Sunday, July 20, 2025
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दादी ने बेचना चाहा, मां ने छोड़ा, अब रिश्तों के विश्वासघात से निकलकर दूसरों के लिए बनना चाहती है मिसाल

पानीपत की एक युवती की मार्मिक कहानी जिसने दादी द्वारा बेचे जाने से खुद को बचाया, अब अनाथ बच्चों के लिए बनना चाहती है प्रेरणा। पढ़ें संघर्ष, हिम्मत और उम्मीद से भरी यह रिपोर्ट।

ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट

पानीपत जिले की एक 20 वर्षीय युवती की कहानी न केवल समाज को झकझोर देती है, बल्कि यह साबित करती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद की किरण मौजूद रहती है। एक समय था जब इस लड़की की जिंदगी अंधेरे में डूब चुकी थी—पिता लापता, मां प्रेमी संग घर छोड़ चुकी और दादी ने पैसों के लिए उसे और उसके भाई-बहनों को बेचने की साजिश रच डाली।

साल 2017 की यह घटना आज भी उसकी यादों में ताजा है। उस वक्त उसकी उम्र महज 12 साल थी, और दादी ने पांच लाख रुपये में एक 40 वर्षीय व्यक्ति को उसके साथ शादी करने के लिए राजी कर लिया था। वही व्यक्ति चार बच्चों का पिता था। इससे पहले, दादी उसके छोटे भाई और बहन को भी बेच चुकी थी—एक को 500 रुपये में।

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हालांकि, जब उसने घर में नकद रकम देखी और उस अधेड़ उम्र के व्यक्ति की बार-बार घर में आवाजाही पर गौर किया, तब उसे अपने साथ होने वाले खतरे का अंदाजा हुआ। हिम्मत जुटाकर वह अपने छोटे भाई को साथ लेकर भाग निकली और दो दिनों तक झाड़ियों में छिपी रही।

एक सरपंच और एक फरिश्ता बनीं रजनी गुप्ता

किस्मत ने उसका साथ दिया। वह गांव के सरपंच तक पहुंची, जिसने उसे पुलिस के पास पहुंचाया। इसके बाद महिला एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने उसे और उसकी बहन को रेस्क्यू किया। दोनों बच्चियों को राई बाल अनाथालय में रखा गया। छोटी बहन आठवीं में पढ़ रही है, और यह बहादुर युवती 83% अंकों के साथ दसवीं पास कर चुकी है। वर्तमान में वह सोनीपत के एक पीजी में रहकर ग्यारहवीं की पढ़ाई कर रही है।

मां ने भी मुंह मोड़ा, लेकिन हौसला नहीं टूटा

जब रजनी गुप्ता ने उनकी मां से संपर्क किया, तो मां ने साफ इंकार कर दिया। उसका कहना था कि वह अब अपनी नई जिंदगी में खुश है और बच्चों से कोई नाता नहीं रखना चाहती। यहां तक कि उसने यह भी कहा कि अगर उसके पति को यह सच पता चल गया, तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।

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अब सपना है अफसर बनना और अनाथ बच्चों के लिए काम करना

आज यह युवती समाज के लिए प्रेरणा बन चुकी है। वह कहती है,

“मैं पढ़-लिखकर अधिकारी बनना चाहती हूं ताकि उन बच्चों के लिए कुछ कर सकूं जिनका दुनिया में कोई नहीं है। मुझे रजनी मैडम जैसी फरिश्ता मिलीं, मैं भी किसी के जीवन में उम्मीद की किरण बनना चाहती हूं।”

समाज की भूमिका और जिम्मेदारी

रजनी गुप्ता कहती हैं कि ऐसे मामलों में समाज को चुप नहीं बैठना चाहिए।

“इन बच्चियों ने बहुत कुछ सहा है। दादी ने इनको बेचने की कोशिश की, मां ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया। लेकिन हमने उन्हें उम्मीद दी, शिक्षा दी। अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इनके भविष्य को संवारें।”

यह कहानी न केवल पारिवारिक धोखे की त्रासदी को उजागर करती है, बल्कि यह बताती है कि कठिनाइयों के बीच भी आत्मविश्वास, शिक्षा और समाज का सहयोग किसी भी बच्चे को उज्जवल भविष्य की ओर ले जा सकता है।

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