🖋️ सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बाँदा ज़िले के बबेरू तहसील में विकलांग और नेत्रहीन बुज़ुर्ग का रियायसी मकान प्रशासन ने बिना नोटिस गिराया। सवर्ण आर्मी ने घटना की निंदा करते हुए दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की माँग की है।
उत्तर प्रदेश के बाँदा जनपद की बबेरू तहसील में एक अत्यंत मार्मिक और गंभीर घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। ग्राम बबेरू के निवासी, 100% विकलांग और नेत्रहीन बुज़ुर्ग श्री राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय का लगभग 60 वर्षों पुराना रियायसी मकान प्रशासन द्वारा अचानक जेसीबी मशीनों से ढहा दिया गया। हैरानी की बात यह रही कि इस पूरी कार्रवाई से पूर्व न तो कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही कोई नोटिस जारी हुआ।
यह घटना केवल एक संपत्ति के ध्वस्तीकरण की नहीं, बल्कि एक असहाय नागरिक के संवैधानिक अधिकारों और उसकी गरिमा पर क्रूर प्रहार है।
📚 मकान का वैधानिक अस्तित्व और सरकारी अमानवीयता
श्री पाण्डेय ने गाटा संख्या 1794, रकबा 4 विश्वा पर वर्ष 1979 से पहले एक मकान और दुकानें बनवाई थीं। चकबंदी अधिकारी न्यायालय द्वारा यह ज़मीन “आबादी” घोषित की जा चुकी थी। इसके बावजूद 11 जुलाई 2025 को एसडीएम बबेरू श्री रजत वर्मा ने तीन जेसीबी मशीनों और भारी पुलिस बल के साथ मकान को जमींदोज़ कर दिया।
इस दौरान मकान में केवल महिलाएं और बुज़ुर्ग राजेन्द्र प्रसाद ही मौजूद थे। महिलाओं को पुलिस ने जबरन बाहर निकाला और सामान समेत पूरा घर मलबे में तब्दील हो गया। इस घटनाक्रम ने पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल उत्पन्न कर दिया।
⚖️ गंभीर आरोप: पंचायत अध्यक्ष की दबंगई का नतीजा?
पीड़ित परिवार ने इस कार्रवाई के पीछे सत्ता का दुरुपयोग बताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि बाँदा के जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने मकान के दो कमरे मांगे थे। जब श्री पाण्डेय ने देने से इनकार किया, तो राजनीतिक रंजिश के चलते यह तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई अंजाम दी गई।
परिवार के मुताबिक, यह प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की साजिश और सत्ता की दादागीरी का ज्वलंत उदाहरण है।
🛡️ सवर्ण आर्मी मैदान में: पीड़ित को न्याय दिलाने की हुंकार
घटना की जानकारी मिलते ही सवर्ण आर्मी के शीर्ष पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने का संकल्प लिया। प्रदेश अध्यक्ष सूरज चौबे, प्रदेश महासचिव सुमित मिश्रा और बाँदा जिलाध्यक्ष रत्नेश द्विवेदी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मंडलायुक्त चित्रकूट धाम को ज्ञापन सौंपा, जिसमें मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की माँग की गई।
🤝 बड़ी संख्या में समर्थकों की उपस्थिति
ज्ञापन देने के दौरान सवर्ण आर्मी के सैकड़ों कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख नाम थे—
विजय शुक्ला (जिलाध्यक्ष, चित्रकूट),
शैलू पाण्डेय (जिला महासचिव, बाँदा),
जगत त्रिपाठी (मंडल उपाध्यक्ष),
बबलू द्विवेदी, रामानुज मिश्रा, गोकरणं प्रसाद, संजय तिवारी, संदीप द्विवेदी,
अजय शर्मा, संदीप शर्मा, गोपाल तिवारी, देवानन्द द्विवेदी, उमाकांत द्विवेदी,
चंद्रभाल दीक्षित, आलोक मिश्रा, रवि मिश्रा,
ठाकुर दिलीप सिंह, अविनाश शुक्ला, मन्नू गौतम,
अनिल द्विवेदी, विनय मिश्रा, राहुल मिश्रा,
अंकुश बलुआ, आशीष पांडे, और रमाकांत पांडे।
सभी ने प्रशासन के खिलाफ एकजुटता दिखाई और चेतावनी दी कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
📜 ज्ञापन की प्रमुख माँगें
सवर्ण आर्मी द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में निम्नलिखित पाँच मुख्य माँगें शामिल थीं—
1️⃣ इस मामले की निष्पक्ष जांच किसी अन्य जनपद के अधिकारी से कराई जाए।
2️⃣ पीड़ित परिवार को ₹50 लाख का मुआवज़ा दिया जाए।
3️⃣ दोषी प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर सख्त कार्रवाई हो।
4️⃣ पीड़ित परिवार को नया आवास तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराया जाए।
5️⃣ महिला आयोग पुलिस के दुर्व्यवहार का स्वतः संज्ञान ले।
🧭 यह लड़ाई अब एक प्रतीक बन चुकी है
यह घटना केवल एक विकलांग बुज़ुर्ग के साथ अन्याय की नहीं, बल्कि आमजन की संवैधानिक सुरक्षा और न्याय-व्यवस्था की विफलता की मिसाल बन चुकी है। सवर्ण आर्मी ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि प्रशासन ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन अब केवल बाँदा तक सीमित नहीं रहेगा।
🗣️ अब सवाल जनता का
क्या योगी सरकार न्याय के पक्ष में खड़ी होगी या सत्ता की चुप्पी अत्याचार का नया आयाम बनेगी?
📢 यह समाचार न्याय और मानवता के संघर्ष की कहानी है, जो हर जागरूक नागरिक को सोचने पर मजबूर करती है—क्या अब भी आम आदमी सुरक्षित है?