वृंदावन साध्वी हत्याकांड : 50 गज जमीन के लिए चंद्रमुखी उर्फ चित्रा दासी की हत्या, सनसनीखेज राज

ठाकुर के के सिंह की रिपोर्ट

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मथुरा के वृंदावन में सामने आया यह वृंदावन साध्वी हत्याकांड सिर्फ एक हत्या की वारदात नहीं, बल्कि आस्था की नगरी में जमीन के लालच, जालसाजी और पुलिस-प्रशासन की सुस्ती की एक दर्दनाक कहानी है। महज 50 गज जमीन के लिए 70 वर्षीय साध्वी चंद्रमुखी देवी उर्फ चित्रा दासी की गला दबाकर हत्या कर दी गई, शव को जला दिया गया, फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाया गया और फिर उनका मकान बेच दिया गया। 11 महीने तक गुमशुदगी की फाइलों में दबा यह मामला आखिरकार वृंदावन साध्वी हत्याकांड के रूप में सामने आया।

कौन थीं चंद्रमुखी उर्फ चित्रा दासी – भक्ति में लीन साध्वी, जो बन गईं वृंदावन साध्वी हत्याकांड की शिकार

बिहार की मूल निवासी करीब 70 वर्षीय चंद्रमुखी देवी उर्फ चित्रा दासी पिछले लगभग 35 साल से अपने पति के साथ मथुरा के वृंदावन स्थित गौशाला नगर में रह रही थीं। पति की मृत्यु करीब 10 साल पहले हो गई, जिसके बाद वे अकेली उसी मकान में रहकर भजन-कीर्तन और साधना में लीन रहीं।

उन्होंने महंत फूलडोल दास महाराज के शिष्य से दीक्षा ली हुई थी और संत परंपरा का पालन करती थीं। रोजाना भगवान का भजन, वृंदावन की परिक्रमा और शांत, सादगीभरा जीवन ही उनकी दिनचर्या थी। किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि इसी शांत जीवन का अंत इतनी भयावह तरह से होगा और देश भर में इसे वृंदावन साध्वी हत्याकांड के नाम से जाना जाएगा।

गायब होने से शुरू हुई कहानी, 11 महीने बाद सामने आया वृंदावन साध्वी हत्याकांड

यह पूरा वृंदावन साध्वी हत्याकांड दिसंबर 2024 से शुरू होता है। साध्वी चित्रा दासी रोज की तरह वृंदावन की परिक्रमा किया करती थीं। 21 दिसंबर के आसपास कुंभ की तैयारी में व्यस्त संत लाडली दास के पास उनके गुरु महंत फूलडोल बिहारी दास का फोन आता है। वे बताते हैं कि पिछले पांच दिनों से प्रतिदिन परिक्रमा देने वाली साध्वी चित्रा दासी दिखाई नहीं दी हैं।

संदेह बढ़ा तो संत लाडली दास ने आसपास पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। इसके बाद पुलिस से गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई। यहीं से इस मामले की शुरुआत गुमशुदगी के रूप में हुई, जो बाद में वृंदावन साध्वी हत्याकांड में बदल गई। लेकिन शुरुआती दौर में पुलिस ने सिर्फ औपचारिक कागजी जांच की और कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

जून तक नहीं लौटीं साध्वी, संतों ने जताया शक, फिर भी टलती रही जांच

किसी ने संतों से कहा कि संभव है साध्वी कुंभ में चली गई हों। लेकिन जब जून 2025 तक साध्वी चित्रा दासी न तो लौटीं और न ही उनका कोई अता-पता मिला, तब 21 जून 2025 को दोबारा पुलिस से शिकायत की गई।

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इसके बावजूद वृंदावन साध्वी हत्याकांड की दिशा में जांच तेज नहीं हुई। पुलिस मामले की जांच की बात कहती रही, लेकिन साध्वी का कोई सुराग नहीं मिला। इस दौरान साध्वी के घर पर लगातार ताला लगा रहा। जब संतों और गुरु भाई ने मिलकर दबाव बनाया, तब जाकर पुलिस ने घर की तलाशी ली।

तलाशी में घर के अंदर से साध्वी के मोबाइल फोन बरामद हुए, जबकि साध्वी खुद गायब थीं। अगर उस समय गंभीरता से जांच की जाती, तो शायद वृंदावन साध्वी हत्याकांड का सच और पहले सामने आ सकता था, लेकिन मामला लंबे समय तक गुमशुदगी के घेरे में ही उलझा रहा।

सीओ सिटी आशना चौधरी के हाथ आते ही 20 दिन में खुल गया वृंदावन साध्वी हत्याकांड

संत समाज के बढ़ते दबाव और सवालों के बीच एसएसपी ने इस केस की जांच सीओ सदर से ट्रांसफर कर सीओ सिटी आशना चौधरी को सौंप दी। यही वह मोड़ था जहां से वृंदावन साध्वी हत्याकांड की परतें तेजी से खुलनी शुरू हुईं।

सीओ सिटी ने मामले को नए सिरे से लिया, मोबाइल डिटेल, कॉल रिकॉर्ड, जमीन से जुड़े कागज़ात, संदिग्धों की गतिविधियां और आसपास के लोगों के बयान – सबको जोड़कर देखा। सिर्फ 20 दिनों के भीतर वृंदावन साध्वी हत्याकांड की कहानी सामने आने लगी और पुलिस एक-एक कर आरोपियों तक पहुंच गई। पुलिस टीम ने जो तथ्य जुटाए, उन्हें सुनकर खुद पुलिस भी दंग रह गई।

50 गज जमीन के लालच ने लिया वृंदावन साध्वी हत्याकांड का रूप, जिम चलाने वाला अभिषेक बना मास्टरमाइंड

पुलिस ने खुलासा किया कि वृंदावन साध्वी हत्याकांड का मास्टरमाइंड 26 वर्षीय अभिषेक शर्मा है। वह साध्वी चंद्रमुखी के मकान के पीछे बने एक मकान के बेसमेंट में जिम चलाता था। जिम का सामान खरीदने और अन्य कारणों से उस पर भारी कर्ज हो गया था।

इसी कर्ज और लालच ने अभिषेक को अपराध की राह पर धकेल दिया। उसने अपने मित्र विकास मिश्रा (पुत्र सुधाकर, निवासी रेहरिया, थाना सिधौंली, जिला शाहजहांपुर, हाल निवासी हरदेव कॉलोनी, गौरानगर, वृंदावन) के साथ मिलकर प्लान बनाया कि साध्वी को रास्ते से हटा कर उनके 50 गज के मकान पर कब्जा किया जाए। इस तरह निजी आर्थिक संकट ने एक बुजुर्ग साध्वी की हत्या को वृंदावन साध्वी हत्याकांड में बदल दिया।

दिसंबर 2024 में गला घोंटकर हत्या, केसी घाट पर शव का दाह संस्कार – ऐसे छिपाया गया वृंदावन साध्वी हत्याकांड

पुलिस के अनुसार, दिसंबर 2024 में अभिषेक और उसके साथियों ने साध्वी चंद्रमुखी की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के बाद वृंदावन साध्वी हत्याकांड पर हमेशा के लिए पर्दा डालने के इरादे से उन्होंने साध्वी का शव केसी घाट पर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया।

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चूंकि साध्वी अकेली रहती थीं, उम्रदराज थीं और संत जीवन जी रही थीं, इसलिए उनके अंतिम संस्कार पर किसी ने विशेष सवाल भी नहीं किया। इसी का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने अगला कदम उठाया – उन्होंने साध्वी के मकान का ताला तोड़कर भीतर से सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज चोरी कर लिए।

मकान की रजिस्ट्री की मूल प्रति, साध्वी का आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और उनके दिवंगत पति के आधार कार्ड सहित सारे कागज़ात आरोपियों के हाथ लग गए। अब वृंदावन साध्वी हत्याकांड केवल हत्या नहीं रहा, बल्कि जालसाजी और फर्जीवाड़े का संगठित केस बन गया।

शाहजहांपुर से फर्जी डेथ सर्टिफिकेट, फिर 2 मई 2025 को बेच दिया साध्वी का मकान

हत्या और शव दाह के बाद आरोपियों के सामने सबसे बड़ा सवाल था – कागजों में साध्वी की मौत को कैसे “सिस्टम” में दर्ज कराया जाए, ताकि मकान बेचना आसान हो जाए। इसके लिए वृंदावन साध्वी हत्याकांड का अगला चरण शुरू हुआ – फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाने की साजिश।

अभिषेक ने अपने मित्र विकास मिश्रा की मदद से साध्वी चंद्रमुखी को शाहजहांपुर जिले की पुवायां तहसील के सिरखिड़ी गांव का निवासी दिखाया और वहीं से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की योजना बनाई। पुलिस के मुताबिक, 29 फरवरी 2025 को साध्वी के नाम से फर्जी डेथ सर्टिफिकेट निकलवा लिया गया।

जब डेथ सर्टिफिकेट बन गया, तो आरोपियों ने फर्जी वसीयत और अन्य दस्तावेज तैयार कराकर चंद्रमुखी के मकान को अपना बताते हुए 2 मई 2025 को बेच दिया। इस तरह यह पूरा मामला वृंदावन साध्वी हत्याकांड से आगे बढ़कर जमीन हड़पने और सरकारी कागज़ों का दुरुपयोग करने वाले गिरोह की हरकतों की मिसाल बन गया।

BNS की धाराओं में मुकदमा, 6 आरोपी गिरफ्तार – अदालत की कसौटी पर होगा वृंदावन साध्वी हत्याकांड

मथुरा पुलिस ने इस वृंदावन साध्वी हत्याकांड में मुकदमा अपराध संख्या 641/25 दर्ज किया है। यह केस BNS की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2), 305, 140(1), 352, 351(2) में पंजीकृत किया गया है।

इस साध्वी हत्याकांड में मुख्य आरोपी के रूप में 26 वर्षीय अभिषेक शर्मा पुत्र शिवदत्त शर्मा (मूल निवासी – गिरधारी मंदिर के पास, गौरानगर, वृंदावन) को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ जिन अन्य आरोपियों को पकड़ा गया, वे हैं:

  • विजय सिंह पुत्र बाबूलाल, निवासी लक्ष्मण नगर, थाना शेरगढ़, मथुरा, उम्र करीब 44 वर्ष
  • वकील मोहम्मद पुत्र बुंदू खान, निवासी राधा गिरधारी मंदिर, गौरानगर कॉलोनी, वृंदावन, उम्र करीब 36 वर्ष
  • मोहम्मद आरिफ पुत्र बुंदू खान, उम्र करीब 36 वर्ष
  • ओमकार सिंह पुत्र निरंजन, स्थायी पता – 100 नरसी पुरम, थाना रिफाइनरी, मथुरा, उम्र करीब 37 वर्ष
  • विकास मिश्रा पुत्र सुधाकर मिश्रा, निवासी रेहरिया, थाना सिधौंली, जिला शाहजहांपुर, उम्र करीब 24 वर्ष
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पुलिस का कहना है कि वृंदावन साध्वी हत्याकांड में और भी कड़ियां सामने आ सकती हैं। अब यह पूरा मामला अदालत की कसौटी पर है, जहां देखा जाएगा कि साध्वी हत्याकांड में किसे कितनी सज़ा मिलती है और जमीन के लालच में की गई इस क्रूर वारदात का कानूनी अंजाम क्या होता है।

वृंदावन साध्वी हत्याकांड से उठे बड़े सवाल – क्या संत समाज भी जमीन माफियाओं के निशाने पर?

वृंदावन साध्वी हत्याकांड सिर्फ एक आपराधिक प्रकरण नहीं, बल्कि यह संदेश भी देता है कि आस्था की नगरी में जमीन और पैसे का लालच किस हद तक बढ़ चुका है। एक बुजुर्ग साध्वी, जो भजन-कीर्तन और परिक्रमा में जीवन बिता रही थीं, उन्हें सिर्फ 50 गज जमीन के लिए मौत के घाट उतार दिया गया।

सवाल यह भी है कि अगर संत समाज और गुरु भाई लगातार दबाव न बनाते, तो क्या यह वृंदावन साध्वी हत्याकांड कभी सच के रूप में सामने आता? क्या शुरुआती जांच में पुलिस की सुस्ती ने अपराधियों को समय और हिम्मत नहीं दी?

ब्रज क्षेत्र में बढ़ती जमीन की कीमतें, तीर्थ पर्यटन का व्यापार, अवैध कब्जे और दलालों की सक्रियता – यह सब मिलकर ऐसे अपराधों को जन्म दे रहे हैं। वृंदावन साध्वी हत्याकांड इस बात की चेतावनी है कि अगर समय रहते सख्त निगरानी, पारदर्शी जांच और धार्मिक स्थलों की विशेष सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई, तो संत समाज भी जमीन माफियाओं और आपराधिक गिरोहों का आसान निशाना बनता रहेगा।


वृंदावन साध्वी हत्याकांड से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल-जवाब (FAQ)

वृंदावन साध्वी हत्याकांड में किस साध्वी की हत्या की गई?

वृंदावन साध्वी हत्याकांड में बिहार मूल की करीब 70 वर्षीय साध्वी चंद्रमुखी देवी उर्फ चित्रा दासी की हत्या की गई, जो पिछले लगभग 35 वर्षों से वृंदावन के गौशाला नगर में रह रही थीं।

वृंदावन साध्वी हत्याकांड में हत्या की मुख्य वजह क्या बताई गई?

पुलिस के अनुसार वृंदावन साध्वी हत्याकांड की मुख्य वजह साध्वी के नाम पर दर्ज लगभग 50 गज जमीन और मकान पर कब्जा करना था। इसी लालच में साध्वी की गला दबाकर हत्या की गई, शव को जला दिया गया और फर्जी दस्तावेज बनवाकर मकान बेच दिया गया।

वृंदावन साध्वी हत्याकांड कब सामने आया और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

साध्वी के लापता होने की शुरुआत दिसंबर 2024 से हुई। गुमशुदगी की शिकायत तो दर्ज हुई, लेकिन असल में वृंदावन साध्वी हत्
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