यथार्थ सेवा समिति ने सौंपा ज्ञापन: कामां को ‘कामवन’ नाम दिलाने की उठी ऐतिहासिक माँग

हिमांशु मोदी की रिपोर्ट

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राजस्थान के भरतपुर जिले अंतर्गत कामां कस्बे की सामाजिक संस्था यथार्थ सेवा समिति ने गुरुवार को क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए उपखंड अधिकारी (एसडीएम) कार्यालय में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन के माध्यम से समिति ने कामां का नाम उसके प्राचीन और पौराणिक स्वरूप ‘कामवन’ किए जाने की माँग उठाई है।

समिति का तर्क है कि ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा का एक प्रमुख केंद्र होने के बावजूद कामां आज अपनी वास्तविक पहचान से वंचित है। इतिहास, पुराण और ब्रज संस्कृति में जिस भूभाग को ‘कामवन’ के नाम से जाना गया, वह आज प्रशासनिक दस्तावेजों में ‘कामां’ के रूप में दर्ज है। यही कारण है कि अब इस विसंगति को दूर करने के लिए सामाजिक स्तर पर संगठित प्रयास शुरू किए गए हैं।

प्रशासनिक स्तर पर पहल: मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

यथार्थ सेवा समिति के पदाधिकारियों ने एसडीएम कार्यालय पहुँचकर औपचारिक रूप से ज्ञापन सौंपा और नाम परिवर्तन की प्रक्रिया प्रारंभ करने का आग्रह किया। ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया कि नाम परिवर्तन केवल प्रतीकात्मक कदम नहीं है, बल्कि इससे क्षेत्र की ऐतिहासिक सच्चाई को मान्यता मिलेगी और आने वाली पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा।

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समिति का कहना है कि नाम परिवर्तन से संबंधित प्रस्ताव यदि प्रशासनिक चैनलों के माध्यम से आगे बढ़ता है, तो राज्य सरकार के स्तर पर विचार संभव है। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए स्थानीय प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा जताई गई।

पौराणिक और सांस्कृतिक संदर्भ: क्यों ‘कामवन’?

ज्ञापन में विस्तार से उल्लेख किया गया कि ब्रज क्षेत्र की धार्मिक परंपरा, पुराणों और लोक कथाओं में इस क्षेत्र को ‘कामवन’ के रूप में वर्णित किया गया है। यह वही भूभाग माना जाता है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा के क्रम में कामवन का विशेष महत्व रहा है।

समिति का मानना है कि जब ब्रज क्षेत्र के अन्य तीर्थ और वन अपने पारंपरिक नामों से पहचाने जाते हैं, तो कामवन को उसके ऐतिहासिक नाम से वंचित रखना सांस्कृतिक दृष्टि से अन्याय है। नाम परिवर्तन से न केवल धार्मिक आस्था को बल मिलेगा, बल्कि ब्रज संस्कृति की समग्र पहचान भी सशक्त होगी।

धार्मिक पर्यटन और स्थानीय विकास की संभावनाएँ

यथार्थ सेवा समिति ने ज्ञापन में यह भी रेखांकित किया कि ‘कामवन’ नाम पुनर्स्थापित होने से क्षेत्र की धार्मिक पर्यटन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। ब्रज परिक्रमा, मंदिर पर्यटन और सांस्कृतिक आयोजनों से जुड़ा यह क्षेत्र देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए और अधिक आकर्षक बन सकता है।

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पर्यटन बढ़ने से स्थानीय स्तर पर रोजगार, व्यापार और बुनियादी ढाँचे के विकास को भी गति मिलेगी। समिति का तर्क है कि नाम परिवर्तन सांस्कृतिक सम्मान के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी क्षेत्र के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

प्रतिनिधिमंडल की सक्रिय भूमिका

इस अवसर पर सौंपे गए ज्ञापन का नेतृत्व यथार्थ सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मवीर वकील ने किया। उनके साथ समिति के सचिव युवराज सैनी, कोषाध्यक्ष जगदीश सोनी तथा पार्षद माधव गुर्जर उपस्थित रहे।

इसके अतिरिक्त समिति सदस्य लोकेश तिवारी, अर्जुन कुमार शर्मा, सेवादास जी सहित अन्य गणमान्य नागरिकों में कृष्णवीर गुर्जर, भानू शर्मा, तन्मय शर्मा, जिलेसिंह, दीपक और महावीर भी मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में इस माँग को क्षेत्र की अस्मिता से जुड़ा विषय बताया।

“यह केवल नाम नहीं, पहचान की वापसी है”

समिति के अध्यक्ष धर्मवीर वकील ने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक या व्यक्तिगत स्वार्थ से प्रेरित नहीं है। उनके शब्दों में, “यह केवल नाम बदलने की माँग नहीं है, बल्कि कामां की खोई हुई विरासत और पहचान को वापस पाने का एक सामूहिक प्रयास है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समिति आने वाले दिनों में जन-जागरूकता अभियान चलाएगी, ताकि आम नागरिक भी इस ऐतिहासिक तथ्य और माँग से अवगत हो सकें। समिति का उद्देश्य है कि यह आवाज केवल ज्ञापन तक सीमित न रहे, बल्कि समाज के हर वर्ग तक पहुँचे।

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आगामी रणनीति: जन-जागरूकता और संवाद

यथार्थ सेवा समिति ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में संगोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संवाद सत्रों के माध्यम से ‘कामवन’ नाम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को लोगों के सामने रखा जाएगा। समिति का विश्वास है कि जब समाज स्वयं अपनी विरासत को पहचानेगा, तब प्रशासनिक निर्णय भी सहज होंगे।

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या ऐतिहासिक नामों की पुनर्स्थापना केवल अतीत की ओर लौटना है, या फिर यह सांस्कृतिक आत्मसम्मान और पहचान को सुदृढ़ करने का माध्यम भी हो सकता है।

पाठकों के सवाल – जवाब

कामां का प्राचीन नाम क्या था?

पौराणिक ग्रंथों और ब्रज परंपरा के अनुसार कामां का प्राचीन नाम ‘कामवन’ माना जाता है।

नाम परिवर्तन की माँग किसने उठाई है?

यह माँग कामां की सामाजिक संस्था यथार्थ सेवा समिति द्वारा उठाई गई है।

नाम बदलने से क्षेत्र को क्या लाभ हो सकता है?

नाम परिवर्तन से धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक पहचान और स्थानीय विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

आगे समिति क्या कदम उठाने जा रही है?

समिति जन-जागरूकता अभियान और संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से इस माँग को व्यापक स्तर पर ले जाने की योजना बना रही है।

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