करजी गांव में युवाओं ने गुडुंबा पर लगाया प्रतिबंध : नशे के खिलाफ नई सामाजिक क्रांति की शुरुआत

करजी गांव में ग्रामीण युवक नशामुक्त समाज के लिए गुडुंबा पर प्रतिबंध की शपथ लेते हुए
दादा गंगाराम की रिपोर्ट
समाचार दर्पण 24.कॉम की टीम में जुड़ने का आमंत्रण पोस्टर, जिसमें हिमांशु मोदी का फोटो और संपर्क विवरण दिया गया है।
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स्थान: करजी गांव, दहेगाम मंडल, कोमाराम भीम आसिफाबाद जिला (तेलंगाना)

करजी गांव के युवाओं का बड़ा निर्णय: अब नहीं बनेगा ‘गुडुंबा’

कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले के दहेगाम मंडल स्थित करजी गांव में रविवार को एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया। गांव के युवाओं ने सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया कि अब गांव की सीमाओं में कोई भी व्यक्ति गुडुंबा (नाटू सारा) यानी देशी अवैध शराब का निर्माण, बिक्री या परिवहन नहीं करेगा। इस घोषणा के साथ ही करजी गांव ने नशे के खिलाफ एक नई सामाजिक क्रांति की शुरुआत कर दी है।

नशे के कारण बिगड़ रहे थे हालात

स्थानीय युवाओं ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से गुडुंबा के सेवन और बिक्री से गांव में कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घट रही थीं। लोगों में झगड़े, घरेलू हिंसा, चोरी और आपसी वैमनस्य जैसी घटनाएं बढ़ रही थीं। कई परिवारों की आर्थिक स्थिति भी लगातार खराब हो रही थी क्योंकि पुरुष वर्ग नशे की लत में डूबता जा रहा था। इन्हीं परिस्थितियों ने गांव के युवाओं को सोचने पर मजबूर किया कि अगर अब कदम नहीं उठाया गया, तो गांव का सामाजिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा।

युवाओं ने लिया सामूहिक संकल्प

करजी गांव के युवाओं ने पंचायत प्रांगण में एकत्र होकर नारा दिया — “हमारा गांव नशामुक्त बनेगा, गुडुंबा अब नहीं चलेगा!” सभा में लगभग सौ से अधिक युवाओं ने भाग लिया और सभी ने हाथ उठाकर गुडुंबा निर्माण, बिक्री और परिवहन पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की शपथ ली। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगर कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो तुरंत पुलिस प्रशासन को सूचना दी जाएगी।

‘नाटू सारा’ पर रोक के लिए स्थानीय नेतृत्व की भूमिका

“हमारे गांव में जो नई पीढ़ी है, वह सही दिशा में सोच रही है। गुडुंबा ने न केवल लोगों की सेहत बल्कि परिवारों की खुशियां भी छीन ली हैं। अब समय आ गया है कि गांव खुद अपनी दिशा तय करे।”

— दादा गंगाराम, वरिष्ठ नागरिक

गांव के युवाओं ने बताया कि यह निर्णय केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहेगा। वे साप्ताहिक निगरानी समितियाँ बनाएंगे जो देखेगी कि कहीं कोई व्यक्ति अवैध रूप से गुडुंबा तैयार या बेच तो नहीं रहा।

प्रशासन भी करेगा सहयोग

दहेगाम मंडल के पुलिस अधिकारियों ने इस पहल का स्वागत किया है। स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि अगर किसी गांव में लोग खुद आगे बढ़कर नशामुक्त समाज बनाने की दिशा में कदम उठाते हैं, तो प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने बताया कि गुडुंबा उत्पादन और बिक्री कानूनन अपराध है, और इस पर पहले से ही कठोर धाराएँ लागू हैं।

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नशे से मुक्ति की राह पर करजी गांव

यह कदम सिर्फ एक गांव के स्तर पर उठाया गया निर्णय नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण तेलंगाना में सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बन सकता है। गुडुंबा, जिसे स्थानीय भाषा में नाटू सारा कहा जाता है, वर्षों से कई गांवों में गरीबी, अपराध और अस्वस्थता की जड़ बना हुआ है। करजी गांव के युवाओं ने दिखा दिया कि अगर समाज चाहे तो नशे की लत को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

सामाजिक जागरूकता अभियान की तैयारी

गांव के युवाओं ने यह भी तय किया है कि वे आने वाले दिनों में “नशामुक्त गांव” अभियान चलाएंगे। इसके तहत स्कूलों और पंचायत सभाओं में लोगों को गुडुंबा के नुकसान, शराब के सामाजिक दुष्प्रभाव और स्वास्थ्य हानि के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में महिलाएँ और ग्रामीण बुजुर्ग भी शामिल होंगे ताकि यह आंदोलन पूरे समाज का रूप ले सके।

गुडुंबा के दुष्प्रभाव: स्वास्थ्य और समाज पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि गुडुंबा, जो अक्सर रासायनिक पदार्थों से तैयार किया जाता है, शरीर पर घातक प्रभाव डालता है। इसके लगातार सेवन से लीवर फेल्योर, मस्तिष्क संबंधी विकार और अचानक मृत्यु तक के मामले सामने आते हैं।

“गुडुंबा ने गांवों के युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया है। करजी का यह कदम आने वाली पीढ़ियों को बचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”

— गांव के शिक्षक

करजी गांव बना मिसाल

करजी गांव की यह पहल अब आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बन चुकी है। लोग इस कदम को एक “नशामुक्त समाज” की मिसाल मान रहे हैं। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो जिले के अन्य गांव भी इसी तरह गुडुंबा पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष: नशे के खिलाफ समाज की एकजुटता ही जीत की कुंजी

करजी गांव की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि परिवर्तन शासन से नहीं, समाज की जागरूकता से आता है। जब गांव का हर युवा, हर परिवार और हर बुजुर्ग यह ठान ले कि अब गुडुंबा नहीं बनेगा, नहीं बिकेगा, नहीं पिया जाएगा, तभी नशे का अंधकार खत्म होगा।

“नशे को ना, जीवन को हाँ!”

— दादा गंगाराम की रिपोर्ट
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स्थान: करजी गांव, दहेगाम मंडल, कोमाराम भीम आसिफाबाद जिला (तेलंगाना)

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करजी गांव के युवाओं का बड़ा निर्णय: अब नहीं बनेगा ‘गुडुंबा’

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नशे के कारण बिगड़ रहे थे हालात

स्थानीय युवाओं ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से गुडुंबा के सेवन और बिक्री से गांव में कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं घट रही थीं। लोगों में झगड़े, घरेलू हिंसा, चोरी और आपसी वैमनस्य जैसी घटनाएं बढ़ रही थीं। कई परिवारों की आर्थिक स्थिति भी लगातार खराब हो रही थी क्योंकि पुरुष वर्ग नशे की लत में डूबता जा रहा था। इन्हीं परिस्थितियों ने गांव के युवाओं को सोचने पर मजबूर किया कि अगर अब कदम नहीं उठाया गया, तो गांव का सामाजिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा।

युवाओं ने लिया सामूहिक संकल्प

करजी गांव के युवाओं ने पंचायत प्रांगण में एकत्र होकर नारा दिया — “हमारा गांव नशामुक्त बनेगा, गुडुंबा अब नहीं चलेगा!” सभा में लगभग सौ से अधिक युवाओं ने भाग लिया और सभी ने हाथ उठाकर गुडुंबा निर्माण, बिक्री और परिवहन पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की शपथ ली। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगर कोई व्यक्ति इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो तुरंत पुलिस प्रशासन को सूचना दी जाएगी।

‘नाटू सारा’ पर रोक के लिए स्थानीय नेतृत्व की भूमिका

“हमारे गांव में जो नई पीढ़ी है, वह सही दिशा में सोच रही है। गुडुंबा ने न केवल लोगों की सेहत बल्कि परिवारों की खुशियां भी छीन ली हैं। अब समय आ गया है कि गांव खुद अपनी दिशा तय करे।”

— दादा गंगाराम, वरिष्ठ नागरिक

गांव के युवाओं ने बताया कि यह निर्णय केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहेगा। वे साप्ताहिक निगरानी समितियाँ बनाएंगे जो देखेगी कि कहीं कोई व्यक्ति अवैध रूप से गुडुंबा तैयार या बेच तो नहीं रहा।

प्रशासन भी करेगा सहयोग

दहेगाम मंडल के पुलिस अधिकारियों ने इस पहल का स्वागत किया है। स्थानीय पुलिस अधिकारी ने कहा कि अगर किसी गांव में लोग खुद आगे बढ़कर नशामुक्त समाज बनाने की दिशा में कदम उठाते हैं, तो प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। उन्होंने बताया कि गुडुंबा उत्पादन और बिक्री कानूनन अपराध है, और इस पर पहले से ही कठोर धाराएँ लागू हैं।

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यह कदम सिर्फ एक गांव के स्तर पर उठाया गया निर्णय नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण तेलंगाना में सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बन सकता है। गुडुंबा, जिसे स्थानीय भाषा में नाटू सारा कहा जाता है, वर्षों से कई गांवों में गरीबी, अपराध और अस्वस्थता की जड़ बना हुआ है। करजी गांव के युवाओं ने दिखा दिया कि अगर समाज चाहे तो नशे की लत को जड़ से खत्म किया जा सकता है।

सामाजिक जागरूकता अभियान की तैयारी

गांव के युवाओं ने यह भी तय किया है कि वे आने वाले दिनों में “नशामुक्त गांव” अभियान चलाएंगे। इसके तहत स्कूलों और पंचायत सभाओं में लोगों को गुडुंबा के नुकसान, शराब के सामाजिक दुष्प्रभाव और स्वास्थ्य हानि के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में महिलाएँ और ग्रामीण बुजुर्ग भी शामिल होंगे ताकि यह आंदोलन पूरे समाज का रूप ले सके।

गुडुंबा के दुष्प्रभाव: स्वास्थ्य और समाज पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि गुडुंबा, जो अक्सर रासायनिक पदार्थों से तैयार किया जाता है, शरीर पर घातक प्रभाव डालता है। इसके लगातार सेवन से लीवर फेल्योर, मस्तिष्क संबंधी विकार और अचानक मृत्यु तक के मामले सामने आते हैं।

“गुडुंबा ने गांवों के युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया है। करजी का यह कदम आने वाली पीढ़ियों को बचाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”

— गांव के शिक्षक

करजी गांव बना मिसाल

करजी गांव की यह पहल अब आसपास के गांवों में चर्चा का विषय बन चुकी है। लोग इस कदम को एक “नशामुक्त समाज” की मिसाल मान रहे हैं। यदि यह मॉडल सफल होता है, तो जिले के अन्य गांव भी इसी तरह गुडुंबा पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष: नशे के खिलाफ समाज की एकजुटता ही जीत की कुंजी

करजी गांव की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि परिवर्तन शासन से नहीं, समाज की जागरूकता से आता है। जब गांव का हर युवा, हर परिवार और हर बुजुर्ग यह ठान ले कि अब गुडुंबा नहीं बनेगा, नहीं बिकेगा, नहीं पिया जाएगा, तभी नशे का अंधकार खत्म होगा।

“नशे को ना, जीवन को हाँ!”

— दादा गंगाराम की रिपोर्ट

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