देवरिया के हेतिमपुर में निर्माण कार्य के दौरान घटिया लकड़ी देखकर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए सड़ा हुआ जंगला हटाने का आदेश दिया। उनका वीडियो वायरल हो रहा है।
अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया जनपद में एक निरीक्षण के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही उस समय भड़क उठे जब उन्होंने निर्माणाधीन स्थल पर घटिया लकड़ी का उपयोग होते देखा। यह मामला राम जानकी मठ के निर्माण कार्य से जुड़ा है, जहां कृषि मंत्री निरीक्षण के लिए पहुंचे थे।
निरीक्षण के दौरान घटिया सामग्री देखकर मंत्री ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और चेतावनी देते हुए कहा कि “कल तक यह सड़ा हुआ जंगला हट जाना चाहिए, नहीं तो जान ले लूंगा।”
वायरल वीडियो बना सुर्खियों का कारण
गौरतलब है कि निरीक्षण के दौरान किसी ने मंत्री जी का यह वीडियो बना लिया जो अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि मंत्री सूर्य प्रताप शाही अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए स्थानीय भोजपुरी भाषा में कहते हैं—
“ई सड़ा जंगला बाहर फेंको, दो साल में घुन लग जाई… घर चल जईब पैसा लेके!”
उनके इस बयान ने न केवल चर्चा का विषय बना दिया है, बल्कि जनता के बीच उनके सख्त रवैये की भी सराहना हो रही है।
राम जानकी मठ में हो रहा है निर्माण
यह घटना हेतिमपुर नगर पंचायत के वार्ड संख्या 14 की है, जहां पर्यटन विभाग की ओर से राम जानकी मठ में निर्माण कार्य कराया जा रहा है। निर्माण कार्य के तहत एक हॉल, टॉयलेट तथा अन्य ढांचागत कार्य किए जा रहे हैं। निरीक्षण के दौरान मंत्री ने जब हॉल में घटिया लकड़ी से बनी खिड़कियां देखीं तो उन्होंने तत्काल उसे हटाने का निर्देश दिया।
जनता में मिला-जुला प्रतिक्रिया
जहां एक ओर मंत्री के इस तेवर की जनता खुले दिल से सराहना कर रही है, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह महज एक ‘पब्लिक स्टंट’ भी हो सकता है। हालांकि ज़मीनी हकीकत यह है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की गिरावट अक्सर आमजन की पीड़ा बनती है और मंत्री का यह हस्तक्षेप इसे उजागर करता है।
कौन हैं सूर्य प्रताप शाही?
यह जानना भी आवश्यक है कि सूर्य प्रताप शाही भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं। वर्तमान में वह देवरिया जिले की पथरदेवा विधानसभा सीट से विधायक हैं और प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री के पद पर कार्यरत हैं।
उल्लेखनीय है कि वे पूर्व में तीन बार विधायक रह चुके हैं और एक बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1984 में जब पूरे देश में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति की लहर थी, तब भी उन्होंने 1985 में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक साहस का परिचय दिया था।
इस घटनाक्रम के दूरगामी संकेत
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर सतर्क होती जा रही है। मंत्री के इस तेवर से जिला प्रशासन और ठेकेदारों को यह संकेत भी गया है कि अनियमितता और भ्रष्टाचार को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इसके साथ ही यह सवाल भी उठता है कि जब मंत्री न पहुंचते तो क्या यह घटिया निर्माण ऐसे ही चलता रहता?
देवरिया की यह घटना उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक सतर्कता की एक बानगी है। सूर्य प्रताप शाही के तीखे तेवर जहां जनता के हितों की रक्षा का प्रतीक बन रहे हैं, वहीं अधिकारियों के लिए यह एक चेतावनी भी है कि लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।