रिसौरा गौशाला बनी ‘मौतशाला’: बांदा जिले में प्रशासनिक लापरवाही से तड़प रहे गोवंश






सोनू करवरिया की रिपोर्ट

महुआ (बांदा): रिसौरा ग्राम पंचायत की गौशाला में अव्यवस्था और घोर लापरवाही ने एक बार फिर से प्रशासनिक सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है। निरीक्षण में कई गोवंश मृत मिले, जबकि दर्जनों बीमार अवस्था में पड़े मिले।

गौरक्षा समिति ने जताई गहरी चिंता, उठाई आवाज

विश्व हिंदू महासंघ की गौरक्षा समिति ने रिसौरा गौशाला की स्थिति को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उनके मुताबिक, “यह गौशाला अब ‘मौतशाला’ बन चुकी है,” क्योंकि यहां पशुओं को न तो पौष्टिक आहार मिल रहा है और न ही कोई नियमित चिकित्सा सुविधा। समिति के जिला प्रवक्ता उमेश तिवारी और तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया ने गौशाला का आकस्मिक निरीक्षण कर प्रशासन को सच दिखाया।

उन्होंने बताया कि “लगभग दस दिन पूर्व भी यही स्थिति थी। उस समय एक गोवंश मृत मिला था और कई बीमार थे, इसके बावजूद ग्राम सचिव एवं प्रधान ने कोई सुधार नहीं किया।”

रिसौरा गौशाला में दिखावे का ‘भूसा’, सीलबंद पशु आहार

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि रिसौरा गौशाला में केवल दिखावे के लिए भूसा डाला गया था। वास्तव में गोवंशों को पौष्टिक और पर्याप्त आहार नहीं मिल पा रहा। गौरक्षा समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि “ग्राम प्रधान और सचिव ने कुछ बोरी पशु आहार और काना मंगाकर रख दिया है, जो आज तक सीलबंद पड़ी हैं।”

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यह गंभीर गौशाला लापरवाही का उदाहरण है, जहां सरकारी धन तो खर्च दिखाया गया लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नजर नहीं आता।

गोवंश संरक्षण के सरकारी प्रयासों पर पड़ रहा धब्बा

समिति ने आरोप लगाया कि योगी सरकार द्वारा गौशाला संचालन के लिए पर्याप्त धनराशि दी जाती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से यह पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।

“यह बेजुबान जानवर जिनके सहारे हमारा कृषि जीवन चलता है, वही आज भूख और बीमारी से तड़प रहे हैं,” सोनू करवरिया ने कहा। समिति ने जोर देकर कहा कि यह रिसौरा गौशाला घोटाले का रूप धारण कर सकती है, यदि प्रशासन ने त्वरित जांच न की।

स्थिति देख प्रशासन को दी गई सूचना

गंभीर हालात देखने के बाद गौरक्षा समिति के पदाधिकारी सोनू करवरिया ने तत्काल ग्राम सचिव, खंड विकास अधिकारी महुआ और पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सचिन कुमार जैन को सूचना दी। साथ ही बांदा की डीएम महोदया को भी मोबाइल माध्यम से अवगत कराया गया।

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी स्वयं गोवंश संरक्षण को लेकर संवेदनशील हैं, लेकिन निचले स्तर पर मौजूद ढिलाई इस मिशन की साख को कमजोर कर रही है।”

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कर्मचारियों ने कबूला: ‘जितना आदेश, उतना कार्य’

गौशाला में तैनात कर्मचारियों से बातचीत में यह भी सामने आया कि वे सिर्फ उतना ही कार्य करते हैं जितना उन्हें आदेशित किया जाता है। यह बयान प्रशासन की निगरानी प्रणाली की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। ऐसी गौशाला अव्यवस्था न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि जीव हत्या जैसी त्रासदी को जन्म दे रही है।

समिति की मांग: तत्काल जांच और कठोर दंड

गौरक्षा समिति ने बांदा जिला प्रशासन से माँग की है कि रिसौरा गौशाला की स्थिति की तत्काल जांच की जाए और ग्राम सचिव से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों तक पर कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अब हालात नहीं सुधरे तो “कड़ाके की ठंड में और भी कई गोवंशों की मौत हो सकती है।”

पहले से ही कई गोवंश मृत्यु के बाद भी यदि सिस्टम नहीं चेता, तो यह समाज और शासन दोनों की संवेदनहीनता का प्रमाण होगा।

रिसौरा गौशाला प्रकरण से उठे सवाल

रिसौरा गांव की गौशाला अव्यवस्था न केवल बांदा जिले में बल्कि पूरे प्रदेश में प्रशासनिक लापरवाही की मिसाल के रूप में देखी जा रही है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ यदि जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच रहा, तो यह केवल कागजी उपलब्धि भर है।

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गौरक्षा समिति ने कहा कि वह इस प्रकरण को लेकर जिला अधिकारी से मिलने जा रही है और यदि जल्द कार्रवाई न हुई तो आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।

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गौरक्षा समिति ने क्या कदम उठाए?

समिति ने जिला प्रशासन को मौके की वास्तविकता से अवगत कराया और तुरंत जांच की मांग की है। साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय को भी रिपोर्ट भेजी गई है।

गोवंश मृत्यु के पीछे कौन जिम्मेदार है?

गौरक्षा समिति के अनुसार ग्राम सचिव, प्रधान और संबंधित अधिकारी रिसौरा गौशाला में लापरवाही के प्रमुख जिम्मेदार हैं।

सरकार इस मुद्दे पर क्या कर सकती है?

सरकार यदि चाह ले तो विभागीय जांच आयोग गठित कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई कर सकती है और गौशालाओं की सीधे निगरानी की व्यवस्था भी बना सकती है।

रिसौरा गौशाला की जांच कब होगी?

प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, बांदा में पशुपालन विभाग द्वारा प्राथमिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसके बाद उच्चस्तरीय जांच शक्य है।



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