
राजेश यादव की रिपोर्ट
जालौन FIR विवाद एक बार फिर सुर्खियों के केंद्र में है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) उरई जालौन द्वारा स्पष्ट आदेश देने के बावजूद भी कोंच कोतवाली में पीड़ित परिवार की FIR दर्ज नहीं की गई। इससे न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठे हैं, बल्कि यह पूरे प्रदेश में कानून के क्रियान्वयन पर गहरा प्रश्नचिह्न भी छोड़ता है। जालौन FIR विवाद का यह मुद्दा अब तेजी से प्रदेशभर में चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
शादी के बाद बढ़ता दहेज उत्पीड़न, बना जालौन FIR विवाद का आधार
पीड़ित परिवार की बेटी की शादी 25 दिसंबर 2024 को हिंदू रीति-रिवाज के साथ की गई थी। सामर्थ्य के अनुसार दान-दहेज दिया गया था, परंतु विवाह के तुरंत बाद ही ससुराल पक्ष की क्रूरता सामने आने लगी। पीड़िता ने बताया कि पिछले एक वर्ष से उसे लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जा रही थी। उसे कमरे में बंद करके भूखा-प्यासा रखा जाता था।
पति आनंद चौधरी, ससुर श्याम किशोर, सास शिवकुमारी और देवर सागर चौधरी द्वारा चरित्रहीनता का आरोप लगाकर अपमानित किया जाता था। यह अत्याचार जालौन FIR विवाद का सबसे प्रमुख और शुरुआती कारण रहा, जिसे पुलिस द्वारा नजरअंदाज किया गया।
अहमदाबाद ले जाकर और बढ़ा उत्पीड़न, गहने छीनने का आरोप
पीड़िता और उसकी देवरानी शिल्पी को ससुराल पक्ष अहमदाबाद ले गया, जहां किराए के मकान में रहते हुए उत्पीड़न और अधिक बढ़ गया। सोने-चांदी के सभी गहने छीन लिए गए और सास शिवकुमारी ने कहा कि “अपने बाप से कहो, दोबारा गहने बनवाकर भेजें।” इन घटनाओं ने जालौन FIR विवाद को और अधिक गंभीर बना दिया, क्योंकि पीड़िता के पास सभी सबूत मौजूद थे।
पति आनंद आए दिन शराब के नशे में मारपीट और गाली-गलौज करता था। जब शिल्पी ने इसका विरोध किया, तो उसे जान से मारने की धमकी मिली। पीड़िता का आरोप है कि सभी ससुराल वाले दोनों बहनों के खिलाफ वरिष्ठ स्तर पर षड्यंत्र रच रहे थे।
साजिश के तहत हत्या का आरोप, शिल्पी की संदिग्ध मौत
पीड़िता ने बताया कि उसने अपनी देवरानी शिल्पी की हत्या की साजिश खुद सुनी थी। 26 सितंबर 2025 को ससुर श्याम किशोर, कार्तिक, जैकी और गिरीश ने शिल्पी के गले में साड़ी बांधकर हत्या कर दी और बाद में उसे फांसी पर लटका दिया गया। धमकी देकर पीड़िता को जबरदस्ती चुप कराया गया।
यह मामला सामने आने के बाद जालौन FIR विवाद और अधिक जटिल और संवेदनशील हो गया, क्योंकि इसमें हत्या का प्रयास, षड्यंत्र और महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराध शामिल थे।
SSP ने दिया FIR लिखने का आदेश, फिर भी कोंच कोतवाली ने नहीं माना
18 नवंबर 2025 को पीड़िता SSP उरई जालौन के पास पहुँची और लिखित तहरीर प्रस्तुत की। सबूत देखने के बाद SSP ने स्पष्ट आदेश दिया कि कोंच कोतवाली तुरंत FIR दर्ज करे। लेकिन यही वह बिंदु है जहां जालौन FIR विवाद ने वास्तविक जन्म लिया — क्योंकि आदेश के बाद भी FIR दर्ज नहीं की गई।
पुलिस की यह मनमानी न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करती है, बल्कि यह संकेत देती है कि जमीनी स्तर पर कानून का पालन कितना कमजोर है।
योगी सरकार की नीतियों की खुली अवहेलना?
उत्तर प्रदेश सरकार लगातार महिला सुरक्षा, दहेज प्रताड़ना और हत्या के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करती है। लेकिन जालौन FIR विवाद में इन नीतियों की स्पष्ट अवहेलना दिखाई देती है।
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SSP के लिखित आदेश भी प्रभावी न हों, तो ऐसे में आम नागरिक न्याय के लिए किस पर भरोसा करे? “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा इस मामले में खोखला प्रतीत होता है।
पीड़ित परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करेगा मुलाकात
पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता से निराश पीड़ित परिवार 20 नवंबर 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने जा रहा है। पूरा मामला राज्य सरकार के शीर्ष स्तर तक पहुँचने वाला है। इससे जालौन FIR विवाद को और तेज़ी से उठाया जाने की संभावना है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि तत्काल FIR नहीं दर्ज की जाती, तो यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की छवि पर गहरा घाव बनेगा।
जालौन FIR विवाद से बढ़ी जनता की नाराजगी
इस पूरे प्रकरण ने स्थानीय जनता में गुस्सा बढ़ा दिया है। लोगों का कहना है कि जब उच्च अधिकारियों के आदेश भी न माने जाएँ, तो फिर आम नागरिक की क्या सुनवाई होगी? इसीलिए जालौन FIR विवाद अब एक प्रशासनिक बहस बन चुका है।
कानून व्यवस्था के सवालों के साथ-साथ महिला सुरक्षा और न्याय की उम्मीदों पर भी गंभीर प्रहार हुआ है। पीड़िता की व्यथा, देवरानी की मौत और FIR न लिखे जाने की तीनों कड़ियाँ मिलकर एक भयावह तस्वीर पेश कर रही हैं।
जालौन FIR विवाद का प्रशासनिक प्रभाव
जालौन में इस विवाद के बाद पुलिस प्रशासन की विश्वसनीयता पर व्यापक प्रश्न खड़े हो गए हैं। लोग अब जानना चाहते हैं कि क्या कार्रवाई की जाएगी? क्या SSP के आदेशों को न मानने वाले अधिकारी बच जाएंगे?
जालौन FIR विवाद की निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई ही इस विश्वास को बहाल कर सकती है कि कानून सभी के लिए बराबर है।
FAQ — क्लिक करें और जवाब देखें
1. जालौन FIR विवाद क्या है?
यह विवाद SSP के आदेश के बावजूद FIR दर्ज न करने से जुड़ा है, जिसमें दहेज उत्पीड़न, मारपीट और हत्या की साजिश जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं।
2. पीड़िता ने क्या आरोप लगाए हैं?
पीड़िता ने दहेज उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना, गहने छीनने, मारपीट और देवरानी की हत्या की साजिश का आरोप लगाया है।
3. FIR क्यों नहीं लिखी गई?
कोंच कोतवाली पर SSP के आदेश को नजरअंदाज करने और मनमानी का आरोप है, जो विवाद का मुख्य कारण बना।
4. अब आगे क्या होगा?
पीड़ित परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने जा रहा है, जहां मामले में हस्तक्षेप की उम्मीद है।






