
सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
👉 बिहार चुनाव नतीजों के बाद बढ़ा इस्तीफा विवाद
पप्पू यादव इस्तीफा विवाद बिहार की राजनीति में अचानक नया मोड़ है। जैसे ही बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए, राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया।
AIMIM नेता असीम वकार ने खुले मंच से कहा कि पप्पू यादव की मर्दानगी को अब परखा जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने चुनाव से पहले जो दावा किया था, वह पूरी तरह गलत साबित हुआ है।
बिहार के सीमांचल क्षेत्र की प्रतिष्ठित अमौर सीट पर हुए अप्रत्याशित परिणाम ने पूरे राज्य में नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। यहां के समीकरण, मुस्लिम वोटों की भूमिका, कांग्रेस की हार और AIMIM की जीत ने कहानी को नए मोड़ पर ला दिया है।
इसी बहस के केंद्र में अब पप्पू यादव इस्तीफा मुद्दा सबसे ज्यादा ट्रेंड कर रहा है।
👉 AIMIM नेता असीम वकार ने क्यों ललकार दी “मर्दानगी”?
चुनाव प्रचार के दौरान पप्पू यादव ने आत्मविश्वास से कहा था कि अमौर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी
अब्दुल जलील मस्तान जीतकर लाएंगे। उन्होंने यह भी सार्वजनिक रूप से कहा था—
“अगर जलील मस्तान हार गए, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।”
जब परिणाम आए, तो कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे। इसी पर AIMIM नेता असीम वकार ने बयान जारी करते हुए कहा—
“अगर पप्पू यादव मर्द हैं तो आज रात 9 बजे से पहले सांसदी से इस्तीफा दे दें। राजनीति से भी इस्तीफा देकर हिंदुस्तान की राजनीति से तुरंत बाहर हो जाएं।”
राजनीति में “मर्दानगी” शब्द के प्रयोग पर नई बहस भी शुरू हो गई है। पर सोशल मीडिया पर यह बयान
पप्पू यादव इस्तीफा कीवर्ड के साथ जमकर वायरल हो रहा है।
👉 अमौर सीट का बड़ा उलटफेर: मुस्लिम वोटों ने पलट दिया खेल
सीमांचल की राजनीति में मुस्लिम वोट निर्णायक रहे हैं। अमौर सीट सबसे खास मानी जाती है।
नतीजों में हुआ बड़ा उलटफेर:
- AIMIM के अख्तरुल इमान ने शानदार जीत दर्ज की।
- JDU के सबा जफर 38,000 वोटों से हार गए।
- कांग्रेस उम्मीदवार जलील मस्तान सिर्फ 52,000 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
यही वह हार है जिसने पप्पू यादव इस्तीफा विवाद को जन्म दिया। कांग्रेस की करारी हार ने पप्पू यादव के चुनावी दावे को पूरी तरह झूठा साबित कर दिया।
👉 असीम वकार ने कहा—“जिनके पास सियासी लीडरशिप नहीं, उन्हें बाहर ही हो जाना चाहिए”
AIMIM नेता ने कांग्रेस और कई दूसरे दलों को घेरते हुए कहा—
“इन दलों के पास न मुस्लिम लीडरशिप थी, न नौजवानों की लीडरशिप।
वे जेएनयू के छात्र नेताओं के सहारे राजनीति कर रहे थे।
उनकी टीम पूरी तरह छात्र नेताओं वाली थी, इसलिए उनके नारे भी छात्र नेताओं जैसे थे।”
उन्होंने दावा किया कि इस रणनीति ने कांग्रेस और पप्पू यादव जैसे नेताओं का नुकसान किया, जबकि AIMIM ने जमीनी नेताओं को आगे रखकर सीमांचल में मजबूत पकड़ बनाई।
👉 NDA को बढ़त, लेकिन विपक्ष में भ्रम और कन्फ्यूजन
एक तरफ NDA – यानी BJP और JDU – ने मिलकर आराम से बहुमत हासिल किया,
दूसरी तरफ INDIA गठबंधन की राजनीति में बिखराव और असमंजस साफ दिखाई दिया।
इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा।
INDIA गठबंधन के नेता अब भी सीमांचल में मुस्लिम वोटों को साधने में नाकाम रहे।
इसी बीच पप्पू यादव इस्तीफा विवाद ने विपक्ष पर असहज दबाव बढ़ा दिया है।
👉 क्या पप्पू यादव वाकई इस्तीफा देंगे?
यह सवाल पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना है।
पप्पू यादव ने अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है,
लेकिन AIMIM और सोशल मीडिया उनके पुराने बयान का वीडियो वायरल कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि—
“अगर पप्पू यादव इस्तीफा नहीं देते, तो विपक्ष में उनकी विश्वसनीयता को बड़ा झटका लगेगा।”
वहीं उनके समर्थक कहते हैं कि राजनीतिक बयानबाजी को इतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए।
दोनों पक्षों में तकरार गहराती जा रही है और यह मुद्दा आने वाले समय में बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
👉 सीमांचल में AIMIM की बढ़ती ताकत
AIMIM ने इस चुनाव में सीमांचल में जबरदस्त पकड़ दिखाई है।
कई सीटों पर मुस्लिम वोटों ने AIMIM को जीत दिलाई,
जिसका सीधा असर कांग्रेस, RJD और दूसरे दलों पर पड़ा है।
अमौर सीट की जीत AIMIM के लिए केवल चुनावी सफलता नहीं, बल्कि
सीमांचल में नेतृत्व की नई पहचान के रूप में देखी जा रही है।
👉 पप्पू यादव और AIMIM—सीधी टक्कर किस ओर जाएगी?
अब मामला सिर्फ पप्पू यादव इस्तीफा तक सीमित नहीं।
यह विवाद अब सीमांचल के राजनीतिक नेतृत्व की लड़ाई बन गया है।
दोनों नेताओं के बयानों से माहौल गरम है और यह टकराव आने वाले उपचुनावों या 2026 लोकसभा रणनीतियों को भी प्रभावित कर सकता है।
📌 क्लिक कर के सवाल-जवाब देखें
1. AIMIM नेता पप्पू यादव के इस्तीफे की मांग क्यों कर रहे हैं?
क्योंकि पप्पू यादव ने दावा किया था कि कांग्रेस उम्मीदवार जलील मस्तान अमौर से जीतेंगे।
उन्होंने कहा था—अगर वे हार गए, तो वे राजनीति छोड़ देंगे।
मस्तान तीसरे नंबर पर रहे, जिसके आधार पर इस्तीफा मांगा जा रहा है।
2. क्या पप्पू यादव सच में इस्तीफा देंगे?
अभी तक उन्होंने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है।
AIMIM लगातार दबाव बना रही है।
निर्णय आने वाले दिनों में साफ होगा।
3. सीमांचल में AIMIM इतनी मजबूत कैसे हुई?
AIMIM ने स्थानीय नेतृत्व को आगे रखा,
मुस्लिम वोटों में मजबूत पैठ बनाई
और कांग्रेस-RJD की कमजोर रणनीति का लाभ उठाया।
4. अमौर सीट के परिणाम का इतना महत्व क्यों है?
क्योंकि यह सीट मुस्लिम बहुल है,
यहां का परिणाम सीमांचल की राजनीति का संकेत माना जाता है।
AIMIM की जीत ने पूरे चुनावी समीकरण बदल दिए।






