CIMS बिलासपुर में उबाल: लैब टेक्नीशियन पर मारपीट का आरोप, जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर — प्रबंधन पर दबाव बनाने के गंभीर आरोप




हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CIMS) एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। शनिवार सुबह रेडियोलॉजी विभाग में हुई एक कथित मारपीट की घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने सामूहिक रूप से हड़ताल का रास्ता चुन लिया। आरोप है कि लैब टेक्नीशियन मनीष कुमार सोनी ने ड्यूटी के दौरान एक जूनियर डॉक्टर के साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया, बल्कि थप्पड़ मारकर शारीरिक हमला भी किया।

यह घटना केवल एक व्यक्तिगत विवाद तक सीमित नहीं रही, बल्कि देखते ही देखते यह अस्पताल प्रशासन, सुरक्षा व्यवस्था और डॉक्टरों के सम्मान से जुड़ा बड़ा सवाल बन गई। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे पहले ही भारी कार्यभार, सीमित संसाधनों और मानसिक दबाव में काम कर रहे हैं, ऐसे में कार्यस्थल पर असुरक्षा की भावना अस्वीकार्य है।

रेडियोलॉजी विभाग में कैसे भड़का विवाद

प्रत्यक्षदर्शियों और जूनियर डॉक्टरों के अनुसार, शनिवार सुबह रेडियोलॉजी विभाग में एक तकनीकी प्रक्रिया को लेकर कहासुनी शुरू हुई। देखते ही देखते यह बहस उग्र हो गई और आरोप है कि लैब टेक्नीशियन ने अपना आपा खोते हुए जूनियर डॉक्टर को थप्पड़ मार दिया। घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और अन्य डॉक्टर भी वहां पहुंच गए।

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जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि यदि समय रहते हस्तक्षेप न किया जाता, तो स्थिति और गंभीर हो सकती थी। घटना के बाद तत्काल इसकी सूचना अस्पताल प्रबंधन को दी गई और लिखित शिकायत भी सौंपी गई।

प्रबंधन पर मामले को दबाने का आरोप

जूनियर डॉक्टरों का सबसे बड़ा आक्रोश इस बात को लेकर है कि CIMS प्रबंधन ने आरोपी लैब टेक्नीशियन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बजाय उसे “मानसिक रूप से अस्वस्थ” बताकर मामले को हल्का करने की कोशिश की। डॉक्टरों का आरोप है कि इस तरह की दलीलें न केवल पीड़ित डॉक्टर के साथ अन्याय हैं, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को बढ़ावा भी दे सकती हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि यदि कोई कर्मचारी मानसिक रूप से अस्वस्थ है, तो उसे संवेदनशील विभाग में तैनात क्यों किया गया? और यदि हमला हुआ है, तो उसकी जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जा रही?

काम पर लौटने का दबाव और बढ़ता आक्रोश

आरोप है कि शिकायत के बाद भी प्रबंधन की ओर से जूनियर डॉक्टरों पर काम पर लौटने का दबाव बनाया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बिना सुरक्षा की गारंटी और दोषी पर कार्रवाई के वे काम पर लौटकर अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकते।

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इसी असंतोष के चलते शनिवार को जूनियर डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी। हड़ताल का असर ओपीडी, इमरजेंसी और अन्य चिकित्सा सेवाओं पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

जूनियर डॉक्टरों का साफ संदेश

हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनकी मांगें किसी प्रकार की जिद नहीं, बल्कि कार्यस्थल की न्यूनतम सुरक्षा और सम्मान से जुड़ी हैं। उनकी प्रमुख मांगों में आरोपी लैब टेक्नीशियन के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई, निष्पक्ष जांच और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस व्यवस्था शामिल है।

डॉक्टरों का यह भी कहना है कि यदि आज इस घटना को नजरअंदाज किया गया, तो कल किसी और डॉक्टर या स्टाफ के साथ भी ऐसी घटना हो सकती है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर संभावित असर

CIMS जैसे बड़े शासकीय चिकित्सा संस्थान में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का सीधा असर आम मरीजों पर पड़ सकता है। ग्रामीण और दूर-दराज़ क्षेत्रों से आने वाले मरीज पहले ही संसाधनों की कमी से जूझते हैं। ऐसे में सेवाओं में रुकावट स्थिति को और गंभीर बना सकती है।

हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि वे मरीजों के हित के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जब तक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

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प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा

यह मामला अब केवल एक विभागीय विवाद नहीं रह गया है, बल्कि यह CIMS प्रशासन की कार्यशैली, संवेदनशीलता और जवाबदेही की अग्निपरीक्षा बन गया है। सवाल यह है कि क्या प्रबंधन डॉक्टरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा या फिर मामले को दबाकर असंतोष को और बढ़ाएगा।

फिलहाल पूरे घटनाक्रम पर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की नजरें टिकी हुई हैं। आने वाले दिनों में लिया गया निर्णय न केवल इस हड़ताल का भविष्य तय करेगा, बल्कि संस्थान की छवि पर भी गहरा असर डालेगा।

सवाल-जवाब

❓ CIMS में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर क्यों गए?

रेडियोलॉजी विभाग में एक लैब टेक्नीशियन द्वारा जूनियर डॉक्टर से कथित मारपीट और प्रबंधन द्वारा कार्रवाई न किए जाने के विरोध में डॉक्टर हड़ताल पर गए।

❓ डॉक्टरों की मुख्य मांगें क्या हैं?

आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई, निष्पक्ष जांच और कार्यस्थल पर सुरक्षा की ठोस गारंटी।

❓ क्या हड़ताल से मरीजों को परेशानी होगी?

हां, हड़ताल लंबी चली तो ओपीडी और अन्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है।

❓ प्रशासन का अब तक क्या रुख है?

डॉक्टरों के अनुसार प्रबंधन मामले को दबाने और उन्हें काम पर लौटने का दबाव बना रहा है।

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