✍ संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
ग्राम पंचायत रैपुरा (चित्रकूट) में निःशुल्क डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना से शिक्षा का नया युग शुरू हो चुका है। ग्राम प्रधान जगदीश पटेल की पहल से गांव के बच्चे आधुनिक संसाधनों से लैस होकर उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हैं।
🌟 शिक्षा के क्षेत्र में नया आयाम बना रैपुरा गांव
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकासखंड के अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायत रैपुरा ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। जहां देश के कोने-कोने में ग्रामीण शिक्षा आज भी संसाधनों की कमी से जूझ रही है, वहीं रैपुरा गांव ने डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित करके शिक्षा को लेकर अपनी गंभीर प्रतिबद्धता का परिचय दिया है।
गांव के वर्तमान ग्राम प्रधान जगदीश पटेल उर्फ गुड्डा भइया ने जो पहल की है, वह न सिर्फ रैपुरा के लिए बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अनुकरणीय बन चुकी है।
🎓 गांव के बच्चों का रहा है शिक्षा से पुराना नाता
यह गांव पहले भी शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल बन चुका है। वर्षों से यहां के बच्चे आईएएस, पीसीएस, आईपीएस जैसे ऊंचे पदों पर चयनित होकर न केवल गांव का बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन कर चुके हैं। यहां की शिक्षा संस्कृति ही कुछ ऐसी है जो बच्चों को पढ़ाई की ओर प्रेरित करती है। अब इस परंपरा को नई दिशा देने का कार्य किया है—ग्राम प्रधान ने।
💻 डिजिटल युग की ओर रैपुरा की मजबूत छलांग
लगभग 6 माह पूर्व शुरू हुई डिजिटल लाइब्रेरी अब न केवल रैपुरा गांव के बच्चों के लिए बल्कि आसपास के 20 किलोमीटर तक के छात्रों के लिए भी शिक्षा का केन्द्र बन चुकी है। यहां पर कक्षा 6 से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र लाभ उठा रहे हैं।
लाइब्रेरी में उपलब्ध संसाधनों में शामिल हैं:
- बोर्ड परीक्षाओं की पाठ्यपुस्तकें
- प्रतियोगी परीक्षाओं की गाइड्स
- करंट अफेयर्स और सामान्य ज्ञान
- डिजिटल माध्यमों से कंप्यूटर शिक्षा
🖥️ अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है यह लाइब्रेरी
- लाइब्रेरी को पूरी तरह से डिजिटल और आधुनिक स्वरूप दिया गया है:
- फ्री वाई-फाई कनेक्टिविटी
- एसी युक्त अध्ययन कक्ष
- प्रकाश और वेंटिलेशन की उत्कृष्ट व्यवस्था
- आरामदायक और शांत वातावरण
बच्चों को यह सभी सुविधाएं बिना किसी शुल्क के मिल रही हैं। कोई भी बच्चा, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो, यहां पढ़ सकता है।
👥 गांव के पूर्व अधिकारी और समाजसेवी दे रहे सहयोग
रैपुरा से निकले कई आईएएस, पीसीएस, प्रोफेसर और इंजीनियर आज इस लाइब्रेरी के संचालन में अपना सक्रिय सहयोग दे रहे हैं। कोई पुरानी किताबें दान कर रहा है, तो कोई आर्थिक सहयोग कर रहा है।
ग्राम प्रधान ने जानकारी दी कि लाइब्रेरी की किताबों की कुल कीमत लगभग 4 लाख रुपये से अधिक हो चुकी है, जो समाज के सहयोग से संभव हो पाया है।
📅 त्योहार और जन्मदिन पर की जा रही किताबों की भेंट
रैपुरा गांव के निवासियों में यह परंपरा विकसित हो चुकी है कि वे अपने या अपने बच्चों के जन्मदिन, शादी की सालगिरह जैसे अवसरों पर किताबें दान करते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग हर माह 100 रुपये या आजीवन 300 रुपये का दान देकर इस अभियान में भागीदारी निभा रहे हैं।
📘 लाइब्रेरी संचालन हेतु बनी स्थायी व्यवस्था
ग्राम प्रधान ने बताया कि लाइब्रेरी के संचालन में कोई बाधा न आए, इसके लिए लाइब्रेरियन का मानदेय, बिजली और रखरखाव की लागत गांववासियों द्वारा दिए जा रहे डोनेशन से ही पूरी की जाती है।
🏆 पुरस्कार वितरण से बच्चों में बढ़ा उत्साह
हाल ही में आयोजित टेस्ट परीक्षा में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को ग्राम प्रधान द्वारा सम्मानित किया गया। इससे बच्चों के मनोबल को नई ऊंचाई मिली है।
📱 आने वाले समय में टैबलेट वितरण की योजना
ग्राम प्रधान जगदीश पटेल ने यह भी घोषणा की है कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को जल्द ही टैबलेट वितरित किए जाएंगे, ताकि वे डिजिटल शिक्षा का पूरा लाभ उठा सकें। आगामी दशहरा पर्व के अवसर पर इस योजना को साकार करने हेतु प्रयास किए जा रहे हैं, जब बाहर रहने वाले सभी अधिकारी गांव में आएंगे।
🌳 लाइब्रेरी परिसर में सौंदर्यीकरण से मिला शांतिपूर्ण माहौल
लाइब्रेरी के चारों ओर बने खुले मैदान को स्वच्छ और हरित रखा गया है। वहीं पीछे स्थित तालाब के किनारे भी सौंदर्यीकरण कार्य कराए गए हैं, जिससे बच्चों को अध्ययन के साथ-साथ मानसिक शांति भी मिले।
🛡️ सुरक्षा की दृष्टि से भी बना है भरोसेमंद स्थान
लाइब्रेरी से कुछ ही दूरी पर कोतवाली रैपुरा स्थित है, जिससे बच्चों और अभिभावकों को पूरी सुरक्षा की गारंटी मिलती है।
रैपुरा की डिजिटल लाइब्रेरी ने साबित कर दिया है कि अगर संकल्प मजबूत हो तो संसाधनों की कमी भी बाधा नहीं बनती। ग्राम प्रधान जगदीश पटेल और गांववासियों की यह पहल न केवल प्रेरणादायक है बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकती है।