Saturday, July 26, 2025
spot_img

मस्जिद में अखिलेश, मंदिर में योगी—चुनावी तस्वीरें या सियासी मजबूरी?

“उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब धार्मिक छवियां नए सियासी समीकरण गढ़ रही हैं। अखिलेश यादव मस्जिद में, योगी मंदिर में—क्या यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है? जानिए इस सियासी रंगभेद पर विस्तृत विश्लेषण।

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर रंग बदलती नज़र आ रही है—और इस बार यह रंग धार्मिक प्रतीकों की ज़ुबान में खुद को व्यक्त कर रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव मस्जिद में नमाज़ियों के बीच तस्वीर खिंचवाते नजर आते हैं, तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कांवड़ यात्रा में फूल बरसाते दिखते हैं। सवाल यह है कि यह सिर्फ ‘धार्मिक आयोजन’ हैं या फिर 2027 के विधानसभा चुनाव की सुनियोजित सियासी रंगशाला का हिस्सा?

🔴 सियासत में सेक्युलरिज्म या संयोग?

अखिलेश यादव की मस्जिद में मौजूदगी को बीजेपी “तुष्टिकरण की राजनीति” बता रही है, जबकि सपा इसे “गंगा-जमुनी तहजीब” के प्रतीक के रूप में पेश कर रही है। दूसरी ओर, योगी आदित्यनाथ की मंदिर यात्राएं, धार्मिक आयोजनों में गहरी भागीदारी और कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा—यह सब भाजपा के “हिंदुत्व प्लस विकास” फॉर्मूले को और चमकाने की कोशिश मालूम होती है।

इसे भी पढें  “रावण”, सल्फास खाकर झुलस गया मौत की आग में, गांव में पसरा मातम

दोनों छोरों पर दो तस्वीरें हैं—लेकिन एक ही लक्ष्य: जनता का भरोसा और सत्ता की वापसी।

🟢 क्या यूपी में ‘भगवा-हरा गठजोड़’ का संकेत है ये?

यहां एक रोचक परिदृश्य उभरता है—क्या यूपी की राजनीति अब धार्मिक ध्रुवीकरण से इतर सांकेतिक समन्वय की ओर बढ़ रही है? क्या सपा अब केवल मुसलमानों की पार्टी की छवि को तोड़ना चाहती है और क्या भाजपा अपने कट्टर हिंदुत्व से इतर समावेशी चेहरा दिखाने की कोशिश कर रही है?

इसे भी पढें  बिजली दरों में इतिहास की सबसे बड़ी वृद्धि का शहरी-ग्रामीण उपभोक्ताओं पर पड़ेगा सीधा असर

हालांकि, यह भी संभव है कि यह सिर्फ प्रतिस्पर्धी ध्रुवीकरण है—एक पक्ष मुस्लिमों को साधे, दूसरा हिंदुओं को। जनता के बीच ध्रुवीकरण बना रहे, परंतु संतुलन दिखे।

🟣 राजनीति की नई पटकथा: प्रतीकों का युद्ध

धार्मिक प्रतीक अब जनसभाओं के मंच नहीं, बल्कि सोशल मीडिया की दीवारों पर भिड़ रहे हैं। एक ओर मंदिर में आरती करते योगी, दूसरी ओर मस्जिद में टोपी पहने अखिलेश—ये तस्वीरें किसी भी टीवी डिबेट में शामिल होने के लिए काफी हैं।

इसे भी पढें  दरभंगा में राहुल गांधी पर CRPC 144 के उल्लंघन का आरोप, डीएम ने कहा, कार्रवाई होगी...

यह प्रतीकों की लड़ाई है, जो वोट बैंक के मानस को छूने की होड़ में लड़ी जा रही है। यहां नारा नहीं बदल रहा, लेकिन छवि का कॉस्मेटिक मेकअप ज़रूर हो रहा है।

🟡 क्या वाकई बदल रहा है यूपी?

उत्तर प्रदेश में मतदाता अब धर्म और जाति से आगे बढ़कर स्थायित्व, विकास, रोजगार और सुरक्षा की राजनीति को पसंद करने लगे हैं। लेकिन सियासी दल अभी भी उन्हें पुरानी भाषाओं में लुभाना चाहते हैं।

इसे भी पढें  ऑपरेशन सिंदूर के साये में ठहरा विकास — अब तो लौट आओ मज़दूर साथियों

तो क्या वाकई ‘भगवा’ और ‘हरा’ अब साथ-साथ चल रहे हैं, या बस चुनावी मजबूरियों ने रंगों को पास खड़ा कर दिया है?

🔵 रणनीति या नीयत?

यह स्पष्ट है कि मस्जिद में अखिलेश और मंदिर में योगी—दोनों छवियां सिर्फ व्यक्तिगत आस्था का मामला नहीं हैं। यह सार्वजनिक मंच पर रखी गई सियासी मोहरें हैं, जो जनता की धार्मिक चेतना को चुनावी गणित में ढालने की कोशिश कर रही हैं।

इसे भी पढें  मोदी जी! मुंबई में रेल से गिरकर मर रहे लोग और आप 2047 का सपना दिखा रहे हैं — राहुल गांधी की ललकार

आने वाले महीनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह सिर्फ एक ‘फोटो ऑप’ था या फिर रणनीतिक बदलाव की नींव।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

मां बनने की चाह में गई थी तांत्रिक चंदू के पास, लौट आई लाश बन

उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में एक महिला की तांत्रिक क्रिया के दौरान मौत हो गई। बच्चा पाने की उम्मीद में महिला ने झाड़-फूंक...

बीहड़ों से संसद तक अन्याय को ललकारने वाली वीरांगना को भीम आर्मी ने दी क्रांतिकारी श्रद्धांजलि

चित्रकूट में भीम आर्मी कार्यालय पर वीरांगना फूलन देवी का शहादत दिवस सम्मानपूर्वक मनाया गया। जिला संयोजक संजय गौतम ने उनके संघर्षमय जीवन को...
- Advertisement -spot_img
spot_img

गंगा उफान पर, नाविकों की ज़िंदगी किनारे पर, क्रूज चले, नावें बंद — मांझी समाज के पेट पर लात क्यों? 

काशी में गंगा के उफान से 10 हजार से अधिक नाविकों की रोज़ी-रोटी पर संकट गहराया। प्रशासन ने नाव संचालन पर रोक लगाई, जिससे...

बोलता है गांव — जहां खिड़की से आती हवा में बहस की खुशबू होती है…”रायता” नहीं, “राय” फैलाते हैं ये लोग — 

अनिल अनूप 🍃 बाहर हरियाली पसरी थी, अंदर चारपाई पर बैठा एक आदमी। पहनावे में कुछ नहीं था जो उसे 'खास' बनाए — एक पुरानी...