दीपावली 2025 की उदासी : किसानों की बुझी मुस्कान, बरसात ने फसलें चौपट कीं


के.के.सिंह की रिपोर्ट

IMG_COM_202512190117579550
previous arrow
next arrow

दीपावली 2025 पर किसानों के गांवों की रोशनी फीकी पड़ गई है। जहां हर साल खेतों में दीप जलते थे, वहां इस बार अंधेरे ने डेरा जमा लिया है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के हज़ारों किसानों की दीपावली इस बार उदासी भरी रही क्योंकि लगातार हुई बारिश के कारण धान और बाजरा की फसल नष्ट हो गई। खेतों में तबाही और घरों में चिंता का माहौल है।

धान और बाजरे की फसल पूरी तरह बर्बाद

लगातार हुई भारी बारिश ने इस बार खेतों में पानी भर दिया, जिससे धान और बाजरा की फसल पूरी तरह सड़ गई। किसान किसना भिक्की बताते हैं कि उनकी करीब दो लाख रुपए की फसल नष्ट हो गई है। हर साल वही फसल उन्हें खुशी और धनतेरस की रौनक देती थी, लेकिन अब दीप के बजाय दिल बुझ गए हैं।

इसे भी पढें  भयंकर कार हादसा: शारदा नहर में कार गिरने से 5 की मौत, ड्राइवर की हालत गंभीर

खाली मंडियां और उदास बाजार

हर साल दीपावली से एक सप्ताह पहले बाजारों में रौनक लौट आती थी। इस बार बाजार ठंडे पड़े हैं। किसानों के पास पैसा नहीं, परिवारों में खुशी नहीं, और व्यापारियों के पास ग्राहक नहीं। दुकानदार श्याम कहते हैं, “हम साल भर की उम्मीद दीपावली से रखते हैं, लेकिन इस बार बिक्री आधी भी नहीं हुई।” ग्रामीण इलाकों की मंदी का सीधा असर शहरी बाजारों पर भी पड़ा है।

गरीब किसानों की दीपावली क्यों बुझ गई

इस बार दीपावली अमीरों के लिए चमकदार और किसानों के लिए अंधेरी साबित हुई। गांवों में जहां बच्चे दीपावली पर खिलौने और मिठाइयों से खुश रहते थे, वहीं इस बार उनके हाथ खाली हैं। धान और बाजरा की तबाही ने किसानों की जेबें खाली कर दी हैं। यह त्यौहार अब उनके लिए केवल याद भर बन गया है।

समाजसेवियों ने बढ़ाया हाथ

जब राजनेताओं और बड़े अफसरों की दीपावली खुशियों से भरी रही, तब कुछ समाजसेवक किसानों के बीच पहुंचे। समाजसेवी ठाकुर के.के. सिंह ने कई गांवों में जाकर किसानों और गरीब परिवारों को दीपक, मिठाइयां और कपड़े बांटे। उनका कहना है, “दीपावली का सही अर्थ है खुद के दीप से दूसरों का घर रोशन करना।”

इसे भी पढें  पति की अदला-बदली का चौंकाने वाला मामला : ललितपुर में दो बहनों ने बदल डाले अपने पति और बच्चे भी!

सरकारी मदद अब तक अधूरी

ज्यादातर किसानों का कहना है कि उन्हें अब तक सरकारी राहत या बीमा मुआवजा नहीं मिला है। प्रशासन ने फसल नुकसान का सर्वे तो किया, लेकिन राशि अब तक जारी नहीं हुई। किसानों का कहना है कि बिना सरकारी सहयोग के अगली बुवाई मुश्किल होगी।

खेती बचाने का समय

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले सीजन में खेती और जल प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य और भी कठिन होगा। किसानों को टिकाऊ खेती, फसल विविधीकरण और समय पर बीमा योजनाओं की जरूरत है।

दीपावली का असली अर्थ

दीपावली 2025 ने हमें याद दिलाया कि असली रोशनी दूसरों के जीवन में उजियारा भरने से आती है। जब किसान मुस्कराएंगे, तभी राष्ट्र सच्चे अर्थों में उजला होगा। इस दीपावली हमें एक संकल्प लेना चाहिए — किसानों की दीपावली फिर से रोशन करनी है।


❓ वो सवाल जिसके जवाब आपको जानने चाहिए (FAQ)

दीपावली 2025 किसानों के लिए उदास क्यों रही?
इसे भी पढें  ग्राम प्रधान की मनमानी : अटल भूजल योजना के तहत बने तालाब का सौंदर्यीकरण ध्वस्त, सामग्री हुई गायब

लगातार हुई बारिश से पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत में धान व बाजरा की फसलें नष्ट हो गईं। इससे किसानों की आमदनी रुक गई और उनकी दीपावली फीकी पड़ गई।

क्या किसानों को सरकार से सहायता मिली है?

अब तक ज्यादातर किसानों को न तो बीमा की राशि मिली है और न ही किसी प्रकार का सरकारी मुआवजा। सर्वे किए गए हैं, लेकिन राहत वितरण में देरी है।

समाजसेवियों ने किसानों के लिए क्या किया?

कई समाजसेवकों जैसे ठाकुर के.के. सिंह ने गांवों में जाकर दीपक, मिठाइयां और जरूरत का सामान बांटा। उन्होंने कहा कि दीपावली की असली खुशी दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में है।

किसानों की फसलों को बचाने के लिए क्या कदम जरूरी हैं?

वैज्ञानिक खेती, जल प्रबंधन, फसल विविधीकरण और बीमा योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करना ही किसानों को भविष्य के संकट से बचा सकता है।


भरतिया गांव वृंदावन में 24 अक्टूबर 2025 से शुरू हो रहा अखंड वार्षिक संकीर्तन का पोस्टर, जिसमें श्री राधा-कृष्ण का चित्र और कार्यक्रम की तिथि व विवरण दिखाया गया है।
भरतिया गांव, श्रीधाम वृंदावन में 24 अक्टूबर 2025 से दीपावली 2026 तक निरंतर चलने वाले अखंड वार्षिक संकीर्तन का शुभारंभ श्री राधा रानी सरकार के आयोजन में होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top