धुंध की गिरफ्त में देवरिया
अलर्ट, आदेश और अलाव के बीच ठिठुरता जनजीवन




संजय कुमार वर्मा के साथ अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
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देवरिया जिले में दिसंबर 2025 के मध्य में भीषण धुंध और ठंड का प्रकोप चरम पर पहुंच गया है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित इस जिले में प्रशासन ने स्कूलों के समय में बदलाव, रैन बसेरों का निरीक्षण और राहत सामग्री वितरण जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अलाव की कमी और अपर्याप्त व्यवस्थाओं के कारण कई चुनौतियां अब भी बरकरार हैं।

मौसम की भयावह स्थिति: रेड अलर्ट में देवरिया

देवरिया में 16 से 20 दिसंबर 2025 तक घने से अत्यधिक घने कोहरे का रेड अलर्ट जारी रहा। दृश्यता घटकर 50 से 60 मीटर तक सिमट गई। न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास गिर गया, जबकि अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री नीचे दर्ज किया गया। पछुआ हवाओं ने गलन को और बढ़ा दिया।

मौसम विभाग ने गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर समेत 20 जिलों में शीतलहर और कोहरे की चेतावनी जारी की थी। सड़कों पर वाहन हेडलाइट जलाकर रेंगते नजर आए और रात आठ बजे के बाद शहर में सन्नाटा पसर गया।

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सबसे ज्यादा प्रभावित कौन?

इस मौसमीय प्रकोप का सबसे अधिक असर स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और मजदूर वर्ग पर पड़ा। घने कोहरे में बच्चे कांपते हुए स्कूल पहुंचे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में किसान खेतों में काम करने से कतरा रहे।

मुख्यमंत्री के निर्देश और राज्य स्तरीय तैयारी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यव्यापी निर्देश जारी करते हुए हाईवे पर पेट्रोलिंग, ब्लैक स्पॉट्स पर रिफ्लेक्टर लगाने, रैन बसेरों में हीटर-कंबल की व्यवस्था, टोल प्लाजा पर लाउडस्पीकर से फॉग वार्निंग और क्रेन-एम्बुलेंस की 24×7 उपलब्धता सुनिश्चित करने के आदेश दिए।

जिला प्रशासन के कदम

डीएम दिव्या मित्तल ने कक्षा 1 से 8 तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक कर दिया। यह आदेश 20 दिसंबर तक लागू रहा।

अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) जैनेन्द्र सिंह ने देवरिया बस स्टेशन, रामेश्वर लाल चौराहा और सलेमपुर रेलवे स्टेशन स्थित रैन बसेरों का निरीक्षण कर साफ-सफाई, कंबल, अलाव, शौचालय, पेयजल और सुरक्षा व्यवस्था की जांच की।

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एडीएम (वित्त एवं राजस्व) रामशंकर ने सभी विभागों को अलर्ट मोड में रखने, कंबल वितरण और पशुशालाओं में सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

जमीनी हकीकत: दावे बनाम सच्चाई

प्रशासनिक दावों के बावजूद नगर पालिका परिषद देवरिया द्वारा प्रमुख चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं की गई। दुकानदार बोरा और प्लास्टिक जलाकर खुद को गर्म करने को मजबूर दिखे।

शहर में केवल एक स्थायी रैन बसेरा बस स्टैंड पर चालू रहा। रेलवे स्टेशन और मेडिकल कॉलेज जैसे स्थानों पर पर्याप्त इंतजाम नहीं दिखे। स्ट्रीटलाइट मरम्मत और रिफ्लेक्टर लगाने में देरी से वाहन चालकों को दुर्घटना का खतरा बना रहा।

बजट और राहत राशि की तस्वीर

उत्तर प्रदेश सरकार ने शीतलहर राहत के लिए कुल 20 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी की, जिसमें कंबल के लिए 17.55 करोड़ और अलाव के लिए 1.75 करोड़ रुपये शामिल हैं। प्रत्येक तहसील को औसतन 50,000 रुपये अलाव के लिए और लगभग 1,000 कंबल दिए जाते हैं।

देवरिया की चार तहसीलों को इसी फॉर्मूले के आधार पर लगभग 2 लाख रुपये अलाव के लिए और अतिरिक्त कंबल मिलने की संभावना है, लेकिन जिला स्तर पर सटीक आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।

प्रभावित वर्गों पर असर

स्कूली बच्चों को समय परिवर्तन से राहत मिली, लेकिन बुजुर्ग और असहाय रैन बसेरों की कमी से परेशान रहे। मजदूरों और किसानों का काम ठप रहा, बाजारों में ग्राहकी घटी और यात्री जाम व दुर्घटनाओं के डर से सहमे रहे।

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सुझाव और आगे की तैयारी

अलाव की तत्काल व्यवस्था, रैन बसेरों की संख्या बढ़ाना, मोबाइल अलाव इकाइयां, ग्रामीण जागरूकता अभियान और स्ट्रीटलाइट नेटवर्क को मजबूत करना अब अनिवार्य हो गया है। मौसम विभाग की चेतावनियों पर त्वरित प्रतिक्रिया ही भविष्य में भरोसा कायम कर सकती है।

पाठकों के सवाल, जवाब के साथ

देवरिया में स्कूलों का समय क्यों बदला गया?

घने कोहरे और ठंड से बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों का समय बदला गया।

अलाव की कमी क्यों बनी हुई है?

बजट आवंटन के बावजूद कार्यान्वयन में देरी और निगरानी की कमी इसकी मुख्य वजह है।

रैन बसेरों की संख्या कितनी है?

शहर में फिलहाल केवल एक स्थायी रैन बसेरा सक्रिय है, जो जरूरत के मुकाबले बेहद कम है।

क्या राहत बजट का सही उपयोग हो रहा है?

आधिकारिक आंकड़ों की कमी के कारण इस पर सवाल बने हुए हैं, RTI से ही स्पष्टता संभव है।

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