ईपीएस 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के बैनर तले सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने आजमगढ़ में आमसभा की। दिल्ली के जंतर-मंतर पर 4-5 अगस्त को विशाल धरना प्रदर्शन की घोषणा। सरकार से मासिक पेंशन, डीए और स्वास्थ्य सुविधा की मांग।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। सरकार की उपेक्षा और वर्षों की प्रतीक्षा के बाद अब ईपीएस 95 से जुड़े पेंशनधारी निर्णायक मोर्चा खोलने को तैयार हैं। शुक्रवार को रोडवेज सभागार, आजमगढ़ में राष्ट्रीय संघर्ष समिति यूनियन के तत्वावधान में एक विशाल आमसभा का आयोजन हुआ। इस सभा की अध्यक्षता ओंकार नाथ तिवारी ने की, जिसमें भारी संख्या में सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारी सम्मिलित हुए।
ईपीएस 95 पेंशनर्स की एकजुटता—मांगों पर सख्त रवैया
इस आमसभा में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। प्रदेश अध्यक्ष ओमशंकर तिवारी, महामंत्री आर.एन. द्विवेदी, मंडलीय सचिव सुभाष उपाध्याय समेत कई पदाधिकारी मंच पर मौजूद रहे।
इस दौरान पेंशन सुधारों को लेकर चल रहे “पेंशनर्स बचाओ राष्ट्रव्यापी महाअभियान” पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि—
- न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित की जाए
- महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) की सुविधा प्रदान हो
- चिकित्सा सुविधाएं बहाल की जाएं
- सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा का कवच मिले
- राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. के. तिवारी का बड़ा ऐलान
सभा के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस. के. तिवारी ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया—
“हम बीते 10 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, मगर सरकार ने हमारी पीड़ा नहीं सुनी। अब वक्त आ गया है कि हम अपनी ताकत दिल्ली में दिखाएं।”
उन्होंने एलान किया कि 4 और 5 अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा। यदि इसके बाद भी सरकार ने पेंशनर्स की मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।
आगामी चुनावों में बहिष्कार की चेतावनी
एस.के. तिवारी ने दो टूक कहा—
“यदि हमारी न्यायोचित मांगों को दरकिनार किया गया, तो हम आगामी चुनावों में मौजूदा सरकार का बहिष्कार करेंगे। अब सिर्फ ज्ञापन देने का समय नहीं, बल्कि निर्णायक संघर्ष का वक्त है।”
सभा में शामिल सभी पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई और जंतर मंतर धरने में सहभागिता का संकल्प लिया।
आजमगढ़ की इस सभा ने यह साबित कर दिया कि ईपीएस 95 के पेंशनधारी अब चुप बैठने वाले नहीं हैं। लगातार उपेक्षा के बाद अब दिल्ली की सड़कों पर उनका आक्रोश दिखाई देगा। यदि सरकार अब भी नहीं चेती, तो यह आंदोलन एक बड़े जनआंदोलन में तब्दील हो सकता है।