
उत्तर प्रदेश की उत्तरगोदावरी नगरी अयोध्या इस साल दीपोत्सव 2025 के रूप में श्रद्धा, संस्कृति और प्रौद्योगिकी का अनूठा संगम पेश कर रही है। शहर के 56 घाटों और राम मंदिर परिसर पर लाखों दीयों की सजावट, लेजर-ड्रोन शो और 2,100 वेदाचार्यों की सामूहिक महाआरती इस उत्सव को ऐतिहासिक बना रही है। 0
कार्यक्रम | संख्या / लक्ष्य |
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कुल दीये (लक्ष्य) | लगभग 26 लाख+ |
घाटों की संख्या | 56 |
स्वयंसेवक | 33,000+ |
मंदिर परिसर का क्षेत्र | ~70 एकड़ (विशेष सजावट) |
मंदिर परिसर में दीये | करीब 1 लाख |
महाआरती में वेदाचार्य | 2,100 |
1. उत्सव की पृष्ठभूमि
अयोध्या, जिसे श्रीराम की जन्मभूमि कहा जाता रहा है, इस दीपोत्सव में “रोशनी की नगरी” के रूप में प्रतिबिम्बित होगी। इस बार का आयोजन राममंदिर के निर्माण-समापन के नज़दीक होने के कारण विशेष महत्व रखता है और आयोजकों ने इस वर्ष विश्व-रिकॉर्ड की कोशिश भी निर्धारित की है — लगभग 26 लाख दीयों के साथ। 1
2. प्रमुख तैयारियाँ और सजावट
2.1 घाटों एवं शहर का रोशन दृश्य
सरयूबेढ़ पर 56 घाटों पर हजारों स्वयंसेवक दीयों की सजावट कर रहे हैं — इसके लिए विश्वविद्यालयों, स्थानीय संगठनों और कुम्हार समुदायों का सहयोग शामिल है। आयोजकों के अनुसार लाखों दीयों का समन्वय, गेट-मैनेजमेंट और सुरक्षा-व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 2
2.2 मंदिर परिसर में विशेष सजावट
राम मंदिर परिसर में पहली बार व्यापक दीयों की सजावट का लक्ष्य रखा गया है — मंदिर के दर्शन मार्ग पर मोम के दीये और अन्य सुरक्षित वैकल्पिक प्रबंधों के साथ लगभग 1 लाख दीयों का लक्ष्य बताया जा रहा है। आयोजकों ने मंदिर पत्थरों की सुरक्षा के लिए विशेष निर्देश दिए हैं। 3
2.3 टेक्नोलॉजी और कार्यक्रम
दीपोत्सव में लेजर-प्रोजेक्शन, रंगीन ड्रोन-शो और 3-D होलोग्राफिक म्यूज़िकल प्रस्तुतियाँ भी शामिल हैं — यह परंपरा और आधुनिकता के संगम को दर्शाता है। सुरक्षा के लिए AI-आधारित भीड़-निगरानी और डिजिटल ऐप्स की व्यवस्था भी की गई है। 4
3. रिकॉर्ड प्रयास और संख्या-रूपी तथ्य
इस वर्ष अयोध्या ने लगभग 26 लाख (2.6 मिलियन) दीयों के प्रज्ज्वलन के माध्यम से गिनीज़ रिकॉर्ड लक्ष्य के लिए तैयारी की है। साथ ही सरयू घाट पर 2,100 वेदाचार्यों की सामूहिक महाआरती इस साल का प्रमुख आकर्षण है। आयोजनों और मीडिया कवरेज में इन दावों का व्यापक उल्लेख हुआ है। 5
अनुमानित तेल उपयोग: ~73,000 लीटर (आयोजकीय आँकड़े), और लगभग 16 लाख हाथ से बने दीये स्थानीय कुम्हार परिवारों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे हैं — इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिला है। 6
4. क्यों महत्वपूर्ण है यह उत्सव?
- श्रद्धा-आस्था का प्रतीक: लाखों दीयों की एकत्रित रोशनी शहर को ‘राममय’ प्रतीक बनाती है।
- पर्यटन और अर्थव्यवस्था: यह आयोजन स्थानीय व्यापार, हस्तशिल्प और आतिथ्य क्षेत्र के लिए बड़ा अवसर है। 7
- संस्कृति-प्रौद्योगिकी का संगम: पारंपरिक आरती के साथ ड्रोन-लेजर जैसे आधुनिक कार्यक्रमों का आयोजन इसका अनूठा पहलू है।
- सामाजिक समावेशन: स्वयंसेवक, कुम्हार, महिला-समूह और पर्यटन विभाग मिलकर आयोजन को सफल बना रहे हैं।
5. आगंतुकों के लिए गाइड: क्या देखें — क्या महसूस करें
मुख्य कार्यक्रम: 19 अक्टूबर 2025 (मुख्य रात) — राम की पैड़ी, लता चौक, लक्ष्मण किला घाट और मंदिर परिसर प्रमुख स्थल हैं।
अनुभव सूत्र: शाम होते ही घाटों पर दीयों की कतारें और महाआरती का दृश्य अविस्मरणीय रहेगा; लेजर-ड्रोन शो और 3-डी होलोग्राफी भी देखने योग्य हैं।
यात्रा सुझाव:
- समय-पूर्व पहुँचना — भीड़ अपेक्षित है।
- सुरक्षा निर्देशों और आयोजकों के मार्गदर्शन का पालन करें।
- पर्यावरण-अनुकूल व्यवहार अपनाएँ (आवश्यकतानुसार केवल अनुमत स्थानों पर दीये जलाएँ)।
- कैमरा/फोन चार्ज रखें — पर आयोजकों के कैमरा-नियम देखें।
क्लिक करें — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
क्या सच में अयोध्या में 26 लाख से अधिक दीये जलाए जाएंगे?
राम मंदिर परिसर में कितने दीये जलेंगे और क्या यह सुरक्षित होगा?
क्या महाआरती में वाकई 2,100 वेदाचार्य भाग लेंगे?
ड्रोन-शो और लेजर शो कब और कहां होंगे?
आगंतुकों के लिए पंजीकरण/टिकट की आवश्यकता है क्या?
अधिक जानकारी और लाइव अपडेट के लिए स्थानीय समाचार चैनल और आधिकारिक प्रशासनिक सूचनाओं को देखें।