हमीरपुर। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर रविवार की सुबह जो मंजर देखने को मिला, उसने हर संवेदनशील व्यक्ति की रूह को झकझोर कर रख दिया। तेज रफ्तार बस और बोलेरो की भीषण टक्कर ने एक ही परिवार के चार लोगों की जिंदगी छीन ली, जबकि एक बेटा अपने पिता की मौत का साक्षी बनकर जीवन और मृत्यु के बीच झूलता रहा। हादसे के कुछ ही क्षण बाद बोलेरो में बुरी तरह फंसे चालक विमल ने जो शब्द फोन पर कहे, वे आज भी लोगों के कानों में गूंज रहे हैं— “हमारा एक्सीडेंट हो गया है… सब मर गए हैं… मैं ही बचा हूं… थोड़ी देर में मैं भी मर जाऊंगा, जल्दी से आ जाओ।”
यह हृदयविदारक सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। महिलाएं बदहवास हो गईं, बच्चे रोने लगे और गांव से लोग बदहवासी की हालत में घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े। किसी को अंदाजा नहीं था कि जब वे मौके पर पहुंचेंगे, तो अपनों की लाशें और खून से सना एक्सप्रेसवे उनका इंतजार कर रहा होगा।
टक्कर इतनी भीषण कि बोलेरो 14 फीट से सिमटकर रह गई 6 फीट में
हादसा मौदहा कोतवाली क्षेत्र में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के 71 नंबर पिलर के पास हुआ। गुजरात से श्रद्धालुओं को लेकर आ रही एक तेज रफ्तार बस ने पीछे से बोलेरो को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि लगभग 14 फीट लंबी बोलेरो महज छह फीट में सिमट गई। गाड़ी का पिछला हिस्सा छत समेत आगे बोनट की ओर खिसक गया, जिससे उसमें सवार सभी लोग बुरी तरह फंस गए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे के बाद चारों ओर चीख-पुकार मच गई। बोलेरो में फंसे लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे, लेकिन वाहन इस कदर क्षतिग्रस्त था कि दरवाजे तक नहीं खुल पा रहे थे। मौके पर पहुंची पुलिस और राहत दल को दरवाजे तोड़कर शवों और घायलों को बाहर निकालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
खून से लाल पड़ा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
रविवार की सुबह का वह दृश्य इतना भयावह था कि जिसने भी देखा, उसकी आंखें भर आईं। एक्सप्रेसवे पर शवों के चीथड़े बिखरे पड़े थे और सड़क खून से लाल हो चुकी थी। यह केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं थी, बल्कि लापरवाही, तेज रफ्तार और नियमों की अनदेखी का क्रूर परिणाम थी।
हादसे में घनश्याम, उसके छोटे भाई रामसहोदर, सिद्ध गोपाल और सोनू की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल विमल और घनश्याम का बेटा जिंदगी की जंग लड़ते हुए अस्पताल पहुंचाए गए।
सीएचसी में गूंज उठी महिलाओं और बच्चों की चीत्कार
जब मृतकों के शव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाए गए, तो वहां का माहौल और भी ज्यादा गमगीन हो गया। महिलाओं और बच्चों की चीत्कार से पूरा सीएचसी परिसर गूंज उठा। कोई अपने पति को पुकार रहा था, तो कोई पिता के शव से लिपटकर फूट-फूटकर रो रहा था। परिजन एक-दूसरे को ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इस असहनीय पीड़ा के आगे हर दिलासा बौना साबित हो रहा था।
मृतक सभी मेहनतकश किसान थे, जो खेती-किसानी करके अपने परिवार का पेट पालते थे। घनश्याम अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और एक बेटी को छोड़ गया। उसके छोटे भाई रामसहोदर की भी मौत ने उसकी पत्नी शांति को गहरे सदमे में डाल दिया, जिनके दो बेटियां और एक बेटा अब पिता की छाया से वंचित हो गए हैं।
सिद्ध गोपाल की मौत से उसकी पत्नी देवरती बेसुध हो गई, वहीं सोनू की पत्नी ममता अपने तीन छोटे बच्चों के साथ रोती-बिलखती नजर आई। एक ही परिवार में चार मौतों से जमुना पुरवा गांव में मातम छा गया। रविवार को अधिकांश घरों में चूल्हे तक नहीं जले।
पिता के शव से लिपटकर रोता रहा घायल बेटा
हादसे के बाद का सबसे मार्मिक दृश्य तब सामने आया, जब घायल विमल ने अपने पिता को मृत अवस्था में देखा। वह दर्द से कराहता हुआ पिता के शव से लिपट गया और फूट-फूटकर रोने लगा। उस दृश्य को देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। यह केवल एक बेटे का आंसू नहीं था, बल्कि उस पीढ़ी का दर्द था, जो सड़क हादसों में अपनों को खो रही है।
तीन शवों का पोस्टमार्टम हमीरपुर, एक का बांदा में
हादसे में शव बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुके थे। प्रशासन ने तीन शवों का पोस्टमार्टम हमीरपुर जिला अस्पताल में कराया, जबकि सोनू के शव को पोस्टमार्टम के लिए बांदा भेजा गया। पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और सभी पहलुओं को खंगाला जा रहा है।
बोलेरो का बीमा नहीं, बस के कागजात पूरे
यात्रीकर मालकर अधिकारी (पीटीओ) चंदन पांडेय ने बताया कि बोलेरो का बीमा नहीं था, हालांकि फिटनेस समेत अन्य दस्तावेज पूरे पाए गए। वहीं गुजरात से आ रही बस का बीमा, फिटनेस, परमिट और प्रदूषण प्रमाण पत्र समेत सभी कागजात वैध मिले हैं।
पीटीओ के अनुसार प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि बोलेरो या तो एक्सप्रेसवे पर खड़ी थी या बेहद धीमी गति से चल रही थी। एक्सप्रेसवे पर निर्धारित नियमों और सावधानियों की अनदेखी भी इस हादसे की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। तेज रफ्तार बस ने पीछे से टक्कर मारी और चंद सेकेंड में कई जिंदगियां खत्म हो गईं।
सवालों के घेरे में एक्सप्रेसवे की सुरक्षा
यह हादसा एक बार फिर एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा व्यवस्था, वाहन चालकों की सतर्कता और नियमों के पालन को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या एक्सप्रेसवे पर धीमी या खड़ी गाड़ियों की निगरानी पर्याप्त है? क्या चालकों को आवश्यक जागरूकता दी जा रही है? और क्या तेज रफ्तार पर प्रभावी नियंत्रण हो पा रहा है?
जब तक इन सवालों के ठोस जवाब नहीं मिलते, तब तक ऐसे हादसे यूं ही मासूम जिंदगियां निगलते रहेंगे।
❓ हादसे से जुड़े सवाल-जवाब
यह हादसा कहां हुआ?
यह हादसा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर मौदहा कोतवाली क्षेत्र के 71 नंबर पिलर के पास हुआ।
हादसे में कितने लोगों की मौत हुई?
इस दर्दनाक सड़क दुर्घटना में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हुई।
क्या बोलेरो और बस के कागजात सही थे?
बोलेरो का बीमा नहीं था, जबकि बस के सभी कागजात पूरे और वैध पाए गए।
हादसे का संभावित कारण क्या बताया गया?
प्रारंभिक जांच में बोलेरो का खड़ा होना या बहुत धीमी गति से चलना और पीछे से आ रही तेज रफ्तार बस की टक्कर को कारण माना जा रहा है।






