नाराज़ हैं या फिर किसी और पार्टी की ओर रुख कर सकते हैं, तो उन्होंने इसका बेहद प्रभावी जवाब दिया। उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा—
“मैं भाजपा में हूं और भाजपा में ही रहूंगा। मेरी आत्मा और विचारधारा भाजपा के साथ है।”
यौन शोषण के आरोपों के बाद भले ही पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज से प्रत्याशी बनाया हो, लेकिन उन्होंने कहा कि:
- उनका एक बेटा बीजेपी से सांसद है
- दूसरा बेटा विधायक है
- उनके भतीजे ब्लॉक प्रमुख हैं
- पत्नी भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं
इन तथ्यों के संदर्भ में उनके बयान का अर्थ साफ है—उन्हें न संगठन से नाराज़गी है और न पार्टी बदलने का कोई इरादा। इसीलिए बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव सीधे बीजेपी के टिकट पर लड़ने का दावा उनकी राजनीतिक स्थिरता और संगठन पर पकड़ को मजबूत करता है।
“सच बोलता हूं तो लोग बागी समझ लेते हैं” — दिलचस्प शायरी भी पढ़ी
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने मीडिया में चल रही नाराज़गी की खबरों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके “सच बोलने” की आदत को लोग अक्सर बगावत समझ लेते हैं। उन्होंने कहा—
“मैं सत्य बोल देता हूं तो लोग सोचते हैं कि मैं बागी हो गया।”
इसके साथ ही उन्होंने एक शायरी पढ़ी जो राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा में है—
“किसी सोते को गफलत से जगा देना बगावत है…
किसी कमजोर के हक को दिला देना बगावत है…
अगर सच्चाइयों का गीत गाना बगावत है…
तो हम भी एक बागी हैं, मेरा मजहब बगावत है।”
यह शायरी न सिर्फ उनके राजनीतिक तेवरों को दर्शाती है, बल्कि 2029 के लिए उनकी तैयारी को भी मजबूत संकेत देती है। समर्थकों में यह संदेश तेजी से फैल रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव एक बड़े संघर्ष और प्रतिद्वंद्विता का केंद्र बनने वाला है।
2029 चुनाव की ज़मीन तैयार — कैसरगंज में मजबूत समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कैसरगंज सीट पर उनकी पैठ आज भी बेहद मजबूत है। हालांकि उनके खिलाफ कई विवाद रहे हैं, लेकिन क्षेत्रीय जनसंपर्क, संगठनात्मक पकड़ और दबंग नेतृत्व शैली के कारण उनके समर्थक आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
इसीलिए बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव सिर्फ व्यक्तिगत संभावना नहीं, बल्कि कैसरगंज क्षेत्र की राजनीतिक संरचना में एक बड़ा बदलाव भी ला सकता है।
क्यों 2029 चुनाव पर इतना बड़ा दांव?
पहला कारण — पिछले 30 वर्षों का चुनावी अनुभव।
दूसरा — परिवार का तीन पीढ़ियों तक मजबूत राजनीतिक दखल।
तीसरा — क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत जमीनी समर्थन।
चौथा — भाजपा नेतृत्व से निरंतर संवाद और रिश्ते।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि कैसरगंज सीट पर उनकी पकड़ चुनाव परिणामों को काफी प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष: यूपी की राजनीति में 2029 की शुरुआत अभी से
यह स्पष्ट है कि यह ऐलान सिर्फ एक बयान नहीं बल्कि 2029 की राजनीति का शुरुआती बिगुल है। उनकी राजनीतिक पूंजी, क्षेत्रीय पकड़ और संगठनात्मक नेटवर्क को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आगामी महीनों में बृजभूषण शरण सिंह 2029 लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश की सियासत का प्रमुख मुद्दा बनने जा रहा है।
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क्या बृजभूषण शरण सिंह 2029 में BJP से ही चुनाव लड़ेंगे?
हाँ, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह भाजपा में हैं और भाजपा में ही रहेंगे। वहीँ से चुनाव लड़ेंगे।
क्या 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरेंगे?
नहीं, उन्होंने कहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने तैयारी नहीं की है, इसलिए वे 2027 नहीं लड़ेंगे।
क्या कैसरगंज सीट पर उनकी पकड़ अभी भी मजबूत है?
हाँ, समर्थकों और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर उनकी पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है।