सड़क दिख रही है, भरोसा नहीं
पंचायत विकास पर उठते गंभीर सवाल

दुलहापुर बनकट गांव में जलभराव, अधूरी नाली और खराब सड़क के बीच पंचायत विकास कार्यों की जमीनी स्थिति

🖊️ दुर्गा प्रसाद शुक्ला की खास रिपोर्ट
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उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के मुजेहना विकासखंड अंतर्गत स्थित दुलहापुर बनकट—ग्रामीण शासन, योजनाओं के क्रियान्वयन और जनता की निगरानी की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पंचायत क्षेत्र के रूप में देखा जाता है। यहाँ वर्षों से विकास कार्यों का सिलसिला चला है, लेकिन उसी अनुपात में गुणवत्ता, मानकों और जवाबदेही को लेकर उठते सवाल भी पंचायत की पहचान का हिस्सा बनते गए हैं। यह संयुक्त फीचर पंचायत की प्रशासनिक संरचना, जमीनी विकास और मानकों के विरुद्ध हुए कार्यों पर दर्ज शिकायतों तक—एक समग्र, विश्लेषणात्मक और संतुलित दृष्टि प्रस्तुत करता है।

राजस्व ग्राम की स्थिति और भूमि संबंधी वास्तविकताएँ

दुलहापुर बनकट विधिवत रूप से एक राजस्व ग्राम है, जिसकी सीमाएँ राजस्व अभिलेखों में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं। कृषि यहाँ की आजीविका का मुख्य आधार है—धान, गेहूं और मौसमी फसलें प्रमुख हैं। काग़ज़ों में स्थिति सुव्यवस्थित दिखाई देती है, लेकिन ज़मीन पर कई व्यावहारिक चुनौतियाँ सामने आती रही हैं। खेत–रास्तों, चकरोड और नालियों की सीमाओं को लेकर समय-समय पर विवाद उभरे। ग्रामीणों द्वारा सीमांकन की माँग की गई, किंतु लेखपाल और राजस्व अमले की सीमित उपलब्धता के कारण सभी मामलों का शीघ्र समाधान संभव नहीं हो सका।

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मतदाता सूची और लोकतांत्रिक भागीदारी

पंचायत की मतदाता सूची में व्यापक नामांकन है और महिला–पुरुष अनुपात अपेक्षाकृत संतुलित है। बीएलओ स्तर पर सत्यापन अभियानों से नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए, लेकिन मृत मतदाताओं के नाम हटाने, पलायन कर चुके लोगों के संशोधन और विवाह उपरांत नाम परिवर्तन जैसे मामलों में देरी की शिकायतें रहीं। इसके बावजूद पंचायत चुनावों में भागीदारी यह संकेत देती है कि लोकतांत्रिक चेतना यहाँ कमजोर नहीं है।

शिक्षा व्यवस्था: विद्यालयों की स्थिति

पंचायत क्षेत्र में संचालित सरकारी प्राथमिक विद्यालय शिक्षा का आधार हैं। भवन उपलब्ध हैं, पर मरम्मत, पेयजल, शौचालय और कक्षा-संसाधनों की गुणवत्ता हर स्थान पर समान नहीं है। मिड-डे मील योजना नियमित है, लेकिन उसकी गुणवत्ता और निगरानी पर सवाल उठते रहे हैं। डिजिटल शिक्षा, पुस्तकालय और खेल सामग्री के अभाव ने यह स्पष्ट किया है कि अब बुनियादी ढाँचे के साथ गुणवत्ता सुधार की आवश्यकता है।

आंगनबाड़ी केंद्र: पोषण से जुड़ी हकीकत

आंगनबाड़ी केंद्र गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। पंजीकरण संतोषजनक है और टीकाकरण समन्वय बेहतर हुआ है, लेकिन कुछ केंद्रों के भवन जर्जर हैं, उपकरण पुराने हैं और पूरक पोषण की नियमितता पर सवाल उठे हैं। मातृ-समूह बैठकों से जागरूकता बढ़ी है, पर निगरानी समितियों को और सक्रिय करने की जरूरत महसूस की गई।

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पंचायत रिकॉर्ड और पारदर्शिता

प्रस्ताव, कार्यवृत्त, भुगतान रजिस्टर और जॉब-कार्ड जैसे रिकॉर्ड नियमों के अनुसार संधारित किए जाते हैं। ई-गवर्नेंस के तहत कई प्रविष्टियाँ ऑनलाइन हैं, पर स्थल पर सूचना पटों का अद्यतन न होना पारदर्शिता की कमी दर्शाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जानकारी मिलती तो है, पर दस्तावेज़ों को समझाने में प्रशासनिक सहयोग सीमित रहता है।

विकास कार्यों का समग्र मूल्यांकन

सड़क–नाली निर्माण, इंटरलॉकिंग, पेयजल, स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट और पंचायत भवन जैसे कार्य कराए गए। कई कच्चे रास्ते पक्के हुए और जलभराव वाले इलाकों में नालियाँ बनीं। इससे दैनिक जीवन में सुविधा बढ़ी, लेकिन गुणवत्ता और टिकाऊपन को लेकर सवाल भी खड़े हुए—क्या ये कार्य दीर्घकालिक थे या केवल दिखाऊ?

मानकों के विरुद्ध हुए कार्यों पर शिकायतें

इंटरलॉकिंग और सीसी सड़कों में बेस लेयर की मोटाई कम रखने, घटिया सामग्री और जलनिकासी की अधूरी योजना के आरोप लगे। बरसात में टाइल्स धंसना और पानी जमा होना इन शिकायतों का आधार बना। नालियों में गहराई–चौड़ाई कम होने और स्लैब कमजोर होने की बात भी सामने आई। स्ट्रीट लाइटों के जल्दी खराब होने पर भी सवाल उठे।

शिकायतों पर हुई कार्रवाई

शिकायतों के बाद पंचायत और ब्लॉक स्तर पर जांच हुई। तकनीकी निरीक्षण में कुछ कमियों की पुष्टि होने पर मरम्मत और सुधारात्मक कार्य कराए गए। कुछ भुगतान रोके गए या समायोजन की संस्तुति की गई। हर मामले में कठोर दंड नहीं हुआ, लेकिन शिकायतें पूरी तरह अनसुनी भी नहीं रहीं।

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ग्रामीण धारणा और सामाजिक प्रभाव

यह धारणा बनी कि विकास हुआ है, पर गुणवत्ता असमान रही। कुछ शिकायतकर्ताओं को “विरोधी” कहकर देखा गया, जिससे कई लोग खुलकर बोलने से हिचके। फिर भी तकनीकी जागरूकता बढ़ी और अब ग्रामीण मोटाई, ढलान और ग्रेड जैसे मानकों पर सवाल उठाने लगे हैं।

विकास की असली कसौटी

मुजेहना पंचायत का अनुभव बताता है कि विकास केवल बजट खर्च करना नहीं, बल्कि मानकों, पारदर्शिता और जवाबदेही पर खरा उतरना है। यदि निगरानी मजबूत हो, सोशल ऑडिट वास्तविक बने और शिकायतों पर समयबद्ध सार्वजनिक कार्रवाई हो, तो दुलहापुर बनकट गुणवत्ता-आधारित ग्रामीण शासन का उदाहरण बन सकता है।

❓ सवाल–जवाब

क्या दुलहापुर बनकट एक राजस्व ग्राम है?

हाँ, दुलहापुर बनकट विधिवत राजस्व अभिलेखों में दर्ज एक राजस्व ग्राम है।

क्या पंचायत में विकास कार्य हुए हैं?

हाँ, सड़क, नाली, पेयजल और स्ट्रीट लाइट जैसे कई कार्य हुए हैं, लेकिन उनकी गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं।

शिकायतों पर कोई कार्रवाई हुई?

कुछ मामलों में तकनीकी जांच के बाद सुधार और मरम्मत कराई गई, हालांकि सभी मामलों में कठोर दंड नहीं हुआ।

आगे सुधार के लिए क्या जरूरी है?

तकनीकी मानकों की जानकारी ग्राम सभा में साझा करना, मजबूत सोशल ऑडिट और समयबद्ध कार्रवाई आवश्यक है।

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