सनातन धर्म एकता यात्रा में फरह के युवाओं की गूंज, हिंदू राष्ट्र के संकल्प ने जगाई नई ऊर्जा

ठाकुर के के सिंह की रिपोर्ट

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छटीकरा/फरह टाउनशिप। सनातन धर्म एकता यात्रा मंगलवार को तब एक ऐतिहासिक दृश्य का साक्षी बनी जब फरह कस्बे के दर्जनों युवाओं, महिलाओं और ग्रामीणों ने बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर संत धीरेन्द्र शास्त्री के आह्वान पर इस यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। देशभर में चल रही इस विशाल सनातन धर्म एकता यात्रा ने न केवल धार्मिक उत्साह जगाया, बल्कि लोगों में हिंदू राष्ट्र निर्माण के प्रति जागरूकता और दृढ़ संकल्प की भावना भी प्रबल की।

फरह के युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। यात्रा में शामिल अधिकतर युवाओं ने खुले तौर पर कहा कि उनका उद्देश्य स्पष्ट है—“सनातन धर्म की रक्षा एवं देश में हिंदू राष्ट्र की स्थापना।” उनकी इस आवाज़ ने यात्रा को एक अलग ऊर्जा प्रदान की। यही कारण है कि पूरे मार्ग में सनातन धर्म एकता यात्रा का प्रभाव साफ दिखाई दिया।

फरह के युवाओं का उत्साह—हिंदू राष्ट्र की मांग से गूंजा वातावरण

ग्रामीणों व युवाओं का कहना था कि यात्रा के दौरान आया परिवेश अद्भुत और प्रेरणादायी था। संत धीरेन्द्र शास्त्री के प्रवचनों, सनातन धर्म के जयकारों और अध्यात्म की समग्र भावना ने पूरे मार्ग को भक्ति और एकता के रंग में रंग दिया। विशेष यह रहा कि युवा पीढ़ी ने बड़ी संख्या में भाग लेकर साबित कर दिया कि सनातन धर्म एकता यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का आंदोलन है।

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हालांकि उत्साह के बीच व्यवस्थाओं की कमियां भी चर्चा में रहीं। स्थानीय समाजसेवी ठाकुर केके सिंह ने कहा कि यात्रा का अनुभव प्रेरणादायक रहा, लेकिन भीड़भाड़ के बीच कई स्थानों पर अव्यवस्था और जाम की स्थिति देखने को मिली। भारी संख्या में लोगों के उमड़ने से कई बार रास्ते रुक गए, जिससे यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

कौन-कौन शामिल हुए सनातन धर्म एकता यात्रा में?

फरह कस्बे से यात्रा में शामिल होने वालों में अनेक प्रमुख नाम थे, जिनमें शामिल हैं—
ठा. के. के. सिंह, रूपचंद पंडित, अजय सिंह राजावत, अजय पाल सिंह, विनोद सिंह राणा, सत्येंद्र झा, नरेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, मनू चौधरी, सुरेश सिंह चौहान, बंटी, बृज बिहारी, राधारमन, मनोज, प्रदीप, राजू, संजू, बिट्टू भाई, नीटू, श्यामू, पप्पू पंडित, विष्णु पंडित, योगेश, छोटू, सतीश सिंह राघव, विष्णु प्रताप सिंह, भीमो, गौरव सिंह, भगवानदास, हरिओम, राहुल, आशीष, रामजीत, हरिओम, गजेंद्र सिंह, राजा जसवंत सिंह एडवोकेट, जॉनी राजावत, केहरी सिंह, जुगल सिंह, आदित्य, मोनिका सिंह, कमलेश, गोमती, उमा, मीना, कुसुम, मौना, रामदुलारी, विमलेश, नेमबाती, रेखा, रितु, सीमा, भूदेवी, तृषा, तान्या, बांसू, मोहिनी, संध्या, पूजा, हेमा, पूनम आदि।

इनमें महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही, जो इस बात का संकेत देती है कि सनातन धर्म एकता यात्रा अब केवल पुरुषों का आयोजन नहीं, बल्कि परिवार और समाज की सामूहिक आस्था का स्वरूप बन चुकी है।

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सनातन धर्म एकता यात्रा क्यों बनी राष्ट्रीय चर्चा का विषय?

यह यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन नहीं, बल्कि सामाजिक जागरण का प्रतीक है।
मौजूदा दौर में जब धर्म, संस्कृति और परंपराओं पर कई तरह की चुनौतियां देखी जा रही हैं, ऐसे में सनातन धर्म एकता यात्रा लोगों में एकता और संगठन की भावना को मजबूत कर रही है।

  • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आंदोलन युवाओं में नई धार्मिक राजनीतिक चेतना पैदा कर रहा है।
  • संत धीरेन्द्र शास्त्री के बढ़ते प्रभाव के कारण यात्रा देश भर में लाखों लोगों को जोड़ रही है।
  • यात्रा का प्रमुख उद्देश्य—सनातन संस्कृति की रक्षा, गौरव का संवर्धन और हिंदू राष्ट्र के सपने को मजबूत आधार देना।

फरह के युवाओं का इस यात्रा में शामिल होना यह बताता है कि कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में भी सनातन धर्म एकता यात्रा का प्रभाव अत्यधिक गहरा है। यात्रा ने न सिर्फ युवाओं में आध्यात्मिक जोश जगाया, बल्कि उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित भी किया।

अव्यवस्थाओं पर भी उठे सवाल, फिर भी यात्रा को मिला अपार समर्थन

कुछ स्थानों पर भारी भीड़, ट्रैफिक जाम और आयोजकों की कम तैयारी के कारण लोगों को असुविधा भी उठानी पड़ी। मगर इसके बावजूद सनातन धर्म एकता यात्रा के समर्थन में कोई कमी नहीं दिखी।
लोगों ने इसे “सनातन संस्कृति का ऐतिहासिक संगम” बताया।

फरह के ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी यात्राएं सामाजिक एकता को मजबूत करती हैं और युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ती हैं। कई लोगों ने कहा कि अगली बार इस यात्रा को और बेहतर व्यवस्थाओं के साथ आयोजित किया जाना चाहिए।

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यात्रा के बाद ग्रामीणों में उत्साह—“अगली बार और बड़ी संख्या में जाएंगे”

यात्रा से लौटने के बाद कस्बे के युवाओं और ग्रामीणों में चर्चा गर्म है।
सभी ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि संत धीरेन्द्र शास्त्री को सुनना आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करने वाला अनुभव था।
कुछ लोगों ने कहा कि यह यात्रा अब एक जन-आंदोलन में बदल चुकी है और वे अगले वर्ष इससे भी बड़ी संख्या में शामिल होंगे।


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सनातन धर्म एकता यात्रा क्या है?

यह संत धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा शुरू की गई राष्ट्र-धर्म एकता की यात्रा है, जिसका उद्देश्य सनातन संस्कृति का संरक्षण और समाज में धार्मिक चेतना का प्रसार करना है।

फरह के युवाओं ने यात्रा में क्यों भाग लिया?

युवाओं ने हिंदू राष्ट्र की मांग, सनातन संस्कृति के प्रति निष्ठा और संत धीरेन्द्र शास्त्री के आह्वान को समर्थन देने के लिए यात्रा में भाग लिया।

क्या यात्रा में अव्यवस्थाएं भी रहीं?

हाँ, कई जगह पर भीड़ अधिक होने के कारण जाम और व्यवस्थाओं की कमी रही। ग्रामीणों ने अगली बार बेहतर प्रबंधन की मांग की।

क्या इस यात्रा का राजनीतिक प्रभाव भी है?

विशेषज्ञों के अनुसार, यह यात्रा युवाओं में सांस्कृतिक और धार्मिक राजनीतिक चेतना बढ़ा रही है, जिससे भविष्य में इसका राजनीतिक प्रभाव दिख सकता है।

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