Sunday, July 20, 2025
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अखिलेश यादव पर स्वतंत्र देव सिंह का तीखा वार: “साधु-संतों से सवाल, छांगुर पर चुप्पी कमाल”

जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने अखिलेश यादव पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वे साधु-संतों से तो सवाल पूछते हैं, लेकिन छांगुर बाबा जैसे धर्मांतरण के आरोपी पर मौन साधे हुए हैं। यह बयान अनिरुद्धाचार्य और अखिलेश यादव के बीच हुई बातचीत के बाद सामने आया है।

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

हाल ही में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और संत स्वामी अनिरुद्धाचार्य के बीच हुए संवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ। वीडियो में अखिलेश यादव आचार्य से भगवान का नाम पूछते हुए यह भी कहते हैं कि “आपका रास्ता अलग है, हमारा रास्ता अलग है।” इस कथन पर अब सियासी भूचाल आ गया है।

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इसी मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव पर दोहरी राजनीति का आरोप लगाया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा—

📌 “जो साधु-संतों से पूछते हैं सवाल, उनकी छांगुर पर चुप्पी कमाल है।”

🟣 छांगुर बाबा मामले पर चुप्पी क्यों? – बीजेपी का सवाल

दरअसल, पिछले दिनों “भारत प्रतीकार्थ सेवा संघ” नाम की संस्था और उसके मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हुआ था, जिसने पूरे प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे।

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भाजपा नेताओं का आरोप है कि अखिलेश यादव इस मुद्दे पर चुप हैं और सवाल पूछने की बजाय साधु-संतों की आस्था को निशाना बना रहे हैं।

👉 “जब बात छांगुर जैसे संदिग्धों की आती है तो अखिलेश यादव मौन हो जाते हैं, लेकिन संतों से सवाल पूछने में कोई कसर नहीं छोड़ते।” — स्वतंत्र देव सिंह

🟢 राजा के लिए प्रजा एक समान — अनिरुद्धाचार्य का जवाब

इस बहस में खुद स्वामी अनिरुद्धाचार्य ने भी अखिलेश यादव के सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था,

🗨️ “एक राजा को इस तरह की बातें शोभा नहीं देतीं। राजा के लिए प्रजा एक समान होनी चाहिए।”

इस बयान के बाद हिंदू संगठनों और संत समाज में आक्रोश का माहौल बन गया, जिसे भाजपा ने और अधिक हवा दी है।

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🟠 राजनीतिक लाभ के लिए आस्था पर वार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि साधु-संतों से जुड़े मामलों में विपक्ष का हस्तक्षेप बीजेपी को उकसाने जैसा काम करता है।

📌 इस प्रकार के बयान न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों में ध्रुवीकरण की राजनीति को भी मजबूत करते हैं।

🔵 सवालों की राजनीति बनाम चुप्पी की रणनीति

एक ओर अखिलेश यादव साधु-संतों से प्रत्यक्ष सवाल पूछ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर छांगुर बाबा जैसे गंभीर मुद्दे पर मौन रहना, भाजपा के लिए बड़ा हमला करने का आधार बन गया है।

👉 इससे पहले कई भाजपा नेता भी समाजवादी पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगा चुके हैं।

अखिलेश यादव और अनिरुद्धाचार्य के बीच हुई वैचारिक बहस से उत्पन्न विवाद अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे में बदल चुका है।

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जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के ताजा बयान ने इस विवाद को और तीखा बना दिया है।

➡️ आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा और भाजपा के बीच यह वैचारिक टकराव कौन-सा नया मोड़ लेता है और इसका असर किस तरह प्रदेश की सियासत पर पड़ता है।

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