हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा, 70 हजार की रिश्वत लेते एंटी करप्शन टीम ने दबोचा


अनुराग गुप्ता की रिपोर्ट

IMG_COM_202512190117579550
previous arrow
next arrow

उत्तर प्रदेश के हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने का मामला सामने आया है, जिसने पूरे पुलिस विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
माधौगंज थाने में तैनात उपनिरीक्षक (दरोगा) आकाश कौशल को एंटी करप्शन टीम ने 70 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ दबोच लिया।
शिकायतकर्ता की सूचना पर बिछाए गए इस ट्रैप के बाद हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाना चर्चा का बड़ा विषय बन गया है।
एंटी करप्शन की इस कार्रवाई से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आम आदमी की शिकायत पर जांच करने वाले अधिकारी ही अगर रिश्वत मांगने लगें तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए।

शिकायत पर बिछाया गया जाल, हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा गया

जानकारी के अनुसार, माधौगंज थाने के दरोगा आकाश कौशल एक मुकदमे की विवेचना कर रहे थे।
आरोप है कि उन्होंने केस से एक व्यक्ति को निकालने और उसके पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिए 70 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की।
पीड़ित इस अवैध मांग से परेशान हो गया और उसने सीधे एंटी करप्शन टीम से संपर्क किया।
टीम के पास जब यह शिकायत पहुंची कि हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जा सकता है, तो अधिकारियों ने पूरी सतर्कता के साथ जाल बिछाने की योजना तैयार की।

तय समय और जगह पर शिकायतकर्ता को चिह्नित नोटों के साथ दरोगा आकाश कौशल के पास भेजा गया।
एंटी करप्शन की टीम पहले से ही आसपास छिपकर पूरी गतिविधि पर नज़र बनाए हुए थी।
जैसे ही शिकायतकर्ता ने दरोगा को 70 हजार रुपये की रिश्वत सौंपे, टीम ने तुरंत दबिश दी और दरोगा को रिश्वत लेते पकड़ा
इस कार्रवाई के दौरान मौके से बरामद की गई पूरी रकम को टीम ने अपने कब्जे में लेकर पुख्ता सबूत के तौर पर सील कर दिया।
इस तरह हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाना एंटी करप्शन टीम के लिए एक बड़ी सफल कार्रवाई मानी जा रही है।

इसे भी पढें  हरदोई सड़क घोटाला : विधायक के निरीक्षण में छह माह पुरानी सड़क उखड़ गई

सांडी थाने में दरोगा के खिलाफ मुकदमा, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई

एंटी करप्शन टीम ने रंगे हाथ पकड़े गए दरोगा आकाश कौशल को तुरंत हिरासत में लेकर सांडी थाने पहुँचाया।
यहाँ उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
अधिकारियों के अनुसार, शिकायत मिलने के बाद पहले पूरे मामले की प्रारंभिक जांच की गई, फिर ट्रैप की योजना बनाई गई और अंततः दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा गया।
हरदोई पुलिस लाइन से लेकर जिले भर के थानों तक इस कार्रवाई की चर्चा है और कई अधिकारी इसे एंटी करप्शन टीम की सख्ती के तौर पर देख रहे हैं।

पुलिस महकमे में यह संदेश साफ तौर पर जा रहा है कि अगर हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जा सकता है, तो किसी भी स्तर का अधिकारी जांच के दायरे से बाहर नहीं है।
यही वजह है कि इस घटना के बाद अन्य कर्मचारियों में भी खलबली मची हुई है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, आगे चलकर निलंबन, विभागीय जांच और सेवा संबंधी कठोर दंड जैसी कार्रवाई भी हो सकती है।

पीड़ित की हिम्मत से उजागर हुआ हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने वाला मामला

इस पूरे प्रकरण में सबसे अहम बात यह है कि पीड़ित ने दबाव में आने के बजाय औपचारिक शिकायत करने का साहस दिखाया।
आम तौर पर ऐसे मामलों में बहुत से लोग डर, संकोच या केस बिगड़ जाने के डर से शिकायत दर्ज कराने से बचते हैं,
लेकिन इस शिकायतकर्ता ने एंटी करप्शन से संपर्क कर साफ कर दिया कि दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाना संभव है,
बशर्ते आम नागरिक हिम्मत दिखाएं।
यही कारण है कि हरदोई के इस मामले में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाना केवल एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ नागरिक साहस की मिसाल भी माना जा रहा है।

इसे भी पढें  दबंगों की दबंगई सिर चढकर बोला चित्रकूट में : महिला को सड़क पर पटक-पटककर पीटा, मिशन नारी शक्ति पर सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि जब भी किसी सरकारी कर्मचारी या पुलिस अधिकारी द्वारा रिश्वत की मांग की जाए,
तो कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तुरंत संबंधित एंटी करप्शन संगठन को सूचना दी जानी चाहिए।
हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने के इस मामले ने यह भी साबित किया है कि शिकायत सही हो और सबूत जुटाने की तैयारी पुख्ता हो,
तो भ्रष्ट अधिकारी कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते।

पुलिस विभाग की छवि पर सवाल, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश की ज़रूरत

एक ओर उत्तर प्रदेश पुलिस खुद को बेहतर कानून-व्यवस्था और त्वरित न्याय की दिशा में काम करने वाला विभाग बताती है,
वहीं दूसरी ओर हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने जैसा मामला उसकी छवि पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा देता है।
आम जनता पहले ही थानों और पुलिस चौकियों के चक्कर काटते-काटते परेशान रहती है,
ऐसे में जब जांच अधिकारी ही पैसे लेकर न्याय का तराजू झुकाने की कोशिश करें,
तो व्यवस्था पर भरोसा कमजोर पड़ना स्वाभाविक है।

यही कारण है कि विशेषज्ञ लगातार इस बात की वकालत करते रहे हैं कि रिश्वतखोरी के मामलों में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल होना चाहिए।
हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने का यह मामला अगर मिसाल बनकर सामने आया,
तो इससे अन्य जिलों में भी एंटी करप्शन की कार्रवाई को गति मिल सकती है।
साथ ही, पुलिस विभाग के अंदर भी यह संदेश जाएगा कि रिश्वतखोरी जैसी हरकत करने वालों पर न केवल कानूनी, बल्कि विभागीय कार्रवाई भी सख़्ती से लागू होगी।

कुल मिलाकर, हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने की इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि कानून के रखवाले अगर खुद कानून तोड़ेंगे,
तो अब उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
आम नागरिकों से भी अपेक्षा है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ चुप न रहें, बल्कि कानूनी रास्ता अपनाते हुए शिकायत दर्ज कराएं,
ताकि हर स्तर पर ईमानदार व्यवस्था को मजबूत किया जा सके।

इसे भी पढें  रावण संहार लीला : जयश्रीराम के जयकारों के बीच धराशायी हुआ लंकापति


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) – हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने का मामला

प्रश्न 1: हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा कहाँ और कैसे गया?

यह घटना उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के माधौगंज थाने से जुड़ी है।
यहाँ तैनात दरोगा आकाश कौशल पर आरोप था कि उसने एक मुकदमे की जांच में पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिए 70 हजार रुपये की रिश्वत मांगी।
शिकायतकर्ता की सूचना पर एंटी करप्शन टीम ने ट्रैप लगाया और तय समय पर पैसे लेते ही दरोगा को रिश्वत लेते पकड़ा

प्रश्न 2: दरोगा से कितनी रिश्वत बरामद हुई और क्या कार्रवाई हुई?

एंटी करप्शन टीम ने शिकायत के मुताबिक 70 हजार रुपये की रिश्वत की पूरी रकम बरामद की।
हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने के बाद उसे सांडी थाने ले जाकर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
आगे विभागीय जांच, निलंबन और अन्य दंडात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया भी चल सकती है।

प्रश्न 3: अगर किसी से पुलिस अधिकारी रिश्वत मांगे तो क्या किया जा सकता है?

यदि कोई पुलिस अधिकारी या सरकारी कर्मचारी रिश्वत की मांग करता है,
तो संबंधित एंटी करप्शन ब्यूरो या विजिलेंस विभाग से तुरंत संपर्क किया जा सकता है।
हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जाने वाला मामला इसी तरह की शिकायत और ट्रैप कार्रवाई का नतीजा है।
शिकायत सही हो और सहयोग दिया जाए, तो भ्रष्ट अधिकारी कानून के शिकंजे से नहीं बच पाते।

प्रश्न 4: क्या इस तरह की कार्रवाई से पुलिस विभाग की छवि पर असर पड़ता है?

हाँ, जब हरदोई में दरोगा रिश्वत लेते पकड़ा जैसा मामला सामने आता है,
तो इससे पुलिस विभाग की छवि को नुकसान होता है।
लेकिन दूसरी ओर, एंटी करप्शन टीम की सख्त कार्रवाई यह संदेश भी देती है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,
जो ईमानदार पुलिसकर्मियों और आम जनता, दोनों के लिए सकारात्मक संकेत है।


Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top