Sunday, July 20, 2025
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जिसने जीवन को यज्ञ बना दिया—जिसके संस्कारों में संकल्प और सेवा में समर्पण….डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी

डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी—सनातन संस्कृति, आयुर्वेद, सामाजिक सेवा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक। जानिए उनके जीवन, कार्यों और अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन के ज़रिए राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान की प्रेरणादायक कहानी।

अनिल अनूप

डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी एक ऐसा नाम है, जो भारतीय संस्कृति, आयुर्वेदिक चिकित्सा, सामाजिक सेवा और राष्ट्रभक्ति का एक समग्र प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने अपना समूचा जीवन सनातन धर्म, मानव सेवा और भारतीय गौरव की पुनर्स्थापना को समर्पित कर दिया है। वर्तमान में वे अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन (पंजीकृत) के अध्यक्ष एवं निदेशक पद पर कार्यरत हैं और तन-मन-धन से राष्ट्र निर्माण के यज्ञ में आहुति दे रहे हैं।

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

डॉ. त्रिपाठी का जन्म 8 मई 1952 को मध्य प्रदेश के अमरपाटन, जिला जयंती में एक धार्मिक और सांस्कृतिक परिवेश में हुआ। उनका बचपन भारतीय संस्कारों और अध्यात्मिक मूल्यों से अनुप्राणित रहा। पारिवारिक धार्मिक वातावरण, माता-पिता के सशक्त संस्कार और गुरुजनों के मार्गदर्शन ने उनके व्यक्तित्व को प्रारंभ से ही एक सशक्त आधार प्रदान किया।

शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में योगदान

अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमरपाटन के माध्यमिक विद्यालय से प्राप्त करने के बाद, डॉ. त्रिपाठी ने रीवा से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जबलपुर विश्वविद्यालय से आयुर्वेद एवं आधुनिक चिकित्सा में विशेषज्ञता प्राप्त की। चिकित्सा उनके लिए केवल एक पेशा नहीं, बल्कि सेवा का सशक्त माध्यम है।

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उनका मानना है—“चिकित्सा केवल शरीर का उपचार नहीं, बल्कि आत्मा के संतुलन का माध्यम है।” उन्होंने समाज के हाशिए पर खड़े लोगों, मठ-मंदिरों और जरूरतमंद समुदायों को निःस्वार्थ चिकित्सा सेवा प्रदान की।

राजनीतिक जीवन: सेवा और संगठन का संगम

राजनीति में उनकी शुरुआत युवा कांग्रेस से हुई, जहाँ उन्होंने प्रदेश स्तर पर संगठनात्मक जिम्मेदारियाँ निभाईं। उन्होंने युवाओं को सामाजिक चेतना और राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित किया। वर्ष 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ली और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ सामाजिक-सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ाया।

अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन: एक मिशन, एक संकल्प

वर्ष 2022 में डॉ. त्रिपाठी को अखिल विश्व अखंड सनातन सेवा फाउंडेशन का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह संस्था नीति आयोग, भारत सरकार से पंजीकृत है और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। संस्था का उद्देश्य सनातन धर्म के मूल्यों की पुनर्स्थापना, वैदिक जीवनशैली का प्रचार-प्रसार और सामाजिक उत्थान है।

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संस्था के प्रमुख उद्देश्य:

वैदिक ज्ञान, योग, आयुर्वेद और अध्यात्म को समाज में प्रचारित करना

गौ सेवा, परंपरा, जल संरक्षण एवं स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करना

युवाओं को भारतीय संस्कृति और गौरवशाली इतिहास से जोड़ना

धर्मजागरण, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक समरसता के अभियान चलाना

डॉ. त्रिपाठी के नेतृत्व में यह संस्था भारत के कोने-कोने में आध्यात्मिक शिविर, सामाजिक आंदोलन, स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

व्यक्तित्व की विशेषताएँ

डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी के व्यक्तित्व की कुछ प्रमुख विशेषताएँ उन्हें एक असाधारण नेतृत्वकर्ता बनाती हैं:

मृदु व्यवहार और सरलता: विद्वता के साथ-साथ उनमें सहजता और मानवता का अद्भुत संतुलन है।

दीर्घदृष्टि और विवेक: उन्होंने संगठन को स्थायित्व, अनुशासन और उदेश्यपरकता प्रदान की।

समर्पण और निष्ठा: वे अपने हर कार्य को पूर्ण समर्पण के साथ करते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण: उनका जीवन सनातन धर्म के सिद्धांतों से गहराई से जुड़ा हुआ है।

संगठन क्षमता: हजारों स्वयंसेवकों को एकजुट कर उन्होंने अनुशासित संगठन की मिसाल कायम की।

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राष्ट्र और समाज के प्रति दृष्टिकोण

डॉ. त्रिपाठी का विश्वास है कि भारत की आत्मा उसकी संस्कृति में समाहित है। जब तक सनातन धर्म जीवित रहेगा, भारत भी जीवित रहेगा। उनका जीवन मंत्र है:

भारत माता का सनातन गौरव अमर रहे”

वे जाति, वर्ग और समुदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना से सेवा कार्य करते हैं।

वर्तमान निवास एवं सक्रियता

वर्तमान में डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी पुणे, महाराष्ट्र में निवास करते हैं, किंतु उनकी सक्रियता अखिल भारतीय स्तर पर है। वे विभिन्न राज्यों में यात्रा करके समाज सेवा, स्वास्थ्य शिविर, धर्म-संस्कृति प्रचार और संगठन के विस्तार का कार्य करते हैं।

डॉ. नरेंद्र त्रिपाठी केवल एक चिकित्सक या संगठनकर्ता नहीं, बल्कि एक जीवंत विचारधारा हैं—जो सनातन संस्कृति, भारतीय चिकित्सा विज्ञान और सामाजिक सेवा की त्रयी को जीते हैं। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हजारों युवा राष्ट्र और संस्कृति की सेवा में जुटे हैं। वे एक ऐसी मशाल हैं, जिसकी लौ से समाज को दिशा मिल रही है।

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