भारत सरकार ने 2027 में होने वाली देश की 16वीं जनगणना के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। यह जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होगी—पहली बार यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी और आजादी के बाद पहली बार जातिगत गणना की जाएगी।
सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि हिमालयी और बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना 1 अक्टूबर 2026, जबकि देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च 2027 को की जाएगी।
डिजिटल होगी पूरी प्रक्रिया
सरकार ने इस बार जनगणना को पेपरलेस और मोबाइल-ऐप आधारित बनाने का निर्णय लिया है। हर व्यक्ति को एक यूनिक आईडी नंबर मिलेगा। इसके अलावा डेटा संग्रह में जीपीएस, ऑटो-कैल्कुलेशन और फील्ड डायग्नोस्टिक टूल्स का प्रयोग किया जाएगा।
- नागरिक स्वयं ऑनलाइन जानकारी भर सकेंगे
- डेटा की गोपनीयता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी
- डिजिटल इंडिया अभियान को बढ़ावा मिलेगा
जातिगत आंकड़े पहली बार शामिल
1931 के बाद यह पहली बार होगा जब सभी जातियों का आंकड़ा संग्रहित किया जाएगा। अब तक स्वतंत्र भारत की जनगणनाओं में जातिगत डाटा को शामिल नहीं किया गया था। सरकार के मुताबिक, यह निर्णय 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया।
ये 6 नए सवाल होंगे जनगणना में शामिल
इस बार जनगणना में लोगों से आधुनिक जीवनशैली और संसाधनों से जुड़े 6 नए सवाल पूछे जाएंगे:
1. क्या घर में इंटरनेट है?
➤ डिजिटल कनेक्टिविटी का आकलन
2. कितने मोबाइल/स्मार्टफोन और मालिक कौन?
➤ डिजिटल पहुंच और समावेशन का विश्लेषण
3. पीने का पानी किस स्रोत से मिलता है?
➤ स्वच्छता और स्वास्थ्य संकेतकों की जांच
4. खाना पकाने के लिए कौन सा गैस/ईंधन इस्तेमाल होता है?
➤ स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच और उज्ज्वला योजना का मूल्यांकन
5. परिवार के पास कौन-कौन से वाहन हैं?
➤ आर्थिक स्थिति और परिवहन सुविधा की जानकारी
6. मुख्य खाद्यान्न कौन सा है?
➤ पोषण स्तर और मोटे अनाज (मिलेट्स) की स्थिति का आकलन
13,000 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च
इस विशाल अभियान में लगभग 34 लाख गणनाकर्ता और पर्यवेक्षक, साथ ही 1.3 लाख डिजिटल उपकरणों से लैस कर्मी भाग लेंगे। इसके लिए सरकार ने 13,000 करोड़ रुपये के बजट का अनुमान लगाया है।
परिसीमन आयोग के लिए बनेगा आधार
जनगणना 2027 के आंकड़े आगामी 2026 परिसीमन आयोग के लिए भी उपयोगी होंगे। यह आयोग लोकसभा और विधानसभा सीटों के नए निर्धारण के लिए जनसंख्या के आंकड़ों का उपयोग करेगा। जानकारों का मानना है कि इससे दक्षिणी राज्यों में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं, जहां जनसंख्या नियंत्रण की नीति सफल रही है।
पिछली जनगणना कब हुई थी?
भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जिसमें देश की जनसंख्या 121 करोड़ दर्ज की गई थी। इसके बाद 2021 की जनगणना कोविड महामारी के कारण टल गई थी। अब 16 साल बाद 2027 में फिर से जनगणना होगी।
क्यों महत्वपूर्ण है जनगणना 2027?
- पहली बार पूरी तरह डिजिटल प्रक्रिया
- आजादी के बाद पहली जातिगत गणना
- नीति निर्माण, संसाधन आवंटन और राजनीतिक सीमांकन में निर्णायक भूमिका
- डिजिटल, सामाजिक और आर्थिक आंकड़ों का समग्र विश्लेषण
यह जनगणना न सिर्फ आंकड़ों का संग्रह है, बल्कि यह “नए भारत” की सामाजिक और तकनीकी पहचान को गहराई से दर्शाने वाला दस्तावेज बनने जा रही है।