चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर बाबा उर्फ जलालुद्दीन के अवैध धर्मांतरण गिरोह का खुलासा हुआ है, जिसमें प्रतिबंधित इस्लामिक संगठनों और भगोड़े जाकिर नाइक से फंडिंग के गंभीर सुराग मिले हैं। एटीएस और ईडी ने जांच तेज कर दी है।
बलरामपुर की कोठी से अंतरराष्ट्रीय साजिश तक—धर्मांतरण के काले खेल का पर्दाफाश
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और बलरामपुर के बीच पसरा हुआ एक षड्यंत्र अब धीरे-धीरे उजागर हो रहा है। राज्य के शांत जनपद बलरामपुर की तीन करोड़ की आलीशान कोठी में वर्षों से जो गतिविधियाँ चल रही थीं, वे किसी धार्मिक केंद्र की नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का केंद्र बन चुकी थीं। इस कोठी से देश में अवैध धर्मांतरण का एक सुनियोजित नेटवर्क संचालित किया जा रहा था, जिसके मुख्य संचालक जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा थे।
जांच एजेंसियों की जद में छांगुर बाबा का नेटवर्क
जैसे-जैसे एटीएस और ईडी ने इस गिरोह की तहकीकात शुरू की, वैसे-वैसे नए-नए खुलासे सामने आने लगे। ताजा जानकारी के अनुसार, छांगुर बाबा का नेटवर्क सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय जड़ों से पोषित था। दरअसल, मलेशिया में छिपे भगोड़े इस्लामिक कट्टरपंथी जाकिर नाइक से जुड़ी कई कंपनियाँ इस नेटवर्क को फंडिंग कर रही थीं।
सिमी और पीएफआई की संदिग्ध भूमिका
और भी गंभीर बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में प्रतिबंधित संगठनों—स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)—की संदिग्ध भूमिका सामने आई है।
जांच में यह सामने आया कि विदेशी फंडिंग की व्यवस्था इन संगठनों के कुछ सक्रिय सदस्यों द्वारा की जाती थी। यही नहीं, धर्मांतरण के इस जाल में युवाओं का माइंडवॉश करना एक प्रमुख रणनीति थी।
जाकिर नाइक के वीडियो से ब्रेनवॉश, भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का इरादा
बता दें कि जाकिर नाइक, जो भारत से भगोड़ा घोषित है और मलेशिया में शरण लिए हुए है, वीडियो माध्यम से लोगों को भड़काने और ब्रेनवॉश करने का काम करता रहा है। छांगुर बाबा के गिरोह ने ऐसे ही कई वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए, जिनमें कट्टर विचारधाराओं को परोसा गया। एक वीडियो में गायक कहता है:
“तेरी बर्बादियों के मशवरे हैं आसमानों में, न समझोगे तो मिट जाओगे ए हिंदोस्तान वालों…
इस प्रकार के गीतों और वीडियो का उद्देश्य स्पष्ट था—लोगों को यह समझाना कि भारत में “बुतपरस्ती” को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसे खत्म कर इस्लामिक शासन लाने का समय आ गया है।
विदेशी पैसे, धार्मिक जाल और राष्ट्रीय सुरक्षा पर हमला
ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि यह कोई सामान्य धार्मिक गतिविधि नहीं थी। इसके पीछे था एक संगठित तंत्र, जो भारत की धार्मिक विविधता, सांस्कृतिक अस्मिता, और संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करने की साजिश रच रहा था। यह नेटवर्क, धार्मिक आस्था की आड़ में युवाओं को उकसाकर उन्हें देश के विरुद्ध मानसिक रूप से तैयार कर रहा था।
एटीएस और ईडी ने कसी कमर
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश एटीएस (Anti-Terror Squad) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने संयुक्त रूप से जाँच तेज कर दी है। जल्द ही इस मामले में एक अलग जांच कमेटी भी गठित की जा सकती है। प्राथमिक साक्ष्य यह दर्शाते हैं कि धन का बड़ा हिस्सा हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भारत लाया जा रहा था, ताकि प्रशासनिक निगरानी से बचा जा सके।
छांगुर बाबा का असली चेहरा—धर्म का ढोंग, साजिश का अड्डा
जो व्यक्ति ‘बाबा’ के नाम से पूज्य होने का ढोंग करता रहा, उसने वास्तव में धर्म की आड़ में युवाओं के भविष्य, भारत की सामाजिक एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ छल किया। उसका उद्देश्य न तो अध्यात्म था, न मानव सेवा—बल्कि भारत की लोकतांत्रिक संरचना को तोड़ना और एक कट्टरपंथी एजेंडा लागू करना था।
समाज के लिए चेतावनी
यह मामला हमें याद दिलाता है कि धर्म का चोला ओढ़े कई ऐसे गिरोह समाज को भीतर से खोखला करने की कोशिश कर रहे हैं। यह समय है जब समाज को जागरूक होकर ऐसे तत्वों को बेनकाब करना होगा और प्रशासनिक तंत्र को ऐसी साजिशों के विरुद्ध सजग और सशक्त बनाना होगा।
छांगुर बाबा का खुलासा केवल एक व्यक्ति के पतन की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित षड्यंत्र की परतें खोलने का आरंभ है। यह घटना हमें सिखाती है कि धार्मिक आस्था और कट्टरपंथ के बीच अंतर समझना कितना जरूरी है। जाकिर नाइक, सिमी, और पीएफआई जैसे तत्वों का नेटवर्क देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है, और इससे निपटने के लिए एक ठोस रणनीति की आवश्यकता है।