
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
नई दिल्ली : देशभर में दिवाली के उत्सव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत से देश को संबोधित किया। यह संबोधन केवल एक त्योहार की शुभकामना नहीं था, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा उत्पादन में आत्मगौरव का प्रतीक बन गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते दस वर्षों में देश ने जिस गति से आत्मनिर्भरता और सुरक्षा मोर्चे पर प्रगति की है, वह स्वतंत्र भारत के इतिहास में अभूतपूर्व है।
INS विक्रांत से प्रतीकात्मक संदेश
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के लिए INS विक्रांत को चुना — यह न केवल तकनीकी कौशल का प्रतीक है बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की जीवंत मिसाल भी है। उन्होंने कहा, “भारत अब केवल अपने लिए हथियार नहीं बना रहा, बल्कि विश्व को सुरक्षा समाधान देने वाला देश बन चुका है।” यह कथन वैश्विक मंच पर भारत की नई भूमिका की घोषणा के समान था।
INS विक्रांत, जो कोचीन शिपयार्ड में स्वदेशी तकनीक से निर्मित हुआ है, अब नौसेना की सामरिक शक्ति का प्रमुख हिस्सा है। मोदी ने कहा कि “हमारी सेनाओं में आज आत्मविश्वास और स्वाभिमान दोनों है। यह आत्मनिर्भर भारत का नया अध्याय है।”
नक्सल समस्या पर ‘अंतिम चरण’ की घोषणा
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नक्सल और माओवादी हिंसा पर भी कड़ा रुख दिखाया। उन्होंने दावा किया कि पिछले दस वर्षों में 100 से अधिक जिलों को नक्सल समस्या से मुक्त किया गया है। अब यह समस्या केवल कुछ सीमित इलाकों तक सिमट गई है।
उन्होंने कहा, “एक समय था जब देश के कई हिस्सों में नक्सलवाद के कारण विकास रुक गया था। आज स्थिति बदल चुकी है। सुरक्षा बलों, प्रशासन और जनता के सहयोग से अब यह लड़ाई अपने अंतिम चरण में है।”
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में नक्सली घटनाओं में 70 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में विकास कार्यों के विस्तार ने इस सफलता में बड़ा योगदान दिया है।
रक्षा निर्यात और मेक इन इंडिया की छलांग
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 में जहां भारत का रक्षा निर्यात केवल ₹900 करोड़ था, वहीं अब यह आंकड़ा ₹30,000 करोड़ से अधिक हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारत अब मिसाइल प्रणालियों, रडार और नौसैनिक उपकरणों के निर्यात में वैश्विक पहचान बना रहा है।
“अब विदेशी ताकतें हमसे रक्षा सहयोग की पहल कर रही हैं। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में हमारी नीति की सफलता है,” प्रधानमंत्री ने कहा। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी और स्टार्टअप्स के नवाचारों को भी सराहा।

सेना और समाज का एकत्व
दिवाली के इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने नौसेना के जवानों के साथ दीप जलाकर देशवासियों को यह संदेश दिया कि सुरक्षा और सेवा, दोनों भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, “जब देश के जवान सीमाओं और समंदरों पर तैनात रहते हैं, तभी हमारे घरों में दीपक जलते हैं। यह त्याग और सेवा ही सच्ची रोशनी है।”
INS विक्रांत पर प्रधानमंत्री के साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम में नौसेना बैंड ने राष्ट्रगीतों की प्रस्तुति दी, और प्रधानमंत्री ने सैनिक परिवारों से संवाद भी किया।
राजनीतिक और रणनीतिक अर्थ
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह संबोधन केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि 2026 के लोकसभा चुनाव की दिशा में भी एक रणनीतिक संकेत था। ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘सुरक्षित भारत’ और ‘विकसित भारत’ जैसे नारे अब केवल योजनाएँ नहीं, बल्कि राजनीतिक विमर्श का केंद्र बनते जा रहे हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि INS विक्रांत से दिया गया यह संदेश घरेलू उद्योग और तकनीकी अनुसंधान को प्रेरित करेगा। वहीं, यह पड़ोसी देशों के लिए भी एक संकेत है कि भारत अब समुद्री शक्ति के क्षेत्र में किसी से पीछे नहीं।
सामाजिक परिप्रेक्ष्य में दिवाली संदेश
दिवाली के अवसर पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्र से अपील की कि लोग “स्थानीय उत्पाद खरीदें और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को आगे बढ़ाएँ।” उन्होंने कहा कि “हर घर में जब स्वदेशी दीया जलेगा, तब आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा।”
देशभर में इस भाषण को टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लाखों लोगों ने देखा। सोशल मीडिया पर #INSVikrant और #DiwaliWithPMModi ट्रेंड करने लगे।
निष्कर्ष
INS विक्रांत से दिया गया प्रधानमंत्री मोदी का दिवाली संबोधन केवल एक सैन्य प्रतीक नहीं, बल्कि भारत की बदलती राष्ट्रीय चेतना का भी प्रतीक है। रक्षा, विकास, और आत्मनिर्भरता — तीनों ही आयाम इस भाषण में एक सूत्र में बंधे नज़र आए।
एक ओर जहां यह संबोधन नौसेना और रक्षा उद्योग के लिए उत्साहजनक रहा, वहीं दूसरी ओर यह राजनीतिक दृष्टि से भी सरकार की प्राथमिकताओं का स्पष्ट संकेत देता है — कि आने वाला दशक भारत के लिए “सुरक्षा और स्वावलंबन” का दशक होगा।
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