
हिमांशु मोदी की रिपोर्ट
◆ रामलीला महोत्सव का दसवां दिन रहा आकर्षण का केंद्र
कामवन रामलीला समिति के भव्य आयोजन के तहत इस वर्ष का रामलीला महोत्सव लगातार चर्चा में बना हुआ है। इसी क्रम में दसवें दिन का रामलीला मंचन दर्शकों की स्मृतियों में लंबे समय तक अंकित रहने वाला सिद्ध हुआ। महोत्सव स्थल पर हजारों की भीड़ के बीच जिस गरिमा, अनुशासन और सांस्कृतिक वातावरण में विभिन्न प्रसंगों का प्रस्तुतीकरण हुआ, उसने पुनः सिद्ध किया कि कामवन की रामलीला कला, आस्था और परंपरा का सशक्त संगम है।
दसवें दिन के रामलीला मंचन में रावण-सूर्पणखा संवाद, मारीच-रावण वार्ता, सीता हरण, राम-वियोग, शबरी-राम संवाद, राम-हनुमान मिलन और राम-सुग्रीव मित्रता जैसे प्रसंगों को जिस भावनात्मक तीव्रता के साथ मंचित किया गया, उसने दर्शकों को कई बार स्तब्ध और कई बार भावुक कर दिया।
◆ पात्रों की सशक्त भूमिकाओं ने संवारा रामलीला मंचन
इस वर्ष के रामलीला मंचन में पात्रों के चयन और उनकी अभिनय क्षमता ने पूरे आयोजन के स्तर को एक नई ऊंचाई प्रदान की। रावण के रूप में कलाकार मुकेश शर्मा का अभिनय अत्यंत प्रभावशाली रहा। उनकी संवाद अदायगी और भाव-भंगिमाओं ने लंकापति की व्यक्तित्व छवि को मंच पर जीवंत कर दिया। वहीं सूर्पणखा की भूमिका में अशोक सोनी ने अपनी अभिव्यक्ति, स्वर और शैली से दर्शकों का ध्यान खींचा।
भगवान श्रीराम की भूमिका निभा रहे भुवनेश्वर ने अपने शांत, गंभीर और मर्यादित अभिनय से रामलीला मंचन को गरिमामय बनाया। सीता के रूप में गोविंद और लक्ष्मण के रूप में इशांत शर्मा का अभिनय भी बेहद सराहनीय रहा। उनकी अभिव्यक्तियों ने चरित्रों की भावनाओं को बड़े प्रभावशाली ढंग से उकेरा।
◆ जटायु ग्रुप की प्रस्तुति बनी रामलीला मंचन की विशेष उपलब्धि
जटायु ग्रुप के कलाकारों ने रामलीला मंचन में विशेष ऊर्जा और समरसता का प्रवाह किया।
जटायु ग्रुप में हजारी आर्य ने अपनी सशक्त प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
शबरी के रूप में ओमकार बजाज ने जिस भावनात्मक गहराई के साथ संवाद बोले, वे कार्यकुशलता के अद्भुत उदाहरण रहे।
मारीच की भूमिका में विशाल सोनी और रावण के मंत्री के रूप में गिरधर शर्मा ने अपने अभिनय से कहानी की प्रभावशीलता को और मजबूती दी।
सुग्रीव की भूमिका में प्रदीप और हनुमान जी के रूप में कुमार विक्रम शर्मा ने जिस तरह की ऊर्जा, उत्साह और भावपूर्ण संवाद अदायगी दर्शाई, उसने रामलीला मंचन को चरम उत्कर्ष पर पहुंचा दिया। वहीं जामवंत के रूप में पवन सोनी का अभिनय भी दर्शकों से भरपूर सराहना प्राप्त करता रहा।
◆ मंचन से पूर्व हुई आरती, रामलीला का विधिवत शुभारंभ
मंच के आरंभ से पूर्व रामलीला के व्यवस्थापक गोपाल चौधरी और नगर से पधारे रामलीला समिति के सम्मानित महानुभावों ने श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी की आरती उतारकर आयोजन का शुभारंभ किया। इस पावन परंपरा के साथ पूरे वातावरण में भक्ति, संस्कृति और शांति का एक मधुर संगम दृष्टिगोचर हुआ।
आरती के उपरांत रामलीला मंचन के स्वागताध्यक्ष मनोज सिंघल, संयोजक सचिन जैन, प्रदीप गोयल और सोनू चौबिया ने आगंतुकों का उत्तरीय पहनाकर स्वागत किया। यह सौहार्दपूर्ण परंपरा हर वर्ष की तरह इस बार भी सभी आगंतुकों को भावविभोर कर गई।
◆ कथा व्यास और निदेशक मंडल ने रामलीला मंचन में भरा प्राण
इस वर्ष के रामलीला मंचन को विशेष ऊंचाइयां प्रदान करने में कथा व्यास विजय कृष्ण शर्मा की शैली और वाणी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके संवाद वर्णन, प्रसंगों की व्याख्या और भावनात्मक संतुलन ने दर्शकों को बार-बार कथानक में डुबो दिया।
पात्र प्रधान एवं निर्देशक डॉ. भगवान मकरंद ने पूरे मंचन को जिस अनुशासन, कलात्मक योजना और भावात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत किया, वह दर्शनीय रहा। सह पात्र प्रधान अरुण पाराशर और सह कथा व्यास प्रियांशु शर्मा का योगदान भी उतना ही महत्वपूर्ण रहा।
◆ साज-सज्जा और दृश्य संयोजन बना रामलीला मंचन की पहचान
दृश्य संयोजक शंकर लाल शर्मा और सज्जा प्रभारी संतोष सेन ने जिस level की मंच सज्जा, प्रकाश व्यवस्था और दृश्य प्रभाव तैयार किए, वे किसी बड़े नाट्य-महोत्सव से कम नहीं थे। मंचन के प्रत्येक दृश्य में प्रकाश और ध्वनि का संतुलन दर्शकों के अनुभव को और भी समृद्ध करता रहा।
इस बार का रामलीला मंचन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि यह संस्कृति, कला, परंपरा और समकालीन प्रस्तुति का उत्कृष्ट उदाहरण भी सिद्ध हुआ। दर्शकों ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि कामवन रामलीला समिति का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण में अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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कामवन में इस वर्ष का रामलीला मंचन कब आयोजित हुआ?
कामवन रामलीला समिति द्वारा इस वर्ष का रामलीला मंचन दसवें दिन विशेष भव्यता के साथ प्रस्तुत किया गया।
रामलीला मंचन में किन-किन प्रसंगों का मंचन किया गया?
रावण-सूर्पणखा संवाद, मारीच-रावण वार्ता, सीता हरण, राम-वियोग, शबरी संवाद, राम–हनुमान मिलन और राम–सुग्रीव मित्रता जैसे प्रमुख प्रसंग मंचित हुए।
रामलीला मंचन में प्रमुख कलाकार कौन थे?
राम के रूप में भुवनेश्वर, सीता के रूप में गोविंद, रावण के रूप में मुकेश शर्मा, सूर्पणखा के रूप में अशोक सोनी, लक्ष्मण के रूप में इशांत शर्मा सहित कई कलाकारों ने मंचन में भाग लिया।
क्या इस रामलीला मंचन का आयोजन हर वर्ष होता है?
हाँ, कामवन रामलीला समिति हर वर्ष बड़े पैमाने पर पारंपरिक और सांस्कृतिक गरिमा के साथ रामलीला मंचन आयोजित करती है।






