सोनू करवरिया की रिपोर्ट
बरसात के मौसम में सड़कों पर गौ वंश की बढ़ती मौतें प्रशासनिक उदासीनता को उजागर कर रही हैं। नरैनी समेत आसपास के क्षेत्रों में हुई घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं।
बरसात बना गौ वंश के लिए जानलेवा, सड़कें बन रही कब्रगाह
बरसात का मौसम जहाँ धरती के लिए संजीवनी माना जाता है, वहीं यह मौसम निराश्रित गौ वंश के लिए काल बनता जा रहा है। खुले में विचरने वाले ये बेजुबान पशु जब सड़कों के किनारे या बीचोबीच बैठते हैं, तो आए दिन तेज़ रफ्तार वाहनों की चपेट में आकर अपनी जान गंवाते हैं। हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर समस्या पर स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता भी उतनी ही दुखद है।
नरैनी में हुई गौ वंश की दर्दनाक मौत
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के नरैनी कस्बे का है, जहाँ त्रिपाठी मैरिज हॉल, बांदा रोड के सामने सुबह एक निर्दोष गौ माता अज्ञात वाहन की टक्कर से मौत का शिकार हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने प्रशासन को सूचना दी, जिस पर नगर पंचायत नरैनी की टीम तुरंत पहुँची और गौ माता का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार (समाधि) कराया गया।
पड़मई गांव में दो और घटनाएं, एक घायल, एक मृत
वहीं नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत पड़मई गांव में दो और दर्दनाक घटनाएं सामने आईं। पहली घटना में एक गौ वंश की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि दूसरी घटना में एक अन्य गौ माता गंभीर रूप से घायल हो गई। ग्राम प्रधान ने तुरंत सक्रियता दिखाते हुए मृत गौ वंश का अंतिम संस्कार कराया, वहीं घायल गौ माता को पशु चिकित्सक डॉ. विजय कुमार कमल की देखरेख में प्राथमिक उपचार दिलवाया गया। उसे सुरक्षित स्थान पर रखकर उसकी उचित देखभाल सुनिश्चित की गई।
प्रशासन की चुप्पी और योजनाओं की विफलता
इन लगातार हो रही घटनाओं से एक गंभीर सवाल खड़ा होता है—क्या गौ वंश की रक्षा सिर्फ राजनीतिक भाषणों और धार्मिक नारों तक सीमित रह गई है?
वर्तमान में सरकार द्वारा चलाई जा रही गौ सेवा योजनाएं ज़मीनी स्तर पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं। सड़कों पर बेसहारा घूमते और मरते ये बेजुबान इस बात के साक्षी हैं कि गौ शालाएं, रेस्क्यू सेवाएं और पुनर्वास योजनाएं या तो कागज़ों में सिमट गई हैं या फिर उनमें भारी लापरवाही है।
सामाजिक चेतना की पुकार: अब और चुप नहीं रहा जा सकता
गौ भक्तों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल एक विशेष गौ वंश सुरक्षा अभियान की शुरुआत करे। इस अभियान के अंतर्गत:
- सड़कों से गौ वंश को हटाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए।
- घायल या बीमार गौ वंश के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई चलाई जाए।
- रात्रिकालीन समय में तेज़ गति से चलने वाले वाहनों पर सख्ती हो और सीसीटीवी व GPS निगरानी की व्यवस्था की जाए।
- दोषी वाहन चालकों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
- मानवीयता बनाम दिखावटी धार्मिकता
यह याद रखना होगा कि गौ वंश की रक्षा केवल धार्मिक भावना नहीं, एक सामाजिक और मानवीय कर्तव्य है। अगर हम सड़क पर कराहते किसी घायल गौ माता को देखकर भी मौन रह जाते हैं, तो यह केवल एक निरीह पशु की मृत्यु नहीं होती, यह हमारे संवेदनाओं की भी हत्या होती है।
अब समय आ गया है जब प्रशासनिक ढांचे और नागरिक समाज दोनों को मिलकर इस गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। वरना यह मौन अपराधों की एक ऐसी श्रृंखला में बदल जाएगा, जिसका पश्चाताप आने वाली पीढ़ियाँ भी करती रहेंगी।
बरसात में सड़कों पर हो रही गौ वंश की मौतें केवल दुर्घटना नहीं, एक सामाजिक त्रासदी हैं। जब तक प्रशासन और समाज मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक ये दर्दनाक दृश्य दोहराए जाते रहेंगे और हर बार एक नई गौ माता किसी अज्ञात वाहन के नीचे दम तोड़ती रहेगी।