शिक्षा में भ्रष्टाचार की हद :
बच्चों से बाइक पर ढुलवाया जा रहा राशन, हाजिरी भी की गायब

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

चित्रकूट। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद के उच्च प्राथमिक विद्यालय खजुरिहा कला से शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां जिस स्थान पर बच्चों को किताबों और कॉपी–कलम के बीच अपना भविष्य गढ़ना चाहिए था, वहां पर कथित तौर पर शिक्षा में भ्रष्टाचार का ऐसा खेल खेला गया कि नौनिहालों से ही मध्यान्ह भोजन का राशन ढुलवाया जाने लगा। आरोप है कि प्रधानाध्यापक मुन्नीलाल ने विद्यालय के दो मासूम छात्रों को अपनी बाइक से राशन लाने भेजा और बाद में मामला दबाने के लिए उनकी हाजिरी तक गायब कर दी।

नौनिहालों से बाइक पर ढुलवाया गया राशन, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

सूत्रों के मुताबिक 12 नवंबर 2025 को उच्च प्राथमिक विद्यालय खजुरिहा कला में पढ़ने वाले कमल सिंह (कक्षा 7) और अभिषेक (कक्षा 8) को प्रधानाध्यापक मुन्नीलाल ने स्कूल के लिए मध्यान्ह भोजन का राशन लेने के लिए नजदीकी दुकान पर भेज दिया। दोनों छात्रों को स्कूल पहुंचाने वाली ग्लैमर बाइक ही थमा दी गई और उन पर राशन ढुलवाने की जिम्मेदारी डाल दी गई। यह पूरा प्रकरण किसी ने मोबाइल में कैद कर लिया और देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद शिक्षा में भ्रष्टाचार और बच्चों के शोषण की यह घटना चर्चा का विषय बन गई।

जांच की भनक लगते ही बच्चों की ऑनलाइन–ऑफलाइन हाजिरी से की गई कथित हेराफेरी

जैसे ही वायरल वीडियो की खबर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक पहुंची, विभाग हरकत में आया और 14 नवंबर 2025 को खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) एन. पी. सिंह उच्च प्राथमिक विद्यालय खजुरिहा कला पहुंच गए। निरीक्षण टीम के सामने जो तस्वीर उभरी, उसने शिक्षा में भ्रष्टाचार की पोल और खोल दी। आरोप है कि जांच की आहट लगते ही प्रधानाध्यापक मुन्नीलाल ने 12 नवंबर की बच्चों की ऑनलाइन उपस्थिति डिलीट कर दी और ऑफलाइन हाजिरी रजिस्टर में भी दोनों छात्रों को अनुपस्थित दिखा दिया, जबकि बच्चे उस दिन पूरे समय विद्यालय में उपस्थित थे। इस तरह कागजों में खेल कर पूरे प्रकरण को दबाने की कोशिश की गई, जो स्कूलों में चल रहे शैक्षिक भ्रष्टाचार का एक और रूप सामने लाती है।

शासन के निर्देशों की खुलेआम धज्जियां, शिक्षा में भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत

राज्य सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने, अनुशासन बढ़ाने और स्कूलों में पारदर्शिता लाने के लिए तमाम दिशा–निर्देश जारी किए गए हैं। ऑनलाइन हाजिरी प्रणाली भी इसी उद्देश्य से लागू की गई थी, ताकि शिक्षकों की मनमानी और शिक्षा में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन खजुरिहा कला के इस प्रकरण ने दिखा दिया कि जब जिम्मेदार अधिकारी ही नियमों की धज्जियां उड़ाने पर उतर आएं तो तकनीक भी बेबस दिखने लगती है। यहां न सिर्फ बच्चों से नियम विरुद्ध काम कराया गया, बल्कि पूरे मामले को छुपाने के लिए अभिलेखों से छेड़छाड़ कर इस भ्रष्ट व्यवस्था को और बढ़ावा दिया गया।

इसे भी पढें  जहाँ राम ने तिलक लगाया था, आज वही चित्रकूट क्यों कर रहा है चीख–पुकार? इतिहास, आस्था और आज की सच्चाई

ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, बच्चों की जान से खिलवाड़

एक ओर पूरे प्रदेश में यातायात माह नवंबर के तहत पुलिस और प्रशासन आम लोगों को सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के पालन के लिए जागरूक कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसी माह में स्कूल के ही प्रधानाध्यापक द्वारा नाबालिग बच्चों को बिना हेलमेट बाइक चलवाने का मामला सामने आना बेहद चिंताजनक है। घटना वाले दिन बच्चों के पास न तो हेलमेट था, न ही वे उम्र के हिसाब से मोटरसाइकिल चलाने के पात्र थे। इसके बावजूद उन्हें बाइक पर राशन ढुलवाने भेजा गया। यह लापरवाही सिर्फ शिक्षा में भ्रष्टाचार की मिसाल नहीं, बल्कि बच्चों की जान से खिलवाड़ भी है, क्योंकि जरा सी चूक होने पर कोई बड़ा हादसा हो सकता था।

शिक्षण कार्य छोड़ बच्चों से कराया जा रहा राशन और साफ–सफाई का काम

अभिभावकों का कहना है कि वे अपने बच्चों को विद्यालय इसलिए भेजते हैं, ताकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकें और आगे चलकर समाज के जिम्मेदार नागरिक बनें। लेकिन जब स्कूल में ही शिक्षा में भ्रष्टाचार और मनमानी हावी हो जाए, तो बच्चों का भविष्य ही दांव पर लग जाता है। खजुरिहा कला के मामले में आरोप है कि प्रधानाध्यापक द्वारा केवल राशन ढुलवाने ही नहीं, बल्कि कई बार बच्चों से साफ–सफाई सहित अन्य काम भी कराए जाते हैं। यह स्थिति न केवल मिड–डे मील योजना के मानकों का उल्लंघन है, बल्कि बाल अधिकारों और नौनिहालों की गरिमा के साथ खिलवाड़ भी है, जो स्पष्ट रूप से शैक्षिक व्यवस्था के भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।

वायरल वीडियो के बाद शिक्षा विभाग पर भी उठने लगे सवाल

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद स्थानीय लोग ही नहीं, समाज के विभिन्न वर्गों में भी आक्रोश देखा जा रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब गांव के स्तर तक शिक्षा में भ्रष्टाचार के इतने गंभीर मामले सामने आ रहे हैं, तो विभागीय निगरानी तंत्र की भूमिका क्या है? कई अभिभावकों का कहना है कि अगर वीडियो वायरल न होता तो शायद यह मामला भी दबा दिया जाता और बच्चों से इसी तरह काम लिया जाता रहता। अब जब सबूत के साथ पूरा प्रकरण सामने आ चुका है, तो लोगों की नजर जिला प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग की अगली कार्रवाई पर टिकी है।

इसे भी पढें  ग्राम प्रधान की मनमानी : अटल भूजल योजना के तहत बने तालाब का सौंदर्यीकरण ध्वस्त, सामग्री हुई गायब

शिक्षा में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और अभिभावक संगठन इस पूरे मामले को केवल एक स्कूल तक सीमित घटना मानने को तैयार नहीं हैं। उनका मानना है कि यह उदाहरण बताता है कि जमीनी स्तर पर शिक्षा में भ्रष्टाचार किस तरह बच्चों के अधिकारों को निगल रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि खजुरिहा कला के इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, संबंधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई हो, बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए जाएं। लोगों का कहना है कि जब तक शिक्षा में भ्रष्टाचार पर सख्त प्रहार नहीं होगा, तब तक सरकारी स्कूलों की छवि और व्यवस्था में सुधार की बातें केवल कागजों तक सीमित रहेंगी।

बच्चों का मनोवैज्ञानिक असर और शिक्षा से भरोसा उठने का खतरा

विशेषज्ञ मानते हैं कि जब स्कूल जैसी सुरक्षित जगह पर बच्चों को शिक्षा के बजाय श्रम करने के लिए मजबूर किया जाता है या उन्हें जोखिम भरे काम सौंपे जाते हैं, तो इसका सीधा असर उनके मानसिक विकास पर पड़ता है। खजुरिहा कला के बच्चे भी इस घटना से आहत हैं। उन्हें लगने लगा है कि स्कूल में पढ़ाई के बजाय उनसे सेवा कराई जा रही है। यह सोच आगे चलकर शिक्षा के प्रति उनके भरोसे को कमजोर कर सकती है। शिक्षा में भ्रष्टाचार का यही असली खतरा है कि यह न केवल व्यवस्था को अंदर से खोखला करता है, बल्कि बच्चों के मन में सीखने की ललक और स्कूल के प्रति सम्मान भी खत्म कर देता है।

क्या जिला प्रशासन करेगा उदाहरण पेश?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या जिला प्रशासन इस मामले को उदाहरण बनाकर ठोस कदम उठाएगा या फिर यह प्रकरण भी फाइलों और जांच रिपोर्टों के ढेर में दबकर रह जाएगा। अगर खजुरिहा कला के इस मामले में समय रहते कड़ी कार्रवाई की जाती है, तो यह संदेश जाएगा कि नौनिहालों का शोषण और शिक्षा में भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं, यदि कार्रवाई आधी–अधूरी रही, तो यह साहसिक कार्रवाई के बजाय गलत संकेत देगी और विद्यालय स्तर पर मनमानी करने वाले तत्वों के हौसले और बुलंद हो सकते हैं।

फिलहाल गांव के अभिभावक, सामाजिक कार्यकर्ता और जागरूक नागरिक जिला प्रशासन से यही उम्मीद कर रहे हैं कि बच्चों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उच्च प्राथमिक विद्यालय खजुरिहा कला में सामने आए शिक्षा में भ्रष्टाचार के इस मामले पर सख्त और पारदर्शी कार्रवाई की जाए। तभी वास्तव में यह संदेश जाएगा कि सरकारी घोषणाओं और जमीनी हकीकत के बीच की खाई पाटने की गंभीर कोशिश हो रही है।

इसे भी पढें  अवैध निर्माण का खेल बेनक़ाब: बार एसोसिएशन अध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग तेज़

क्लिक करके सवाल–जवाब पढ़ें (FAQ)

प्रश्न 1: खजुरिहा कला विद्यालय में सामने आए इस मामले को शिक्षा में भ्रष्टाचार क्यों कहा जा रहा है?

इस मामले में न केवल नाबालिग बच्चों से बाइक पर राशन ढुलवाने जैसा जोखिम भरा काम कराया गया, बल्कि बाद में उनकी हाजिरी से कथित छेड़छाड़ कर सच्चाई छुपाने की कोशिश भी की गई। बच्चों को पढ़ाने के बजाय उनसे श्रम कराना, अभिलेखों से खिलवाड़ करना और शासन के निर्देशों की अनदेखी करना—ये सभी वजहें इसे स्पष्ट रूप से शिक्षा में भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखती हैं।

प्रश्न 2: वायरल वीडियो के बाद शिक्षा विभाग ने क्या कदम उठाए?

वायरल वीडियो की सूचना मिलते ही 14 नवंबर 2025 को खंड शिक्षा अधिकारी एन. पी. सिंह ने उच्च प्राथमिक विद्यालय खजुरिहा कला का निरीक्षण किया। जांच के दौरान बच्चों की ऑनलाइन और ऑफलाइन हाजिरी में कथित गड़बड़ियां सामने आईं, जिसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अब जिला प्रशासन और बेसिक शिक्षा विभाग पर निर्भर है कि वे शिक्षा में भ्रष्टाचार के इस मामले में कितनी कठोर और पारदर्शी कार्रवाई करते हैं।

प्रश्न 3: अभिभावक और स्थानीय लोग क्या मांग कर रहे हैं?

अभिभावकों और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है कि संबंधित प्रधानाध्यापक के खिलाफ सख्त विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाए, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस व्यवस्था बनाई जाए। उनका कहना है कि जब तक शिक्षा में भ्रष्टाचार पर निर्णायक प्रहार नहीं होगा, तब तक सरकारी स्कूलों की छवि और पढ़ाई की गुणवत्ता में वास्तविक सुधार संभव नहीं है।

प्रश्न 4: इस घटना से अन्य विद्यालयों को क्या संदेश मिलना चाहिए?

खजुरिहा कला की यह घटना बाकी परिषदीय विद्यालयों के लिए एक सख्त चेतावनी की तरह है कि बच्चों से किसी भी प्रकार का गैर–शैक्षिक और जोखिम भरा काम कराना नियमों के खिलाफ है। यदि जिला प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाता है, तो यह संदेश जाएगा कि बच्चों का शोषण और शिक्षा में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर सहन नहीं किया जाएगा और दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Language »
Scroll to Top