पंचायत चुनाव में फर्जी मतदान पर तकनीक का वार: फेसियल रिकग्निशन और स्टेट वोटर नंबर से बदलेगा यूपी का चुनावी इतिहास

कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष प्रस्तावित पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में अब तक का सबसे बड़ा तकनीकी सुधार लागू करने का ऐलान किया है। फर्जी मतदान, दोहरी वोटिंग और पहचान की गड़बड़ियों पर पूरी तरह लगाम लगाने के उद्देश्य से इस बार फेसियल रिकग्निशन तकनीक और स्टेट वोटर नंबर की व्यवस्था लागू की जा रही है। इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

फेसियल रिकग्निशन से होगी हर मतदाता की पहचान

लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए
आर.पी. सिंह
ने स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव में तकनीक का यह प्रयोग फर्जी मतदान की संभावनाओं को लगभग समाप्त कर देगा। प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाता के चेहरे की पहचान की जाएगी। जैसे ही कोई व्यक्ति मतदान के लिए पहुंचेगा, उसका चेहरा सिस्टम में दर्ज डाटा से मिलान किया जाएगा।

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यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य मतदाता के स्थान पर वोट डालने का प्रयास करता है, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करेगा। इस तकनीक से न केवल बोगस वोटिंग रुकेगी, बल्कि मतदान कर्मियों पर निर्भरता भी कम होगी और मानवीय त्रुटियों की गुंजाइश घटेगी।

पंचायत चुनाव में पहली बार होगा स्टेट वोटर नंबर

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि इस बार हर मतदाता को एक विशिष्ट स्टेट वोटर नंबर आवंटित किया जाएगा। यह नंबर पूरे प्रदेश में मतदाता की एकमात्र पहचान बनेगा। अब तक अलग-अलग स्थानों पर एक ही व्यक्ति का नाम अलग-अलग वोटर लिस्ट में दर्ज होने की शिकायतें आती रही हैं, जिन्हें यह नई व्यवस्था पूरी तरह समाप्त कर देगी।

स्टेट वोटर नंबर के जरिए यह तुरंत पता चल सकेगा कि किसी व्यक्ति का नाम एक से अधिक स्थानों पर तो दर्ज नहीं है। डाटा प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और मतदाता सूची अधिक सटीक बनेगी।

मतदाता पुनरीक्षण में 40 लाख से अधिक की बढ़ोतरी

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराए गए मतदाता पुनरीक्षण के दौरान इस बार प्रदेश में मतदाताओं की संख्या में उल्लेखनीय बदलाव दर्ज किया गया है। आंकड़ों के अनुसार, 1,81,96,367 नए मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया है, जबकि 1,41,76,809 अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाए गए।

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इस प्रक्रिया के बाद फाइनल वोटर लिस्ट में कुल 40,19,558 मतदाताओं की शुद्ध बढ़ोतरी हुई है, जो पिछली बार की तुलना में लगभग 3.2 प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि मतदाता सूची अब अधिक वास्तविक और जमीन से जुड़ी हुई है।

23 दिसंबर को जारी होगा फाइनल वोटर लिस्ट ड्राफ्ट

राज्य निर्वाचन आयुक्त ने जानकारी दी कि पंचायत चुनाव के लिए फाइनल वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट 23 दिसंबर को प्रकाशित किया जाएगा। इसके बाद सभी मतदाता अपना नाम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से जांच सकेंगे।

यदि किसी मतदाता को नाम में त्रुटि, पता गलत होने या नाम कटने जैसी कोई आपत्ति हो, तो वह निर्धारित प्रक्रिया के तहत दावा और आपत्ति दर्ज करा सकेगा। आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी आपत्तियों का समयबद्ध और निष्पक्ष निस्तारण किया जाएगा।

चुनावी पारदर्शिता की दिशा में बड़ा सुधार

विशेषज्ञों का मानना है कि पंचायत चुनाव में फेसियल रिकग्निशन और स्टेट वोटर नंबर की व्यवस्था लागू होने से उत्तर प्रदेश देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां स्थानीय निकाय चुनावों में आधुनिक तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।

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इससे न केवल मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, बल्कि आम मतदाता का चुनावी व्यवस्था पर भरोसा भी मजबूत होगा। लंबे समय से पंचायत चुनावों में फर्जी मतदान और दबंगई के आरोप लगते रहे हैं, जिन पर यह तकनीकी व्यवस्था प्रभावी अंकुश लगाएगी।

पंचायत चुनाव 2025 से जुड़े सवाल–जवाब

क्या फेसियल रिकग्निशन सभी मतदान केंद्रों पर लागू होगा?

हां, राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार पंचायत चुनाव के सभी मतदान केंद्रों पर यह व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी।

स्टेट वोटर नंबर क्या आधार या EPIC नंबर से अलग होगा?

हां, स्टेट वोटर नंबर एक अलग और विशिष्ट पहचान संख्या होगी, जिसका उद्देश्य केवल राज्य स्तर पर मतदाता डाटा को शुद्ध और एकीकृत रखना है।

अगर किसी मतदाता का नाम गलती से कट गया तो क्या होगा?

ऐसे मामलों में मतदाता 23 दिसंबर के बाद दावा–आपत्ति दर्ज करा सकता है, जिसका निस्तारण समय सीमा के भीतर किया जाएगा।

क्या यह तकनीक मतदान में देरी नहीं करेगी?

आयोग का दावा है कि फेसियल रिकग्निशन प्रक्रिया कुछ सेकंड में पूरी हो जाएगी और इससे मतदान की गति प्रभावित नहीं होगी।

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