मंगली केवट ; 19 साल बाद निकला जेल से बाहर, ‘चंबल का शेर’




चंबल का शेर मंगली केवट 19 साल 7 महीने बाद रिहा | मंगली केवट की पूरी कहानी


चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

कभी चंबल और बुंदेलखंड के बीहड़ों में दहशत का पर्याय माने जाने वाले मंगली केवट ने आज एक नया अध्याय शुरू कर दिया।
19 साल 7 महीने की सजा पूरी करने के बाद दस्यु सम्राट मंगली केवट कानपुर देहात की माती जिला जेल से रिहा हुआ।
जेल के बाहर उसका स्वागत ऐसे हुआ मानो कोई लंबे समय बाद अपने घर लौट रहा हो।
फूल-मालाओं के बीच खड़े डकैत मंगली केवट ने बड़े शांत भाव से कहा—“अब जीवन में सिर्फ सुकून चाहिए, अब समाज के लिए काम करूंगा।”
उसने राजनीतिक क्षेत्र में भी किस्मत आजमाने की बात कही, जिससे यह साफ होता है कि मंगली केवट अब मुख्यधारा में लौटने को तैयार है।


90 के दशक में आतंक का पर्याय था मंगली केवट

90 के दशक में मंगली केवट का नाम सुनते ही बीहड़ों में दहशत फैल जाती थी।
पुलिस उसे ‘चंबल का शेर’ और स्थानीय लोग ‘दस्यु सम्राट’ कहते थे।
उसने अपने समय में इतना बड़ा गिरोह खड़ा किया कि पुलिस के लिए उसे पकड़ना एक चुनौती बन गया।
मंगली केवट गैंग में वे लोग शामिल थे जो स्वयं पुलिस प्रताड़ना और अत्याचारों से परेशान होकर बागी रास्ते पर चले आए।

डकैत मंगली केवट ने खुद बताया था कि बार-बार की हिरासत, फर्जी मुकदमों और दुर्व्यवहार ने उसे बागी बनने पर मजबूर कर दिया।
उसकी पत्नी मालती केवट भी उसी राह पर चली और दोनों ने मिलकर एक बड़ा गैंग तैयार किया।
यह वही समय था जब चंबल के बीहड़ों में कई बड़े गिरोह सक्रिय थे और उनमें से एक निर्भय गुर्जर गिरोह भी था, जो मंगली को समर्थन देता था।

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मंगली और मालती का गैंग प्रायः मुखबरी, अपहरण, फिरौती और पुलिस विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रहता था।
अपराध जगत में उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि लंबे समय तक पुलिस उसके करीब तक नहीं पहुंच सकी।


AK-47 लेकर चलता था चंबल का शेर मंगली केवट

जालौन जिले के विजवाहा गांव का रहने वाला मंगली केवट हमेशा भारी हथियारों से लैस रहता था।
उस समय बीहड़ों में AK-47 का उपयोग बहुत कम देखा जाता था, लेकिन डा​कैत मंगली केवट यही हथियार लेकर चलता था।
पुलिस ने महेशपुर गांव के पास जंगल से उसकी AK-47 और दो मैगजीन भी बरामद की थीं।

2006 में बाबूपुरवा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
उस पर हत्या, डकैती, हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोपों में कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा और औरैया में कुल मिलाकर कई मामले दर्ज थे।
उस समय पुलिस ने मंगली केवट पर ₹50,000 का इनाम रखा था।


पति-पत्नी ने साथ किया था आत्मसमर्पण — शुरू हुआ नया अध्याय

साल 2006 मंगली और उसकी पत्नी मालती केवट के जीवन में बड़ा मोड़ लेकर आया।
दोनों ने अपने पूरे गैंग के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।
यह कदम पूरे बुंदेलखंड में बड़ी खबर बना।
मंगली केवट पर तीन आजीवन कारावास और कई दस-दस साल की सज़ाएं थीं, लेकिन जेल में उसके अनुशासित व्यवहार और
समाजसेवा के प्रयासों की वजह से प्रशासन ने इसे हमेशा सराहा।

मालती केवट को भी आजीवन कारावास की सजा हुई थी और वह पिछले महीने जेल से रिहा हुई।
आज जब मंगली केवट जेल से बाहर आया, तो उसका परिवार इंतजार करता दिखा।
लोगों ने उसे गले लगाया, फूल पहनाए, और उसके शांतिपूर्ण जीवन की कामना की।

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रिहा होते ही चंबल का शेर मंगली केवट ने कहा—
“अब मेरा एक ही उद्देश्य है—सम्मानजनक और शांतिपूर्ण जीवन। अपने बच्चों, समाज और गांव के लिए कुछ अच्छा करना है।”


मंगली केवट का अतीत: क्यों बना बीहड़ों का बागी?

मंगली केवट का अतीत उसके वर्तमान जितना शांत नहीं था।
गरीब परिवार में जन्मा यह युवक खेत-खलिहान तक सीमित रह सकता था, लेकिन किस्मत ने उसे एक अलग रास्ते पर धकेल दिया।
बचपन में पिता की मृत्यु, परिवार की आर्थिक तंगी और पुलिस द्वारा बार-बार की गई प्रताड़ना ने उसके भीतर बगावत की आग भर दी।

यही वजह थी कि धीरे-धीरे उसने अपने जैसे पीड़ित युवाओं को साथ जोड़कर मंगली केवट गैंग खड़ा कर दिया।
बीहड़ों में उसकी पकड़ इतनी व्यापक थी कि लोग उसकी तुलना बड़े दस्युओं से करने लगे।
घर-घर में उसका नाम डर के साथ लिया जाता था, लेकिन दूसरी ओर गरीब तबके के लोग उसे ‘अपना रक्षक’ भी मानते थे।
यह द्वैत छवि ही उसे एक दिलचस्प और जटिल चरित्र बनाती है।


अब राजनीति में उतरने की तैयारी?

रिहाई के बाद जब पत्रकारों ने उससे उसके आगे की योजनाओं के बारे में पूछा, तो मंगली केवट ने बड़ी सरलता से कहा—
“अगर लोग चाहेंगे तो राजनीति में भी कदम रखूंगा।”

चूंकि बुंदेलखंड और कानपुर देहात क्षेत्र में उसका जनाधार आज भी बना हुआ है, इसलिए माना जा रहा है कि वह पंचायत या जिला स्तर की राजनीति में कदम रख सकता है।
उसके समर्थक खुले तौर पर कहते दिखे—“अब मंगली भाई समाज के लिए काम करेंगे।”

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अब मंगली केवट क्या करेगा?

रिहाई के बाद मंगली केवट ने साफ कहा—
“मेरा सबसे बड़ा सपना है कि मेरे बच्चे पढ़ें और सम्मान से जियें।”

उसने यह भी बताया कि जेल में रहते हुए उसने समय किताबों, ध्यान और धार्मिक गतिविधियों में बिताया।
आज वह बीते हुए अपराधों के लिए पछतावा जताता है और चाहता है कि आने वाली पीढ़ी बागी बनने की राह न चुने।

उसका यह नया रूप समाज के लिए एक प्रेरणा भी हो सकता है—कि अपराध का रास्ता छोड़कर भी नया जीवन शुरू किया जा सकता है।

मंगली केवट की रिहाई केवल एक व्यक्ति की वापसी नहीं, बल्कि एक कहानी का नया अध्याय है।
बीहड़ों का बागी अब समाज का जिम्मेदार नागरिक बनना चाहता है।
कभी AK-47 लेकर घूमने वाला डकैत मंगली केवट अब बच्चों को पढ़ाने और अपनी गांव की समस्याओं को हल करने की बात कर रहा है।
समय कैसे बदलता है, यह इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।


क्लिक करके सवाल–जवाब पढ़ें (FAQ)

1. मंगली केवट कौन है?
मंगली केवट 90 के दशक का कुख्यात दस्यु और चंबल का शेर कहा जाने वाला बागी था, जिसने बाद में आत्मसमर्पण कर दिया।
2. मंगली केवट कितने साल बाद जेल से रिहा हुआ?
मंगली केवट 19 साल 7 महीने की सजा पूरी करने के बाद रिहा हुआ है।
3. मंगली केवट क्यों बागी बना?
उसके अनुसार पुलिस प्रताड़ना, गरीबी और उत्पीड़न ने उसे बागी बनने पर मजबूर किया।
4. क्या मंगली केवट राजनीति में जाएगा?
हाँ, उसने कहा है कि यदि जनता चाहेगी तो वह राजनीति में कदम रखेगा।


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