Sunday, July 20, 2025
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“खोपड़ियों का सौदागर” राजा कलंदर, उम्रकैद की सलाखों के पीछे – 25 साल बाद दरिंदगी को मिला अंजाम

लखनऊ की अदालत ने कुख्यात सीरियल किलर राजा कलंदर और उसके साथी बच्छराज को 25 साल पुराने डबल मर्डर केस में उम्रकैद की सजा सुनाई। जानिए पूरी कहानी, जो खौफ और दरिंदगी से भरपूर है।

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

लखनऊ | लखनऊ की अदालत ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में 25 साल पुराने डबल मर्डर केस में सीरियल किलर राजा कलंदर उर्फ राम निरंजन और उसके सहयोगी बच्छराज को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। अगर जुर्माना अदा नहीं किया गया, तो अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी।

कौन है राजा कलंदर?

प्रयागराज का रहने वाला राजा कलंदर, जिसे खौफ का दूसरा नाम कहा जाता था, निर्दोष लोगों की निर्मम हत्याओं के लिए कुख्यात रहा है। उसके अपराधों की फेहरिस्त किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती, लेकिन हकीकत कहीं ज्यादा भयावह है।

राजा कलंदर पर इंसानों की हत्या कर उनके सिर फार्म हाउस में छिपाने, खोपड़ियों को पेड़ों पर टांगने, और दिमाग का सूप पीने तक के आरोप सिद्ध हुए हैं। पुलिस की जांच में उसके फार्म हाउस से 14 नरमुंड बरामद हुए, जिन्हें वह अलग-अलग जातियों के हिसाब से रंग कर पेड़ों पर टांगा करता था।

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डबल मर्डर केस: मनोज कुमार और रवि श्रीवास्तव की निर्मम हत्या

इस केस की बात करें तो वर्ष 2000 में 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव का अपहरण कर नृशंस हत्या कर दी गई थी। अदालत में पेश गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर राजा कलंदर और बच्छराज को हत्या का दोषी पाया गया।

इस हत्या के बाद पुलिस की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए। पता चला कि राजा कलंदर केवल हत्या ही नहीं करता था, बल्कि एक अदालती डायरी में अपने अपराधों का ब्योरा भी रखता था। वह अपने फार्म हाउस को अपराधों की “अदालत” बना चुका था, जहाँ वह मृतकों को जाति के आधार पर “सजा” सुनाता था।

पत्रकार की हत्या से खुली दरिंदगी की परतें

राजा कलंदर की सनक तब पहली बार सामने आई जब उसने एक पत्रकार की हत्या की। यह मामला उस समय सुर्खियों में तब आया जब जांच की आंच जिला पंचायत सदस्य फूलन देवी तक जा पहुँची। पुलिस द्वारा की गई तलाशी में मृतक पत्रकार का सामान भी बरामद हुआ, और राजा कलंदर ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।

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आख़िरकार मिला इंसाफ़

लगभग ढाई दशक बाद, यह फैसला न केवल पीड़ित परिवारों के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि समाज के लिए भी एक संदेश है कि चाहे अपराध कितना भी संगीन क्यों न हो, कानून का शिकंजा अंततः कसता है।

राजा कलंदर की कहानी केवल एक सीरियल किलर की कहानी नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक चेतना के लिए एक चेतावनी है। उसका अंत यह दर्शाता है कि देर से ही सही, पर न्याय ज़रूर होता है।

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