बैंक कर्मचारी की मिलीभगत से बनाए जा रहे थे नकली आधार कार्ड, पुलिस के खुलासे ने चौंका दिया

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

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उत्तर प्रदेश के रायबरेली में पुलिस ने एक ऐसे अंतरराज्यीय फर्जी आधार कार्ड गिरोह का पर्दाफाश किया है जिसने बैंक कर्मचारी की मिलीभगत के सहारे बड़े पैमाने पर नकली आधार कार्ड और फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार किए। रायबरेली पुलिस कार्रवाई के इस खुलासे ने न केवल जिले को बल्कि पूरे प्रदेश को हिला दिया है।

थाना डीह थाना रायबरेली की पुलिस ने बैंक में आधार कार्ड बनाने वाले कर्मचारी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर उनके पास से भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, स्कैनर, प्रिंटर और नकदी बरामद की है। पुलिस का कहना है कि यह फर्जी आधार कार्ड गिरोह अत्यंत संगठित तरीके से काम कर रहा था और कई राज्यों में इनकी जड़ें फैली हुई थीं।

मुखबिर की सूचना ने खोला बड़ा फर्जीवाड़ा

रायबरेली पुलिस को तब बड़ी सफलता मिली जब एक विश्वसनीय मुखबिर ने सूचना दी कि कुछ लोग बैंक से जुड़े दस्तावेजों और ग्राहक विवरण का दुरुपयोग कर नकली आधार कार्ड तैयार कर रहे हैं। इस सूचना पर तुरंत कार्रवाई करते हुए डीह थाना पुलिस ने छापेमारी की और मौके से उपकरण व दस्तावेज बरामद किए जो साबित करते हैं कि फर्जी आधार कार्ड बनाना इनके लिए एक नियमित व्यवसाय बन चुका था।

छापेमारी के दौरान पकड़े गए इन तीनों आरोपियों की पहचान बैंक कर्मचारी अनुज यादव, अरविंद कुमार और शत्रुघ्न पासी के रूप में हुई है। तीनों ही रायबरेली जिले के रहने वाले हैं और लंबे समय से फर्जी आधार कार्ड गिरोह से जुड़े थे।

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बैंक कर्मचारी ही लीक कर रहा था संवेदनशील डेटा

पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरोह का मुख्य मास्टरमाइंड बैंक कर्मचारी अनुज यादव था, जो आधार कार्ड बनाने का कार्य संभालता था। वह अपनी सरकारी जिम्मेदारी का दुरुपयोग करते हुए ग्राहकों का संवेदनशील डेटा, पहचान दस्तावेज और निजी रिकॉर्ड चुपके से गिरोह के अन्य सदस्यों को पहुंचाता था।

इसी संवेदनशील जानकारी के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्य अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक साधनों का उपयोग कर नकली आधार कार्ड, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और अन्य सरकारी दस्तावेज तैयार करते थे। यह नकली दस्तावेज आगे चलकर फर्जी बैंक खातों, सिम कार्ड, अवैध लेन-देन, फर्जी सत्यापन और यहां तक कि बड़े साइबर अपराधों में उपयोग किए जाते थे।

डीह थाना रायबरेली पुलिस की बड़ी कार्रवाई

छापेमारी में पुलिस ने भारी मात्रा में सामग्री बरामद की जिसमें शामिल हैं:

  • कई फर्जी आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र
  • उच्च गुणवत्ता वाले स्कैनर और प्रिंटर
  • कंप्यूटर सिस्टम और स्टोरेज डिवाइस
  • नकदी और दस्तावेजों की बड़ी मात्रा

एसपी रायबरेली डॉ. यशवीर सिंह के निर्देश पर साइबर अपराध और दस्तावेजीय धोखाधड़ी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में यह अब तक की सबसे बड़ी सफलता बताई जा रही है। रायबरेली पुलिस कार्रवाई ने प्रदेश भर में चल रहे ऐसे अंतरराज्यीय गिरोहों को भी सतर्क कर दिया है।

फर्जी दस्तावेज बनाने का पूरा नेटवर्क तैयार था

पुलिस जांच में सामने आया है कि गिरोह ने फर्जी आधार कार्ड बनाना एक संगठित व्यापार बना लिया था। बैंक कर्मचारी की भूमिका इसमें सबसे अहम थी क्योंकि मूल ग्राहक डेटा वहीं से निकलता था। फिर उस डेटा का इस्तेमाल करके गिरोह के सदस्य उच्च गुणवत्ता के नकली दस्तावेज तैयार करते थे।

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ये नकली आधार कार्ड और फर्जी जन्म प्रमाण पत्र राज्य के भीतर ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों तक भेजे जा रहे थे। इन दस्तावेजों के बदले गिरोह अच्छी खासी रकम वसूलता था।

जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह ने कई सरकारी और निजी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए भी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। इससे सरकारी राजस्व की भी बड़ी हानि हो रही थी।

कैसे पकड़ा गया गिरोह? पुलिस ने बताया पूरा ऑपरेशन

सूत्रों के अनुसार, पुलिस को कुछ संदिग्ध आधार कार्डों की जांच के दौरान असंगतियाँ मिलीं। एक ही व्यक्ति का बायोमेट्रिक डेटा कई अलग-अलग पहचान पत्रों में मिल रहा था। जब तकनीकी टीम ने इन आधार कार्डों के मेटाडेटा की जांच की, तो पता चला कि अधिकांश कार्ड एक ही बैंक शाखा में बनाए गए थे।

इसी सुराग ने पुलिस को डीह थाना रायबरेली में तैनात आधार कार्ड केंद्र तक पहुंचाया और आखिरकार पूरा फर्जी आधार कार्ड गिरोह उजागर हो गया।

अंतरराज्यीय गिरोह के और सदस्य तलाश में

पुलिस को संदेह है कि गिरोह के कई सदस्य अभी भी फरार हैं और राज्य से बाहर छिपे हो सकते हैं। साइबर सेल और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमें इनकी तलाश में छापेमारी कर रही हैं।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इस अंतरराज्यीय गिरोह का कनेक्शन हरियाणा, बिहार और मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है जहाँ नकली दस्तावेज बेचने का बड़ा नेटवर्क मौजूद था।

रायबरेली पुलिस कार्रवाई की प्रदेशभर में चर्चा

यह मामला प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि बैंक कर्मचारी की संलिप्तता ने पूरे बैंकिंग तंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। पुलिस का कहना है कि यह केवल शुरुआत है, जल्द ही इस गिरोह की गहरी परतें उजागर होंगी।

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एसपी ने कहा कि प्रशासन बैंक कर्मचारियों की गतिविधियों और आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया पर अब और कड़ी निगरानी करेगा जिससे फर्जी आधार कार्ड बनाना जैसी घटनाएं दोबारा न हों।

कानूनी कार्रवाई—आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में

तीनों गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है। पुलिस ने उनके मोबाइल, लैपटॉप और हार्ड डिस्क को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितने नकली आधार कार्ड बनाए गए और उनका कहां-कहां उपयोग हुआ।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गिरोह के पकड़े जाने से सैकड़ों लोगों की पहचान दुरुपयोग से बच सकती है और साइबर अपराध में कमी आएगी।


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रायबरेली में फर्जी आधार कार्ड गिरोह कैसे पकड़ा गया?

पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी। इसके बाद डीह थाना रायबरेली की टीम ने छापा मारकर नकली दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए।

क्या बैंक कर्मचारी भी गिरोह में शामिल था?

हाँ, बैंक कर्मचारी अनुज यादव अपने पद का दुरुपयोग कर ग्राहकों का संवेदनशील डेटा गिरोह को उपलब्ध कराता था।

गिरोह नकली आधार कार्ड का उपयोग कहाँ करता था?

फर्जी बैंक खाते खोलने, सिम कार्ड प्राप्त करने, फर्जी लेन-देन, सरकारी योजनाओं का अनुचित लाभ लेने और साइबर अपराधों में।

क्या यह गिरोह अंतरराज्यीय स्तर पर काम करता था?

हाँ, पुलिस जांच में इसके कनेक्शन हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार तक पाए गए हैं।

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