
**अब्दुल मोबीन सिद्दिकी की रिपोर्ट**
बलरामपुर की राजनीति इन दिनों रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद की वजह से सुर्खियों में है। सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान पार्टी की महारैली में सपा नेता रमाकांत दुबे ने भाजपा के दिग्गज और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को तीखी चुनौती देते हुए कहा कि यदि उनमें सच में दबदबा है तो देवीपाटन मंडल की किसी भी विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर दिखाएं। उन्होंने कहा कि “औकात तभी पता चलेगी।” यह बयान सामने आते ही रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया।
सपा नेता का सीधा हमला
रैली के दौरान रमाकांत दुबे ने बिना नाम लिए बृजभूषण पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जो लोग आज “दबदबा था, दबदबा रहेगा” की भाषा बोल रहे हैं, उन्हें पुराना दौर याद रखना चाहिए जब वे भाजपा से नाराज होकर सपा में शामिल हुए थे। उन्होंने दावा किया कि सपा सरकार के दौरान समाजवादी पार्टी ने ही उनकी इज्जत बचाई थी और उनको जीत दिलाई थी। इसी राजनीतिक याद दिलाने को लेकर रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद और अधिक गहरा गया है।
बृजभूषण शरण सिंह ने क्या कहा?
इस विवाद पर पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने बेहद संयमित प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वे ऐसे लोगों के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते। उनकी चुप्पी ने भी रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद को और रोचक बना दिया है, क्योंकि सपा नेता का बयान पूरे प्रदेश में तेजी से वायरल हो रहा है।
“दबदबा रहेगा” बयान की पृष्ठभूमि
यह पूरा रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद तब शुरू हुआ था जब दिसंबर 2023 में भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर संजय सिंह की जीत हुई। संजय सिंह, बृजभूषण शरण सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं। जीत के बाद बृजभूषण ने अपने दिल्ली आवास पर बयान दिया था– “दबदबा है, दबदबा रहेगा।” उस समय महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों को लेकर माहौल पहले ही तनावपूर्ण था, और अब उसी बयान को रमाकांत ने अपने भाषण में मुख्य मुद्दा बनाया।
“सपा सरकार बनी तो देश छोड़कर भाग जाएंगे” – रमाकांत
रैली में रमाकांत ने दावा किया कि सही प्रत्याशी उतार दिया जाए तो हर कथित दबदबा खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर अखिलेश यादव और गठबंधन की सरकार बनी तो बृजभूषण सिंह या तो नेपाल में मिलेंगे या देश छोड़कर भाग जाएंगे। यह बयान रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद को और उग्र बनाने वाला साबित हुआ।
उन्होंने कहा कि नेता संघर्षों से बनता है, हार-जीत से नहीं। टिकट मिलना न मिलना महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन गरीबों और लाचारों की आवाज उठाना ही असली नेतृत्व है।
रैली में पढ़ी गई शायरी
रैली में उन्होंने एक शायरी पढ़ी, जो काफी वायरल हो रही है—
“फानूस बनकर जिसकी हिफाजत हवा करे,
वो शमा क्या बुझे जिसे रौशन खुदा करे।”
यह शेर भी रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद के संदर्भ में लोगों द्वारा जोड़कर देखा जा रहा है।
गरीबों का दर्द और सेना का संदर्भ
रैली में रमाकांत दुबे ने कहा कि आम गरीबों का बेटा ही फौज में जाता है, वही देश के लिए बलिदान देता है। जिनके पास दीवारें हैं पर छत नहीं, उन्हीं के बेटे सीमा पर शहीद होते हैं। उनके इस भाषण का बड़ा हिस्सा भी रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद के राजनीतिक संदर्भ में जुड़कर देखा जा रहा है।
कौन हैं रमाकांत दुबे?
रेहरा बाजार क्षेत्र के अधीनपुर गांव के निवासी रमाकांत दुबे बलरामपुर सदर सीट से टिकट के दावेदार रह चुके हैं। 2005 में वे निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य रहे और ग्राम प्रधानी का चुनाव भी लड़ा। उनकी बहू अनुसूचित जाति समुदाय से हैं, जबकि वे स्वयं ब्राह्मण समाज से आते हैं। उनका यह सामाजिक संतुलन भी रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद में चर्चा का विषय बना है।
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रमाकांत दुबे बनाम बृजभूषण शरण सिंह विवाद क्यों शुरू हुआ?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब रमाकांत दुबे ने एक रैली में कहा कि बृजभूषण सिंह अगर मजबूत हैं तो किसी भी सीट से निर्दलीय लड़कर दिखाएं।
क्या बृजभूषण शरण सिंह ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी?
उन्होंने कहा कि वे ऐसे लोगों के बयानों पर टिप्पणी नहीं करना चाहते।
“दबदबा रहेगा” बयान का क्या महत्व है?
यह बयान दिसंबर 2023 में कुश्ती संघ चुनाव के बाद दिया गया था, जिसे अब राजनीतिक संदर्भ में जोड़ा जा रहा है।
क्या यह विवाद आगामी चुनावों को प्रभावित करेगा?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असर जरूर पड़ेगा, क्योंकि मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है।






