कोहरे में घुली चीखें : यमुना एक्सप्रेस-वे पर आग का वह मंजर, 13 मौतें, 70 घायल, 17 पॉलिथीन बैग…..

🖊️ चुन्नीलाल प्रधान की ग्राउंड रिपोर्ट
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मथुरा की सुबह उस दिन सामान्य नहीं थी। सर्दियों की घनी धुंध में लिपटा यमुना एक्सप्रेस-वे अचानक चीखों, धमाकों और आग की लपटों से गूंज उठा। थाना बलदेव क्षेत्र में माइलस्टोन 127 पर हुए भीषण सड़क हादसे ने कुछ ही पलों में कई परिवारों की दुनिया उजाड़ दी। आठ बसें और तीन कारें आपस में टकराईं, टक्कर इतनी भयावह थी कि देखते-देखते कई वाहन आग का गोला बन गए। इस हृदयविदारक हादसे में भाजपा नेता समेत 13 लोगों की जिंदा जलकर मौत की पुष्टि हुई है, जबकि करीब 70 लोग घायल बताए जा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि बसों के भीतर से कटे हुए अंग मिले हैं, जिन्हें पुलिस ने 17 पॉलिथीन बैग में सुरक्षित कर डीएनए जांच के लिए भेजा है।

यह सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं थी; यह उन चेतावनियों की अनदेखी का परिणाम भी थी, जो हर सर्दी के साथ कोहरे के रूप में सामने आती हैं, और हर बार कुछ जिंदगियां निगल जाती हैं।

“ऐसा लगा जैसे बम फट गया”—प्रत्यक्षदर्शियों की आंखों देखा हाल

हादसे के तुरंत बाद राहगीरों ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन उससे पहले आसपास के लोग मौके पर पहुंच चुके थे। प्रत्यक्षदर्शी भगवान दास की आवाज आज भी कांपती है। उन्होंने बताया, “टक्कर होते ही ऐसा लगा जैसे बम फट गया हो। आग की लपटें उठीं, लोग बसों के शीशे तोड़कर बाहर कूदने लगे। कुछ ही मिनटों में बसें जलकर राख हो गईं।” उनके मुताबिक, स्थानीय लोगों ने साहस दिखाते हुए बस से 8–9 शव बाहर निकाले, लेकिन आग इतनी तेज थी कि कई लोगों को बचाया नहीं जा सका।

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कुछ लोगों का आरोप है कि औपचारिक रेस्क्यू ऑपरेशन करीब एक घंटे बाद शुरू हुआ। हालांकि प्रशासन का कहना है कि सूचना मिलते ही टीमें रवाना कर दी गई थीं, लेकिन कोहरे, आग और ट्रैफिक जाम ने राहत कार्य को कठिन बना दिया।

छह घंटे का संघर्ष : 50 जवान, 9 थाने और जली हुई धातु के बीच तलाश

पुलिस, फायर ब्रिगेड और SDRF के करीब 50 जवानों ने 9 थानों की पुलिस के साथ मिलकर करीब छह घंटे में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा किया। आग बुझाने के बाद जब जली हुई बसों को काटा गया, तब कहीं जाकर भीतर फंसे शवों और अंगों को निकाला जा सका। कई शव इतनी बुरी तरह झुलस चुके थे कि उनकी पहचान संभव नहीं थी। यही वजह है कि प्रशासन ने डीएनए टेस्ट का सहारा लेने का फैसला किया है।

हादसे के चलते एक्सप्रेस-वे पर करीब तीन किलोमीटर लंबा जाम लग गया। फंसे यात्रियों के बीच डर और बेचैनी साफ देखी जा सकती थी।

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घायलों की जंग : अस्पतालों में अफरातफरी

घायलों को 11 एम्बुलेंस के जरिए मथुरा जिला अस्पताल और वृंदावन संयुक्त जिला अस्पताल भेजा गया। गंभीर रूप से झुलसे और घायल लोगों को आगरा मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित की गई।

कैसे हुआ हादसा : कोहरे ने छीनी रफ्तार, फिर छीनी जिंदगियां

प्रारंभिक जांच के मुताबिक, हादसे के समय एक्सप्रेस-वे पर घना कोहरा था। माइलस्टोन 127 पर अचानक दृश्यता बेहद कम हो गई। आगे चल रही एक स्लीपर बस के ड्राइवर ने सामने धुंध देखते ही ब्रेक लगाकर स्पीड कम की। पीछे से आ रही अन्य बसें और कारें समय पर रुक नहीं सकीं और एक के बाद एक टकराती चली गईं।

प्रशासनिक कार्रवाई: मजिस्ट्रेट जांच और 4 सदस्यीय टीम

हादसे की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं। जांच का नेतृत्व ADM प्रशासन अमरेश करेंगे। चार सदस्यीय टीम में एसपी देहात, अधिशासी अभियंता PWD और ARTO प्रवर्तन को भी शामिल किया गया है।

मुआवजा और संवेदनाएं: सरकार और शीर्ष नेतृत्व की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक व्यक्त किया।

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डीएनए टेस्ट और पहचान की पीड़ा

बसों के भीतर से मिले कटे हुए अंगों को 17 पॉलिथीन बैग में भरकर सुरक्षित रखा गया है। अब डीएनए टेस्ट के जरिए उनकी पहचान की जाएगी।

हेल्पलाइन नंबर जारी : अपनों की तलाश में फोन की घंटी

जिला प्रशासन ने हादसे के बाद हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व डॉ. पंकज कुमार वर्मा (9454417583) और एसपी ग्रामीण सुरेश चंद्र रावत (9454401103) के नंबर सार्वजनिक किए गए हैं।

वो सवाल जो धुएं में घुल गए

यह हादसा सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है—13 मौतें, 70 घायल, 17 पॉलिथीन बैग। यह उन चेहरों की कहानी है, जो अपने घरों से निकले थे और लौट नहीं पाए।

❓ सवाल–जवाब

यमुना एक्सप्रेस-वे हादसा कहां हुआ?

यह हादसा मथुरा जिले के बलदेव थाना क्षेत्र में माइलस्टोन 127 पर हुआ।

हादसे में कितनी मौतें और घायल हुए?

अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और करीब 70 लोग घायल हैं।

डीएनए जांच क्यों कराई जा रही है?

कई शव और अंग बुरी तरह जल चुके हैं, जिनकी पहचान संभव नहीं है, इसलिए डीएनए जांच कराई जा रही है।

सरकार ने क्या मुआवजा घोषित किया है?

राज्य सरकार और PMNRF दोनों की ओर से मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।

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