
समाचार दर्पण टीम की रिपोर्ट
बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन एकता पदयात्रा अंतिम चरण में, ब्रजभूमि में भव्य स्वागत
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा आज अपने 10वें और अंतिम दिन ब्रज धरा पर पहुँचकर एक ऐतिहासिक अध्याय रच रही है। दस दिनों से निरंतर चली यह दिव्य यात्रा आज मथुरा में 55 किलोमीटर की सम्पूर्ण दूरी पूरी करते हुए अंतिम पड़ाव पर पहुँच रही है। यात्रा के ब्रज क्षेत्र में प्रवेश करते ही वातावरण में भक्ति, भावुकता और सनातन एकता का अनोखा संगम देखने को मिला।
जैसे ही यात्रा वृंदावन के पावन प्रवेश द्वार पर पहुँची, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और साथ चल रहे संतों ने दंडवत प्रणाम करते हुए ब्रज धरा को नमन किया। सभी संतों ने ब्रजरज अपने मस्तक पर लगाई और एक-दूसरे को गले लगाकर इस ऐतिहासिक क्षण का स्वागत किया। यह दृश्य इतना भावुक था कि स्वयं बागेश्वर धाम सरकार की आंखों से खुशी के आँसू झलक पड़े।
ब्रज में प्रवेश—भक्ति और भावनाओं का महापर्व

ब्रज पहुंचते ही भीड़ में शामिल हजारों भक्तों ने ‘जय श्री राधे’, ‘जय श्री कृष्ण’ और ‘बोलो बगड़िया सरकार की जय’ के नारों से पूरा वातावरण गुंजा दिया। यात्रा में शामिल बद्रीनाथ के महाराज बालक योगेश्वर दास और हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत राजू दास भी इस दृश्य से भावुक हो उठे।
यात्रा के वृंदावन पहुंचने पर भक्तों ने फूल वर्षा, ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वाद्यों के साथ स्वागत किया। कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने बुलडोजर से भी फूल बरसाए, जो इस यात्रा की भव्यता का प्रतीक बन गया।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी यात्रा में शामिल
इस यात्रा में राजनीतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक तीनों क्षेत्रों का संगम देखने को मिला। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वयं पदयात्रा में शामिल होकर बागेश्वर धाम सरकार के साथ सड़क पर बैठकर पूड़ी-सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया। उनके साथ आम श्रद्धालुओं ने भी भोजन किया, जिससे यह संदेश गया कि सनातन एकता बंधन में किसी का भी भेदभाव नहीं।
मोहन यादव ने कहा—“यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक ऊर्जा का उत्सव है।” इससे भीड़ में और भी उत्साह बढ़ गया।
10 दिनों की 170 किमी पदयात्रा—तीन बार बिगड़ी तबीयत
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यात्रा के अंतिम चरण में कहा कि 10 दिनों में लगातार 170 किलोमीटर की यात्रा ने शरीर पर असर डाला है, लेकिन मन में जो ऊर्जा है, वह हनुमंत कृपा से असीमित है। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान तीन बार तबीयत खराब हुई, लेकिन उन्होंने थकावट को नजरअंदाज कर सेवा और मिशन को प्राथमिकता दी।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा—“राम काज कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम… हनुमान जी यह यात्रा करवा रहे हैं, मैं तो उनका सेवक हूं।”
जनसैलाब देखकर भावुक हुए शास्त्री जी
बागेश्वर धाम सरकार ने यात्रा में उमड़ी भीड़ का सम्मान करते हुए कहा—“कोई बिहार से आया है, कोई महाराष्ट्र से… एक बालक की मां वेंटिलेटर पर है, फिर भी वह यहां आया। यह देखकर मेरा हृदय पिघल गया।”
उन्होंने कहा—“यह देश बाबर का नहीं, रघुवर का है। सनातन परंपरा की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया है, हम भी लड़ेंगे, डटकर खड़े रहेंगे और एकजुट रहेंगे।”
बी प्राक, जुबिन नौटियाल और स्वाति मिश्रा का भजन संध्या
शनिवार देर रात मंच पर गायक बी प्राक, जुबिन नौटियाल और स्वाति मिश्रा ने पहुंचकर भजन संध्या को अविस्मरणीय बना दिया। जुबिन नौटियाल यात्रा में धीरेंद्र शास्त्री का हाथ पकड़कर चलते भी नजर आए। मंच से ‘मेरे महाबली’, ‘राधे-राधे’ और ‘राम-राम’ जैसे भजनों ने स्टेडियम जैसे माहौल को आध्यात्मिकता से भर दिया।
विशाल सभा—15 एकड़ में बैठाए गए पदयात्री
मथुरा में आयोजित सनातन सभा में 15 एकड़ क्षेत्र में पदयात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई। मंच पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज, देवकीनंदन जी महाराज, और ब्रज के विख्यात संत एक साथ उपस्थित रहे। सभा में देश-विदेश से आए लाखों भक्तों ने हिस्सा लिया।
सभा शुरू होते ही काशी से आए ब्राह्मणों ने विधिवत आरती की। वहीं दिल्ली और हरियाणा से आए श्रद्धालुओं ने यात्रा में अगले दिन शामिल होने की घोषणा की।
दिल्ली ब्लास्ट पर बड़ा बयान—शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हाल ही में दिल्ली ब्लास्ट की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा—“हमारे इस्लामिक भाइयों को शिक्षा नीति में बदलाव लाने की जरूरत है, ताकि कोई डॉक्टर आतंकवादी न बने।” उनके इस बयान ने सभा में मौजूद लोगों का ध्यान खींचा।
उन्होंने कहा कि सनातन एकता से आतंकवादी बौखलाए हुए हैं और भारत को सांस्कृतिक रूप से तोड़ने की कोशिशें असफल होंगी।
यात्रा का महत्व—सनातन एकता का राष्ट्रीय संदेश
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक चेतना, सामाजिक एकता, मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना का सशक्त संदेश है। 10 दिन की इस यात्रा ने उत्तर भारत के लाखों लोगों को जोड़कर एक भावनात्मक धागे में पिरो दिया है।
यह यात्रा यह भी दिखाती है कि आध्यात्मिक नेतृत्व केवल प्रवचन नहीं, बल्कि मैदान में उतरकर समाज को जोड़ने का भी माध्यम है।
क्लिक करें और सवालों के जवाब देखें (FAQ)
1. सनातन हिंदू एकता पदयात्रा कितने दिनों तक चली?
यह यात्रा कुल 10 दिनों तक चली और 170 किलोमीटर की दूरी तय की।
2. पंडित धीरेंद्र शास्त्री की तबीयत कितनी बार बिगड़ी?
यात्रा के दौरान शास्त्री जी की तबीयत तीन बार बिगड़ी, लेकिन उन्होंने यात्रा जारी रखी।
3. यात्रा में कौन-कौन से बड़े संत और कलाकार शामिल हुए?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य, देवकीनंदन जी महाराज, बी प्राक, जुबिन नौटियाल और स्वाति मिश्रा सहित कई संत और कलाकार मौजूद रहे।
4. यात्रा में राजनीतिक हस्तियों की भागीदारी?
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यात्रा में शामिल होकर भोजन भी किया।
इस रिपोर्ट के संकलन में चुन्नीलाल प्रधान, ठाकुर के के सिंह, ब्रजकिशोर सिंहठाकुर बख्श सिंह के संयुक्त सुझाव एवं आउटपुट शामिल हैं।






