राज्य सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर विशेष: 2 साल — नव उत्थान, नई पहचान, बढ़ता राजस्थान

हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
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अन्नदाताओं के सम्मान, समृद्धि और सुरक्षा का भरोसेमंद मॉडल

डीग, 15 दिसम्बर। राजस्थान की राजनीति और शासन व्यवस्था में बीते दो वर्षों को यदि किसी एक शब्द में समेटा जाए, तो वह शब्द होगा—कृषक-केंद्रित विकास। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसान कल्याण के संकल्प को आधार बनाकर मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने किसानों के सम्मान, सुरक्षा और समृद्धि को नीति का केंद्रीय बिंदु बनाया है। खेती को घाटे का सौदा मानने की धारणा को तोड़ते हुए सरकार ने योजनाओं, निवेश और प्रशासनिक इच्छाशक्ति के माध्यम से कृषि को फिर से आत्मनिर्भरता और सम्मान से जोड़ा है।

राज्य सरकार के दूसरे वर्ष में प्रवेश के साथ यह स्पष्ट दिखाई देता है कि किसान केवल योजनाओं के लाभार्थी नहीं, बल्कि विकास की धुरी के रूप में स्थापित हो रहे हैं। वित्तीय सहायता, ब्याजमुक्त ऋण, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद, सिंचाई और बिजली व्यवस्था, पशुपालन को प्रोत्साहन और कृषि आधुनिकीकरण—इन सभी पहलुओं पर समानांतर और संतुलित कार्य हुआ है। इसका सीधा असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था, रोजगार और युवा वर्ग की सोच पर पड़ा है।

76.18 लाख किसानों तक पीएम किसान सम्मान निधि

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में राजस्थान ने देशभर में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। किसानों की संख्या के आधार पर प्रदेश इस योजना में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। अब तक 76.18 लाख किसानों को इस योजना के अंतर्गत 10,432 करोड़ रुपये की सहायता सीधे उनके खातों में पहुंचाई जा चुकी है।

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राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को और सुदृढ़ करने के लिए अपनी ओर से एक बड़ा कदम उठाया है। वार्षिक सहायता राशि को केंद्र की 6,000 रुपये की राशि के अतिरिक्त राज्यांश जोड़कर 9,000 रुपये तक बढ़ाया गया। यह पहल न केवल किसानों की तत्काल जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि खेती में निवेश की क्षमता भी बढ़ाती है।

44 हजार करोड़ का ब्याजमुक्त ऋण, 6 हजार करोड़ से अधिक का बीमा क्लेम

खेती की सबसे बड़ी चुनौती समय पर पूंजी की उपलब्धता होती है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने बीते दो वर्षों में 44,067 करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वितरित किया। इससे किसानों को बुवाई, खाद-बीज और अन्य कृषि कार्यों के लिए साहूकारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा।

इसके अतिरिक्त 356 करोड़ रुपये का दीर्घकालीन सहकारी ऋण रियायती ब्याज दर पर उपलब्ध कराया गया। बिजली बिलों के बोझ से किसानों को राहत देने के लिए 44,558 करोड़ रुपये का अनुदान भी प्रदान किया गया, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का सशक्त क्रियान्वयन किया गया। अब तक 6,207 करोड़ रुपये के बीमा क्लेम का भुगतान कर हजारों परिवारों को आर्थिक संकट से उबारा गया है।

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समर्थन मूल्य पर खरीद: 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान

उचित मूल्य के अभाव में किसान वर्षों से परेशान रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर व्यापक स्तर पर फसल खरीद की। 2.66 लाख किसानों से 33.42 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई, जिस पर 471.16 करोड़ रुपये का बोनस भी दिया गया।

इसके साथ ही 12.60 लाख मीट्रिक टन दालों और तिलहनों की खरीद कर लगभग 5 लाख किसानों को 8,191 करोड़ रुपये का सीधा भुगतान किया गया। यह व्यवस्था किसानों के भरोसे को मजबूत करती है।

22 जिलों में दिन में बिजली, सिंचाई क्षमता का विस्तार

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई और बिजली की उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है। राज्य सरकार ने 10,418 करोड़ रुपये खर्च कर 84,592 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता विकसित की। साथ ही 1.86 लाख नए कृषि विद्युत कनेक्शन जारी किए गए।

विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि 22 जिलों में किसानों को दिन के समय दो ब्लॉक में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, जिससे सिंचाई के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

पीएम-कुसुम योजना में राजस्थान अग्रणी

स्वच्छ ऊर्जा और आत्मनिर्भर खेती की दिशा में पीएम-कुसुम योजना ने राजस्थान को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। कुसुम-बी के अंतर्गत 51,927 सोलर पंप स्थापित किए गए, जिन पर 822 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया।

इस योजना में राजस्थान ने कुसुम-ए में प्रथम और कुसुम-सी में तृतीय स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध किया कि हरित ऊर्जा और कृषि साथ-साथ आगे बढ़ सकते हैं।

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पशुपालन और ग्रामीण आय को नई मजबूती

कृषि के साथ पशुपालन को आय का मजबूत आधार बनाने के लिए मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना के तहत 20.30 लाख पशुओं का बीमा किया गया। दुग्ध उत्पादक सम्बल योजना से 5 लाख पशुपालकों को 1,172 करोड़ रुपये की सहायता दी गई।

वहीं गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत 84,604 परिवारों को 634 करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया गया।

कृषि आधुनिकीकरण: तकनीक से समृद्धि की राह

खेती को आधुनिक बनाने के लिए डिग्गी और फार्म पॉण्ड निर्माण पर 371 करोड़ रुपये का अनुदान देकर 43,327 संरचनाएं तैयार की गईं। 1.02 लाख कृषि यंत्रों पर 230 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया।

ड्रिप और स्प्रिंकलर प्रणाली के लिए 2.21 लाख किसानों को 1,018 करोड़ रुपये की सहायता, तारबंदी और ग्रीन-शेडनेट हाउस पर भी बड़े पैमाने पर निवेश किया गया।


किसान हित से जुड़े सवाल-जवाब

प्रश्न: पीएम किसान सम्मान निधि में राज्य की अतिरिक्त राशि कैसे मिलती है?

राज्य सरकार केंद्र की राशि के अतिरिक्त अपने बजट से सहायता जोड़ती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है।

प्रश्न: ब्याजमुक्त फसली ऋण किन किसानों को मिलता है?

सहकारी बैंकों से अल्पकालीन ऋण लेने वाले पात्र किसानों को यह सुविधा दी जाती है।

प्रश्न: पीएम-कुसुम योजना का मुख्य लाभ क्या है?

इससे किसानों को सस्ती, स्वच्छ ऊर्जा मिलती है और बिजली खर्च में कमी आती है।

प्रश्न: पशुपालकों के लिए कौन-सी योजना सबसे उपयोगी है?

मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा और गोपाल क्रेडिट कार्ड योजना पशुपालकों के लिए बेहद लाभकारी है।

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