यूपी में जानवरों की चर्बी से बन रहा ‘पूजा का घी’, सनसनीखेज खुलासा

घी के टिनों के ढेर, जिनमें नकली पूजा का घी भरा गया है और जो कानपुर-उन्नाव के अवैध कारोबार से संबंधित हैं।

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

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लखनऊ/कानपुर। उत्तर प्रदेश में धार्मिक आस्था और जनस्वास्थ्य से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मीडिया के एक स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि बाजारों में बिकने वाला ‘पूजा का घी’ बड़ी मात्रा में जानवरों की पिघली हुई चर्बी यानी टैलो (Tallow) से बनाया जा रहा है। इसमें थोड़ी-सी ‘देसी घी’ की खुशबू मिलाकर इसे ‘देसी पूजा घी’ के नाम से बेचा जा रहा है।

स्टिंग ऑपरेशन का खुलासा

इन्वेस्टिगेशन में नकली घी बनाने वाले कारोबारियों ने खुद कबूल किया कि वे जानवरों की चर्बी गर्म कर उसमें थोड़ा सा असली घी मिलाकर ‘खुशबूदार देसी घी’ जैसा बना देते हैं। एक कारोबारी ने कहा — “यह घी 90 रुपये किलो में तैयार हो जाता है, जबकि बाजार में 150 से 200 रुपये किलो तक बिकता है।” यह पूरे यूपी और दूसरे राज्यों में सप्लाई किया जा रहा है, जिससे देशभर में लोगों की धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंच रही हैं।

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कानपुर-उन्नाव बना अवैध कारोबार का हब

मीडिया के अनुसार, जांच टीम जब कानपुर-उन्नाव बॉर्डर के बिजलामऊ पहुंची, तो वहां एक किलोमीटर के दायरे में दर्जनभर चिमनियां धुआं उगलती दिखीं। पता चला कि ये चर्बी पिघलाकर नकली घी बनाने की फैक्टरियां हैं। इन इलाकों में स्लाटर हाउस से चर्बी लाकर प्रोसेस की जाती है और देसी घी की सुगंध डालकर ‘पूजा का घी’ के रूप में पैक कर दी जाती है।

स्टिंग में शामिल ‘आतिफ’ नामक व्यक्ति ने खुलासा किया, “घी के लिए यह आइटम (चर्बी) वैध नहीं है, पर भारत में सब चलता है। फर्क सिर्फ खुशबू का होता है।” यानी लोगों को पता ही नहीं चलता कि जो ‘घी’ वे पूजा में जला रहे हैं, वह वास्तव में पशु उत्पाद है।

आगरा में पहले भी खुला था फर्जी घी रैकेट

कुछ महीने पहले पुलिस ने आगरा के एत्मादपुर में छापा मारकर 82 डिब्बे नकली देसी घी के जब्त किए थे। जांच में पता चला कि इन डिब्बों में गाय और भैंस की चर्बी से तैयार किया गया घी भरा हुआ था। दोषियों ने स्वीकार किया कि वे पशु काटने के साथ-साथ चर्बी को घी के टिनों में भरकर छोटे व्यापारियों को बेचते थे।

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पुलिस ने वहां से 275 किलो मांस, 82 टिन चर्बी, 11 बोरे सूखा मीट, और कई उपकरण जब्त किए थे। सभी आरोपितों पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

नकली ब्रांड में बेचा जा रहा था ‘देसी घी’

जांच में पता चला कि फर्जी घी बेचने के लिए जिन टिनों का उपयोग किया जा रहा था, उन पर मधुसूदन, चंबल रिफाइंड, सोहनी घी, नीलकमल, त्रिकंचन और परम देसी घी जैसे ब्रांड के नाम छपे थे। इनमें से कुछ ब्रांड पहले भी नकली घी मामलों में पकड़े जा चुके हैं।

गिरफ्तारी और कार्रवाई की मांग

इस मामले में अब तक चार लोगों — उस्मान, वाहिद, समीर और बिल्किस — को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 14 अन्य आरोपी फरार हैं। लोगों में आक्रोश है कि यह ‘पूजा का घी घोटाला’ आस्था और विश्वास दोनों के साथ खिलवाड़ है। धार्मिक वर्गों ने योगी सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि ऐसे कारोबार पर बुलडोज़र चलाकर कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

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1. क्या यह सच है कि पूजा का घी चर्बी से बन रहा है?

हां, मीडिया के स्टिंग में यह साबित हुआ कि कई व्यापारियों द्वारा जानवरों की चर्बी (टैलो) से घी तैयार कर इसे देसी पूजा घी के नाम पर बेचा जा रहा है।

2. इस अवैध कारोबार का केंद्र कहां है?

यह कारोबार मुख्य रूप से कानपुर-उन्नाव बॉर्डर, बिजलामऊ और आगरा के कुछ इलाकों में चल रहा है।

3. क्या सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई की है?

अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 18 पर मुकदमा दर्ज हुआ है। योगी सरकार से तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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