नन्हे-मुन्नों बच्चों ने रंगोली और स्लोगन से बिखेरी दीपावली की रौनक — आजमगढ़ में रंगोली-स्लोगन कार्यक्रम






Red and Blue Geometric Patterns Medical Facebook Post_20251110_094656_0000
previous arrow
next arrow

आजमगढ़, दीपावली का पावन पर्व नजदीक आता देख सिधारी स्थित SNRD पब्लिक स्कूल में 17 अक्टूबर, शुक्रवार को बच्चों ने बड़े ही उल्लास और पावन भावनाओं के साथ दीपावली कार्यक्रम मनाया। इस अवसर पर बच्चों ने रंगोली और स्लोगन के माध्यम से न सिर्फ अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित की, बल्कि समाज को जागरूक करने वाले महत्वपूर्ण संदेश भी दिए।

रंगोली ने जगाई दिवाली की चमक

विद्यालय के छोटे-छोटे छात्र और छात्राएँ स्वदेशी दीए, मिट्टी की मूर्तियाँ और चार्ट पेपर पर रंगों से सजी रंगोलियों के माध्यम से दीपावली की आराधना से प्रेरित रचनाएँ प्रस्तुत कीं। उन्होंने विद्यालय परिसर में सुंदर और जिजीविषा से भरी रंगोली बना कर दीए सजाए। इस दौरान बच्चों ने रंगोली के बीच में श्री लक्ष्मी-गणेश, पंखी, दीपक और प्रकृति-प्रतीक जैसे Motifs बनाए।

रंगोली का अर्थ केवल सजावट भर नहीं है — यह एक प्रतीक है, जो प्रकाश, सौंदर्य और शुभता का संदेश देती है। इस वर्ष बच्चों ने पर्यावरण, जल संरक्षण, राष्ट्रीय एकता जैसे विषयों को रंगोली डिज़ाइन में शामिल किया।

इसे भी पढें  मायावती का बड़ा दांव : बसपा ने पिछड़ा वर्ग और मुस्लिमों पर साधी नजर, सपा के PDA को सीधी चुनौती

स्लोगन-प्रतियोगिता: संदेशों की शक्ति

रंगोली के साथ-साथ बच्चों ने स्लोगन प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्होंने “नारी पढ़ाओ-नारी बचाओ”, “वन नेशन-वन इलेक्शन”, “सेव वॉटर”, “पर्यावरण स्वच्छ व सुंदर”, “ऑपरेशन सिंदूर”, “चंद्रयान मिशन” आदि विषयों पर स्लोगन प्रस्तुत किए। इन स्लोगनों में समाज सुधार और राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा झलकी।

सभी स्लोगन सहज, सरल और त्वरित समझने योग्य थे — उदाहरण स्वरूप, “जल बचाओ, जीवन बचाओ”, “एक मतदान — बेहतर राष्ट्र”, “सिंदूर नहीं, संकल्प दो”, इत्यादि। इन स्लोगनों ने देख रहे अभिभावकों और अन्य दर्शकों का मन मोह लिया।

कार्यक्रम का संचालन एवं विशिष्ट उपस्थित लोग

कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधक सत्य प्रकाश तिवारी, निदेशक शिवम तिवारी, प्रधानाचार्य संदीप गुप्ता तथा अन्य शिक्षकों — जनार्दन गौतम, साहब जां, सागर कुमार, आकाश यादव, हर्षदीप वर्मा, राकेश यादव, सुनीता शर्मा, रचित सेठ, निशा वर्मा, सोनाली गौड़, नेहा यादव, श्वेता श्रीवास्तव, समीरा, मीना, सुजाता आदि — सभी उपस्थित रहे। अभिभावकगण भी बढ़-चढ़ कर इस रचनात्मक कार्यक्रम में शामिल हुए।

इसे भी पढें  भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया चौथा टी20I: भारत की 48 रन से शानदार जीत, सीरीज में 2-1 की बढ़त

निदेशक शिवम तिवारी ने सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को **धनतेरस एवं दीपावली** की हार्दिक शुभकामनाएँ दी। उन्होंने बच्चों की रचनात्मकता, सामाजिक जागरूकता और सकारात्मक प्रयोगों की सराहना करते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की प्रेरणा दी।

दीपावली रौनक में संदेशों का महत्व

दीपावली, अर्थात् प्रकाश का त्योहार, हमें अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, अशांति पर सौहार्द्र की ओर ले जाता है। इस पावन पर्व पर जब छोटे-छोटे बच्चों ने रंगोली और स्लोगन के माध्यम से सामाजिक, राष्ट्रीय और पर्यावरणीय संदेश प्रस्तुत किए, तो यह सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि शिक्षा और चेतना का स्वरूप बन गया।

जब “जल संरक्षण”, “पर्यावरण स्वच्छता”, “राष्ट्रीय एकता” जैसे विषय रंगोली या स्लोगन में हों, तो वे सिर्फ प्रतीक नहीं होते — वे एक मिशन बन जाते हैं। आजमगढ़ में यह देखा गया कि कैसे छोटे बच्चों ने दिवाली रौनक के साथ-साथ देश और समाज सुधार की लकीर खींच दी।

समाज एवं अभिभावकों की प्रतिक्रिया

कार्यक्रम का मंचन होते ही अभिभावक और दर्शक बच्चों की प्रस्तुति पर मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने बच्चों की सादगी, सहजता और गहरे अर्थों वाले संदेशों की खुले दिल से सराहना की। शिक्षकों ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों में आत्मविश्वास और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को जगाते हैं।

इसे भी पढें  IND vs WI : अहमदाबाद टेस्ट में शुभमन गिल को डॉन ब्रैडमैन की बराबरी और WTC में बड़ा रिकॉर्ड बनाने का मौका

अभिभावक इस बात से प्रसन्न हैं कि बच्चों ने केवल रंगोली नहीं बनाई बल्कि उसमें संदेशों की मिठास घोली। इस प्रकार की गतिविधियाँ स्कूल और परिवार को जोड़ती हैं और सामाजिक शिक्षा को मजेदार रूप देती हैं।

निष्कर्ष: दीपावली की प्रेरणा और संदेश

आजमगढ़ के SNRD पब्लिक स्कूल में नन्हे-मुन्नों बच्चों द्वारा रंगोली और स्लोगन के माध्यम से दी गई यह दीवाली रौनक सिर्फ एक त्योहारमय आयोजन नहीं थी — यह एक जागरूकता अभियान भी थी। बच्चों ने यह प्रमाणित किया कि उज्जवल दीपावली का अर्थ सिर्फ दीप जलाना नहीं, बल्कि अपने चारों ओर प्रकाश, सकारात्मकता और समाज सुधार का संदेश फैलाना भी है।

इस प्रकार, इस कार्यक्रम ने न केवल **दीपावली** की **रौनक** बढ़ाई, बल्कि समाज को संदेश दिया — पानी बचाओ, पर्यावरण संभालो, एकता बनाए रखो। यही दीपावली का सच्चा भाव है। हम कामना करते हैं कि यह चमक, यह संदेश और यह ताजगी हर वर्ष इस तरह से बढ़ती जाए।

संवाददाता: जगदंबा उपाध्याय, आजमगढ़



Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top